अपने भाई को भाग्य शाली बनाना है तो -----राशि के
अनुसार बांधें राखी, बनाएं भाई को भाग्यशाली
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रक्षाबंधन का पर्व सभी पर्वों से
बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन बहन अपने
भाई को रक्षासूत्र बांधती है। इसके फलस्वरूप भाई
अपनी श्रद्धानुसार बहन को उपहार देकर
उसकी रक्षा का वचन देता है।
राखी का बंधन कई युगों से चला आ रहा है।
द्रौपदी जब संकट की घडी़ में
दुशास्सन द्वारा भरी सभा में चीरहरण
किया जा रहा था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने
ही द्रौपदी की लाज
रखी थी।
भगवान श्रीकृष्ण जब शीशुपाल का वध
अपने सुदर्शन चक्र से करते वक्त
उनकी तर्जनी अंगुली क्षतिग्रस्त
हो गई थी व उससे रूधीर बह रहा था। तब
द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू
फाड़ कर अंगुली में बांधा था, उसी का ऋण
श्रीकृष्ण ने चीरहरण के वक्त
चीर बढ़ा कर किया।
इसी बात को आज के युग में जब बहन
किसी संकट में हो तो भाई से रक्षा की आस
करती है।
आइए जानते हैं रक्षाबंधन के पावन त्योहार पर आपका रक्षा सूत्र
कैसा हो। ज्योतिषानुसार अपने भाई की राशिनुसार
यदि राखी का चयन करें तो वह सूत्र भाई के लिए
कल्याणकारी होगा
* मेष या वृश्चिक राशि होने पर लाल रंग
की या गुलाबी राखी का चयन करें।
* वृषभ या तुला राशि वालों के लिए
चांदी की राखी या सिल्वर कलर
की राखी का चयन उपयोगी होगा।
* मिथुन या कन्या राशि वाले भाइयों के लिए बहन हरा,
नीला, गुलाबी,
सुनहरी रंगों का चयन कर सकती हैं।
* कर्क राशि वालों के लिए सफेद, क्रीम, पीला,
नारंगी, फाल्साई रंगों का चयन शुभ रहेगा।
* सिंह राशि वालों के लिए गुलाबी, नारंगी,
सुनहरी, नीले-काले रंगों को छोड़ कर
सभी रंगों का चयन कर सकती हैं।
* धनु या मीन राशि वालों के लिए केसरिया, पीला,
नारंगी, फाल्साई, सुनहरी, हल्का लाल जैसे
रंग शुभ रहेंगे।
* मकर व कुंभ राशिवालों के लिए आसमानी,
नीला, फिरोजी, हरा शुभ रहेगा।
इस प्रकार रंगों का चयन कर राखी के इस पवित्र पावन
अवसर को यादगार और भाग्यवर्धक बना सकते हैं।
रक्षासूत्र बांधते समय इस श्लोक का उच्चारण करें। यह श्लोक
रक्षाबंधन का अभीष्ट मंत्र है ---------------
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-------
'येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल। तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे
मा चल मा चल'
अर्थात् जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र
राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें
बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।
राखी सामान्यतः बहनें, भाई को बांधती हैं,
परंतु पुत्री द्वारा पिता, दादा, चाचा को अथवा कोई
भी किसी से भी संबंध मधुर
बनाने की भावना से, सुरक्षा की कामना के साथ
रक्षासूत्र बांध सकता है। प्रकृति संरक्षण के लिए
वृक्षों को राखी बांधने
की परंपरा भी प्रारंभ हो गई है।
सनातन परंपरा में किसी भी कर्मकांड व
अनुष्ठान की पूर्णाहुति बिना रक्षा सूत्र बांधे
पूरी नहीं होती।
प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियां और महिलाएं
पूजा की थाली सजाती हैं।
थाली में राखी के साथ
रोली या हल्दी, चावल, दीपक व
मिष्ठान्न आदि होते हैं। पहले अभीष्ट देवता और कुल
देवता की पूजा की जाती है,
इसके बाद रोली या हल्दी से भाई
का टीका करके
उसकी आरती उतारी जाती है
व दाहिनी कलाई पर
राखी बांधी जाती है। भाई, बहन
को उपहार अथवा शुभकामना प्रतीक कुछ न कुछ भेंट
अवश्य देते हैं और
उनकी रक्षा की प्रतिज्ञा लेते हैं।
यह एक ऐसा पावन पर्व है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते
को पूरा आदर और सम्मान देता है। रक्षाबंधन के अनुष्ठान के
पूरा होने तक व्रत रखने की भी परंपरा है।
अनुसार बांधें राखी, बनाएं भाई को भाग्यशाली
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रक्षाबंधन का पर्व सभी पर्वों से
बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन बहन अपने
भाई को रक्षासूत्र बांधती है। इसके फलस्वरूप भाई
अपनी श्रद्धानुसार बहन को उपहार देकर
उसकी रक्षा का वचन देता है।
राखी का बंधन कई युगों से चला आ रहा है।
द्रौपदी जब संकट की घडी़ में
दुशास्सन द्वारा भरी सभा में चीरहरण
किया जा रहा था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने
ही द्रौपदी की लाज
रखी थी।
भगवान श्रीकृष्ण जब शीशुपाल का वध
अपने सुदर्शन चक्र से करते वक्त
उनकी तर्जनी अंगुली क्षतिग्रस्त
हो गई थी व उससे रूधीर बह रहा था। तब
द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू
फाड़ कर अंगुली में बांधा था, उसी का ऋण
श्रीकृष्ण ने चीरहरण के वक्त
चीर बढ़ा कर किया।
इसी बात को आज के युग में जब बहन
किसी संकट में हो तो भाई से रक्षा की आस
करती है।
आइए जानते हैं रक्षाबंधन के पावन त्योहार पर आपका रक्षा सूत्र
कैसा हो। ज्योतिषानुसार अपने भाई की राशिनुसार
यदि राखी का चयन करें तो वह सूत्र भाई के लिए
कल्याणकारी होगा
* मेष या वृश्चिक राशि होने पर लाल रंग
की या गुलाबी राखी का चयन करें।
* वृषभ या तुला राशि वालों के लिए
चांदी की राखी या सिल्वर कलर
की राखी का चयन उपयोगी होगा।
* मिथुन या कन्या राशि वाले भाइयों के लिए बहन हरा,
नीला, गुलाबी,
सुनहरी रंगों का चयन कर सकती हैं।
* कर्क राशि वालों के लिए सफेद, क्रीम, पीला,
नारंगी, फाल्साई रंगों का चयन शुभ रहेगा।
* सिंह राशि वालों के लिए गुलाबी, नारंगी,
सुनहरी, नीले-काले रंगों को छोड़ कर
सभी रंगों का चयन कर सकती हैं।
* धनु या मीन राशि वालों के लिए केसरिया, पीला,
नारंगी, फाल्साई, सुनहरी, हल्का लाल जैसे
रंग शुभ रहेंगे।
* मकर व कुंभ राशिवालों के लिए आसमानी,
नीला, फिरोजी, हरा शुभ रहेगा।
इस प्रकार रंगों का चयन कर राखी के इस पवित्र पावन
अवसर को यादगार और भाग्यवर्धक बना सकते हैं।
रक्षासूत्र बांधते समय इस श्लोक का उच्चारण करें। यह श्लोक
रक्षाबंधन का अभीष्ट मंत्र है ---------------
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'येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल। तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे
मा चल मा चल'
अर्थात् जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र
राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें
बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।
राखी सामान्यतः बहनें, भाई को बांधती हैं,
परंतु पुत्री द्वारा पिता, दादा, चाचा को अथवा कोई
भी किसी से भी संबंध मधुर
बनाने की भावना से, सुरक्षा की कामना के साथ
रक्षासूत्र बांध सकता है। प्रकृति संरक्षण के लिए
वृक्षों को राखी बांधने
की परंपरा भी प्रारंभ हो गई है।
सनातन परंपरा में किसी भी कर्मकांड व
अनुष्ठान की पूर्णाहुति बिना रक्षा सूत्र बांधे
पूरी नहीं होती।
प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियां और महिलाएं
पूजा की थाली सजाती हैं।
थाली में राखी के साथ
रोली या हल्दी, चावल, दीपक व
मिष्ठान्न आदि होते हैं। पहले अभीष्ट देवता और कुल
देवता की पूजा की जाती है,
इसके बाद रोली या हल्दी से भाई
का टीका करके
उसकी आरती उतारी जाती है
व दाहिनी कलाई पर
राखी बांधी जाती है। भाई, बहन
को उपहार अथवा शुभकामना प्रतीक कुछ न कुछ भेंट
अवश्य देते हैं और
उनकी रक्षा की प्रतिज्ञा लेते हैं।
यह एक ऐसा पावन पर्व है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते
को पूरा आदर और सम्मान देता है। रक्षाबंधन के अनुष्ठान के
पूरा होने तक व्रत रखने की भी परंपरा है।
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