Tuesday, March 29, 2016

बदलें..हस्ताक्षर/ सिग्नेचर द्वारा .. किस्मत

/भाग्य
हस्ताक्षर का प्रभाव(लाभ-हानि)…
किस्मत/भाग्य बदलें..हस्ताक्षर/ सिग्नेचर द्वारा ..
हस्ताक्षर का प्रभाव(लाभ-हानि)…
हस्ताक्षर या लिखावट से हमारा सीधा संबंध मानसिक
विचारों से होता है यानी हम जो सोचते हैं, करते हैं,
जो व्यवहार में लाते हैं,वह सब अवचेतन रूप में कागज पर
अपनी लिखावट व हस्ताक्षर के द्वारा प्रदर्शित कर
देते हैं। हस्ताक्षर हमारे व्यवहार, समय, जीवन
और चरित्र का दर्पण है। व्यक्ति के हस्ताक्षर को देखकर
जीवन के प्रति उसकी सोच और दूसरों के
प्रति उसके व्यवहार का अनुमान लगाया जा सकता है। हस्ताक्षर
से किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का विश्लेषण करने के
लिए यह आवश्यक है कि हस्ताक्षर बिना रुके होना चाहिए
अर्थात हस्ताक्षर पूर्ण गति में बिना कलम रोके हो, ऐसा
हस्ताक्षर ‘‘विश्लेषण’’ के लिए सबसे अच्छा हस्ताक्षर माना
जाता है। हस्ताक्षर विज्ञान पद्धति का प्रयोग जीवन
के लगभग सभी क्षेत्रों में किया जा सकता है। इनमें से
कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं- कानूनी विवाद, शैक्षणिक
क्षेत्र, कर्मचारियों का चुनाव, स्वयं की पहचान, कैरियर
का मार्गदर्शन, जीवन साथी का चुनाव।
विनियोजन, बौद्धिक मानसिकता, उतावलापन, तर्क शक्ति को दर्शाते हैं
व्यक्ति विशेष के चरित्र, गुण, अवगुण, तथा जीवन का
संक्षिप्त विवरण दर्शाते हैं स्वास्थ्य, उदासीनता,
प्रसन्नता, उत्साह, स्फूर्ति, भावनात्मकता, आत्मविश्वास, नेतृत्व
शक्ति, मिलनसारिता, आचरण एवं परिपक्वता को दर्शाते हैं
आत्मनिर्णय शक्ति, आत्मविश्वास, नेतृत्व शक्ति को
दर्शाती हैं नम्रता-शत्रुता, गुण-अवगुण, आत्मबल,
कल्पना शक्ति, प्रतिभा शक्ति और आचरण को दर्शाती
है
जिस प्रकार संसार में किन्हीं दो व्यक्तियों के साथ
की रेखाएँ एक-सी नहीं
होतीं, उसी प्रकार किन्हीं दो
व्यक्तियों के हस्ताक्षर भी एक-से नहीं
हो सकते। कोई अक्षरों पर सीधी लाइन
खींचता है तो कोई बिना लाइन के ही
अक्षर लिखता चला जाता है। किसी के अक्षरों पर
टूटती हुई लाईन बढ़ती चली
जाती है तो किसी के अक्षरों पर लहरियेदार
पंक्ति बनती चली जाती है।
व्यक्ति के हस्ताक्षर उसके अन्तर्बाह्वा का सजीव
प्रतिबिम्ब है, कागज़ पर अंकित उसका व्यक्तित्व है, जो चिरस्थाई
है, अमिट है और अपने आप में उसके जीवन का
सम्पूर्ण इतिवृत्त समेटे हुए है।यदि आप भी
हस्ताक्षर करते समय कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो
आपकी किस्मत भी
चमकसकती है।
आज अधिकांश लोगों की समस्या होती है
कि उनके पास पर्याप्त पैसा नहीं है। दिन-रात मेहनत
करके धन तो खूब कमाते हैं परंतु बचत नहीं हो
पाती और जब पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत
होती है तब कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
क्या आप जानते हैं धन संबंधी मामलों में आपके
हस्ताक्षर भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका
निभाते हैं। गलत तरीके से सिग्नेचर करने पर दुष्प्रभाव
का सामना करना पड़ता है। जबकि जो लोग सही
तरीके से हस्ताक्षर करते हैं उनकी
किस्मत में चार चांद लग जाते हैं।
अक्षर व साइन सही कर व्यक्तित्व को आकर्षक
बनाया जा सकता है। ग्राफोलॉजी व
ग्राफोथैरेपी के जरिए आप अपनी स्वास्थ्य
संबंधी समस्याओं को भी कम कर सकते
हैं व करियर में भी तरक्की पा सकते हैं।
ग्राफोलॉजी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘ग्राफो’
ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है लिखावट या राइटिंग
और ‘लॉजी’ शब्द का अर्थ है विज्ञान
की शाखा। ‘सिगनेचर’ का अर्थ है साइन ऑफ नेचर।
अक्षर व हस्ताक्षर बदलकर व सुधारकर आप कई प्रकार से
लाभान्वित हो सकते हैं। यह ग्राफोथैरेपी कहलाता
है।
आजकल कई बड़ी कंपनियां अपने यहां ग्राफोलॉजिस्ट
रखती हैं। ग्राफोलॉजिस्ट कर्मचारियों की
लिखावट विश्लेषित करके मैनेजमेंट को सुझाव देते हैं। ये सुझाव
संस्था के लाभ को बढ़ाने में सहायक होते हैं। यदि आप
किसी संस्था में कार्य करते हैं या आपका स्वयं का
व्यापार है तो आप साइन को अधिक दर्शनीय व सुघड़
बनाकर अपने क्षेत्र में तरक्की पा सकते हैं।
कैसे हो आदर्श हस्ताक्षर/ सिग्नेचर???
साइन अधिक से अधिक लंबे व सुस्पष्ट हो।
आप हिन्दी में साइन करें या अंग्रेजी में,
साइन का पहला अक्षर सबसे बड़ा, अलग व कलात्मक हो।
साइन को लगभग 45 डिग्री का कोण बनाते हुए ऊपर
की ओर जाते हुए होना चाहिए।
जितनी लंबी साइन उतनी
ही बराबर लंबी व समांतर लाइन साइन के
नीचे अवश्य खींचें।
साइन का कोई भी अक्षर नीचे
वाली लाइन से न काटें।
साइन करने के बाद या अंत में अनावश्यक बिन्दी न
लगाएं।
साइन के पहले अक्षर को गोल न करें।
कभी भी जल्दबाजी में साइन न
करें।
रोज कम से कम एक पेज जरूर लिखें व अक्षरों को अधिक से अधिक
स्पष्ट व सुन्दर बनाएं।
ग्राफोलॉजी इनमें भी है
उपयोगी :-
बॉस व मातहतों के संबंध सुधारने में।
पति-पत्नी के संबंध बेहतर करने में।
विद्यार्थियों को परीक्षा में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने में।
दोस्ती में प्रगाढ़ता बढ़ाने में।
किसी भी कंपनी में रिक्रूटमेंट
में।
सही करियर ऑप्शन जानने में।
आज अधिकांश लोगों की समस्या होती है
कि उनके पास पर्याप्त पैसा नहीं है। दिन-रात मेहनत
करके धन तो खूब कमाते हैं परंतु बचत नहीं हो
पाती और जब पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत
होती है तब कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
क्या आप जानते हैं धन संबंधी मामलों में आपके
हस्ताक्षर भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका
निभाते हैं। गलत तरीके से सिग्नेचर करने पर दुष्प्रभाव
का सामना करना पड़ता है। जबकि जो लोग सही
तरीके से हस्ताक्षर करते हैं उनकी
किस्मत में चार चांद लग जाते हैं।
क्या आप जानते हैं धन संबंधी मामलों में आपके
हस्ताक्षर भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका
निभाते हैं। गलत तरीके से सिग्नेचर करने पर दुष्प्रभाव
का सामना करना पड़ता है। जबकि जो लोग सही
तरीके से हस्ताक्षर करते हैं उनकी
किस्मत में चार चांद लग जाते हैं।
पैसों की कमी से बचने के लिए ज्योतिष
शास्त्र में हस्ताक्षर के संबंध में कुछ ध्यान रखने योग्य बातें बताई
हैं। इन बातों को अपनाने से कुछ दिनों में धन संबंधी
परेशानियों को कम किया जा सकता है।
आप बहुत धन कमाते है और फिर भी बचत
नहीं होती है तो अपने हस्ताक्षर के
नीचे की ओर पूरी लाईन
खीचें तथा उसके नीचे दो बिंदू बना दें, इन
बिंदुओं को धन बढऩे के साथ-साथ बढ़ाते रहें। याद रखें अधिकतम
छ: बिंदू लगाने जा सकते हैं। इसके साथ ही प्रतिदिन
माता-पिता से पैर छूकर आशीर्वाद लें। सभी
का सम्मान करें।
धन संबंधी काम हो या अन्य कोई सामाजिक कार्य हमें
जीवन में कई बार हस्ताक्षर करने होते हैं। यदि
हस्ताक्षर सही हैं यानि ज्योतिष के अनुसार शुभ हैं
तो आपको पैसों के संबंध में उन्नति प्राप्त होती है।
जबकि गलत और दोषपूर्ण हस्ताक्षर करने पर पैसों
की तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
ज्योतिष के अनुसार हस्ताक्षर के संबंध में कई महत्वपूर्ण नियम
बताए गए हैं।
हस्ताक्षर आपके व्यक्तित्व को प्रदर्शित करते हैं।
इसी वजह से इस संबंध में पूरी
सावधानी रखनी चाहिए। धन बढ़ाने के लिए
ऊपर बताई गई बातों को अपनाएंगे तो लाभ अवश्य होगा। कुछ
ही समय में आप सकारात्मक परिणाम अवश्य प्राप्त
करेंगे।हस्ताक्षर से किसी भी व्यक्ति का
स्वभाव और विचार भी मालूम किए जा सकते हैं
जो लोग हस्ताक्षर का पहला अक्षर बड़ा लिखते हैं वे विलक्षण
प्रतिभा के धनी होते हैं। ऐसे लोग किसी
भी कार्य को अपने ही अलग अंदाज से
पूरा करते हैं। पहला अक्षर बड़ा बनाने के बाद अन्य अक्षर
छोटे-छोटे और सुंदर दिखाई देते हों तो व्यक्ति धीरे-
धीरे किसी खास मुकाम पर पहुंच जाता है।
ऐसे लोगों को जीवन में सभी सुख-सुविधाएं
प्राप्त हो जाती हैं।
जो लोग बुरी तरह से, जल्दी-
जल्दी और अस्पस्ट हस्ताक्षर करते हैं वे
जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना
करते हैं। ऐसे लोग सुखी जीवन
नहीं जी पाते हैं। हालांकि ऐसे लोगों में
कामयाब होने की चाहत बहुत अधिक
होती है और इसके लिए वे श्रम भी करते
हैं। ये लोग किसी को धोखा भी दे सकते हैं।
इनका चतुर होता है इसी वजह से इन्हें कोई धोखा
नहीं दे सकता
कुछ लोग अपने हस्ताक्षर को तोड़-मरोड़ कर या टुकड़े-टुकड़े में
करते हैं, हस्ताक्षर के शब्द छोटे-छोटे और अस्पष्ट होते हैं
जो कि आसानी से समझ नहीं आते हैं।
ऐसे लोग सामान्यत: बहुत ही चालाक होते हैं। ये लोग
अपने काम से जुड़े राज किसी के सामने जाहिर
नहीं करते हैं। कभी-कभी ये
लोग गलत रास्तों पर भी चल देते हैं और
किसी को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।
जो लोग कलात्मक और आकर्षक हस्ताक्षर करते हैं वे
रचनात्मक स्वभाव के होते हैं। उन्हें किसी
भी कार्य को कलात्मक ढंग से करना पसंद होता है।
ऐसे लोग किसी न किसी कार्य में हुनरमंद
होते हैं। इन लोगों के काम करने का तरीका अन्य लोगों
से एकदम अलग होता है। ऐसे हस्ताक्षर वाले लोग पेंटर या कोई
कलाकार भी हो सकते हैं।
कुछ लोग हस्ताक्षर के नीचे दो लाइन
खींचते हैं। जो ऐसे सिग्नेचर करते हैं उनमें असुरक्षा
की भावना अधिक होती है। ऐसे लोग
किसी भी कार्य में सफलता को लेकर संशय
में रहते हैं। खर्च करने में इन्हें काफी बुरा महसूस
होता है अर्थात् ये लोग कंजूस भी हो सकते हैं।
जो लोग हस्ताक्षर करते समय नाम का पहला अक्षर थोड़ा और पूरा
उपनाम लिखते हैं वे अद्भुत प्रतिभा के धनी होते हैं।
ऐसे लोग जीवन में सभी सुख-सुविधाएं
प्राप्त करते हैं। ईश्वर में आस्था रखने वाले और धार्मिक कार्य
करना इनका स्वभाव होता है। ऐसे लोगों का वैवाहिक
जीवन भी सुखी होता है।
जिन लोगों के हस्ताक्षर एक जैसे लयबद्ध नहीं
दिखाई देते हैं वे मानसिक रूप से अस्थिर होते होते हैं। इन्हें
मानसिक कार्यों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता
है।
जिन लोगों के हस्ताक्षर सामान्यरूप से कटे हुए दिखाई देते हैं वे
नकारात्मक विचारों वाले होते हैं। इन्हें किसी
भी कार्य में असफलता पहले नजर आती
है।
हस्ताक्षर आपके व्यक्तित्व को प्रदर्शित करते हैं।
इसी वजह से इस संबंध में पूरी
सावधानी रखनी चाहिए। धन बढ़ाने के लिए
ऊपर बताई गई बातों को अपनाएंगे तो लाभ अवश्य होगा। कुछ
ही समय में आप सकारात्मक परिणाम अवश्य प्राप्त
करेंगे।
हस्ताक्षर से किसी भी व्यक्ति का
स्वभाव और विचार भी मालूम किए जा सकते हैंजो लोग
हस्ताक्षर का पहला अक्षर बड़ा लिखते हैं वे विलक्षण प्रतिभा
के धनी होते हैं। ऐसे लोग किसी
भी कार्य को अपने ही अलग अंदाज से
पूरा करते हैं। पहला अक्षर बड़ा बनाने के बाद अन्य अक्षर
छोटे-छोटे और सुंदर दिखाई देते हों तो व्यक्ति धीरे-
धीरे किसी खास मुकाम पर पहुंच जाता है।
ऐसे लोगों को जीवन में सभी सुख-सुविधाएं
प्राप्त हो जाती हैं।जो लोग हस्ताक्षर करते समय
नाम का पहला अक्षर थोड़ा और पूरा उपनाम लिखते हैं वे अद्भुत
प्रतिभा के धनी होते हैं। ऐसे लोग जीवन
में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करते हैं। ईश्वर में
आस्था रखने वाले और धार्मिक कार्य करना इनका स्वभाव होता है।
ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन भी
सुखी होता है।
अगर आप किसी के साथ बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं
तो सबसे पहले उसका हस्ताक्षर परख लें। हस्ताक्षर से
पता लग जाएगा कि व्यक्ति आपके प्रति ईमानदार होगा या मौके पर
अपने मतलब के लिए साथ छोड़ सकता है। लेखन विज्ञान
यानी कैलीग्राफी के अनुसार
किसी भी व्यक्ति के गुण-दोषों एवं चरित्र
को उसकी हस्ताक्षर से जाना जा सकता है।
मन का आइना है हस्ताक्षर……
कैलीग्राफ एक्सपर्ट बताते हैं कि व्यक्ति के सूक्ष्म
मस्तिष्क में जो भाव रहता हैं वह उसकी लिखाई में
उभर कर आता हैं। व्यक्ति क्या सोचता है और उसकी
भावना कैसी है यह व्यक्ति की लिखाई में
स्पष्ट नजर आता है। कुछ कंपनियों ने प्रयोग के तौर पर प्रिंटेड
रिज्यूम के साथ हाथ से लिखा रिज्यूम मांगना अथवा फार्म भरवाना शुरु
किया है। कंपनी के कैलिग्राफ एक्सपर्ट लिखावट
देखकर जांच करते हैं कि व्यक्ति का चरित्र और उसकी
सोच कैसी है।
काम को बीच में छोड़ने वाले…..
कैलिग्राफ एक्सपर्ट का कहना है कि बहुत से व्यक्ति जब साईन
करते हैं तो पहल अक्षर बड़ा होता है और धीरे-
धीरे अक्षर छोटे होते चले जाते हैं। ऎसा व्यक्ति
किसी भी कार्य की शुरुआत
बड़े ही जोश के साथ करता हैं। लेकिन
धीरे-धीरे इनकी उर्जा में
कमी आने लगती है और काम में
उनकी रूचि कम हो जाती है। ऐसे लोग एक
काम को पूरा किये बिना दूसरे काम में लग सकते हैं।
जिम्मेदारियों से कन्नी काटने वाले…..
कई व्यक्ति हस्ताक्षर में अपना सरनेम नहीं लगाते
हैं। ऎसा व्यक्ति परिवार एवं किसी अन्य के प्रति
जिम्मेदार नहीं होता है। ऐसे लोग अपने अपने मतलब
की और अपने बारे में सोचते हैं। यह
जीवन में अकेले ही आगे बढ़ने
की चाहत रखते हैं। व्यवहार कुशलता
की कमी के कारण कई बार यह समाज
और परिवार से अलग-थलग हो जाते हैं।
जो व्यक्ति अपने सरनेम के साथ पूरा हस्ताक्षर करता हैं वह
जिम्मेदार होता है। ऐसे लोग अपने से जुड़े लोगों की
सुख-सुविधाओं का ध्यान रखते हैं। व्यवहार कुशलता के कारण
इन्हें समाज और परिवार से सहयोग मिलता है।
भीड़ में पहचान कायम करना…….
कई व्यक्तियों की आदत होती है कि
हस्ताक्षर करने के बाद नीचे एक लाईन
खींच देते हैं। ऐसा व्यक्ति भीड़ में
अपनी पहचान बनाने वाला होता है। किसी
पार्टी अथवा उत्सव में अगर कोई इन पर ध्यान
नहीं देता है तो लोग का ध्यान अपनी ओर
आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह
ध्यान देने वाली बात है कि लाईन खीचने
पर कोई अक्षर कट रहा हो तो यह अच्छा नहीं
होता है। ऐसा व्यक्ति अपने निर्णय के कारण कई बार खुद का
नुकसान कर बैठते हैं।
चतुराई से काम लेने की फितरत…….
कुछ लोग अपने साईन के पहले अक्षर के ऊपर एक गोला बना देते
हैं। ऐसे व्यक्ति चतुराई से काम लेते हैं। यह किसी
भी क्षेत्र में काम करे अपने चारों ओर पहले से
ही एक सुरक्षा चक्र बनाकर चलते है ताकि कोई
उनके या उनके काम पर अंगुली ना उठा सके।
इस प्रकार आप अपने जीवन को सही
तरीके हस्ताक्षर करके सुधार सकते हें..,संवरकर
सुखमय बना सकते है….

Monday, March 28, 2016

काल पुरुष कुंडली

मेष लग्न
की
कुंडली ही कालपुरूष की
कुंडली मानी गई है और सारे ज्योतिषिय
फ़लित का आधार भी यही है. ज्योतिष को
जानने समझने के लिये हमें कालपुरूष की
कुंडली को समझना अति आवश्यक है. आईये
कालपुरूष यानि मेष लग्न की कुंडली का
यहां विचार करते हैं.
धरती के घूमने के फलस्वरूप आसमान के 360
डिग्री पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा की ओर
जाती हुई पट्टी को बारह भागों में बांटने से
तीस तीस डिग्री
की कुल बारह राशियां बनी हैं. आप
इन्हें पॄथ्वी की कक्षा को जानने समझने
के लिये माईल स्टोन की तरह भी समझ
सकते हैं.
कुंडली का अध्ययन करने के लिये लग्न अति
महत्वपूर्ण होता है तत्पश्चात चंद्रलग्न और सूर्यलग्न का
महत्व है. यह लग्न क्या है? जातक के जन्म समय पर
पूर्वी क्षितिज में जो राशि उदय हो रही
हो , उसे ही लग्न कहते हैं. 24 घंटे में एक के
पश्चात एक ये 12 ही लग्न आते हैं. और इन
बारह लग्न मे जो भी पूर्वी क्षितिज
की उदय होती हुई राशि जन्म समय में
होती है वही जातक का लग्न होता
है. एक लग्न तकरीबन दो घंटे तक रहता है.
जातक का जन्म जिस लग्न में हुआ होता है , उसी
अनुरूप उसकी कुंडली के ग्रहों का
अध्ययन करके उसके भावी जीवन के
सभी संदर्भों के बारे में भविष्य वाणी
की जा सकती है.
पॄथ्वी की कक्षा की 360
डिग्री के प्रथम भाग यानि आकाश के 0
डिग्री से 30 डिग्री तक के हिस्से को मेष
राशि के रूप में जाना जाता है. जिस जातक के जन्म के समय यह
राशि आसमान के पूर्वी क्षितिज में उदित
होती दिखे तो उस जातक लग्न मेष माना होता है. मेष
लग्न की कुंडली इस जगत और मानव
जाति को संपूर्ण रूप से अभिव्यक्त करती है. एवम
फ़लित ज्योतिष में इसको समझे बिना सटीकता से फ़ल
कथन करना असंभव है. इसकी महता को समझने के
लिये निम्न बिंदू विचारणीय हैं.
मेष लग्न की कुंडली के अनुसार मन का
स्वामी चंद्र चतुर्थ भाव का स्वामी होता
है और यह जातक की माता, संपत्ति, भूमि, भवन,
प्रेम और स्थायित्व को प्रतिनिधित्व करता है. मनुष्य के मन को
पूर्ण रूप से संतुष्ट कर सकने वाली जगह माता ,
मातृभूमि , छोटी या बडी संपत्ति, प्रेम एवम
स्थायित्व ही होता है. क्योंकि इनके अभाव में जातक
कदापि सुखी नहीं हो सकता.
इस कुंडली में समस्त जगत को प्रकाशमान रखने वाला
सूर्य पंचम भाव का स्वामी बनता है एवम यह जातक
की बुद्धि , ज्ञान और संतान का प्रतिनिधि होता है.
मनुष्य भी अपनी बुद्धि, ज्ञान एवम
समझ के बल पर या सुयोग्य संतान के बल पर ही
सारी दुनिया में रोशनी फैलाने में सक्षम
होता हैं, जबकि बुद्धि एवम ज्ञान के अभाव में या अयोग्य संतान
समस्त दुनियां को दिशाहीन कर देती है.
इसलिये इस भाव का मानव जीवन में अति महत्वपूर्ण
स्थान होता है.
इसके बाद मंगल प्रथम एवम अष्टम भाव का स्वामी
होता हुआ जातक के शरीर और जीवन
का प्रतिनिधि होता है. शरीर की देखभाल,
मजबूती देने के लिए तथा स्वास्थ्य के लिए मानव को
जीवनशैली को सुव्यवस्थित बनाए रखना
होता है. स्वास्थ्य अच्छा और नीरोग हो तो
जीवन के सही होने की
एवम स्वास्थ्य बुरा हो तो जीवन के बिगडने
की संभावना ही अधिक बनती
है. जीवनशैली गडबड हो तो स्वास्थ्य
के खराब रहने की तथा
जीवनशैली ठीक हो तो
स्वास्थ्य के अच्छे बने रहने की संभावना
बलवती होती है.
शुक्र द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी
होता है जो कि जातक के धन कोष तथा दापंत्य/
गृहस्थी का स्वामी होता है. मनुष्य को
गृहस्थी के लिए धन की तथा धन
की व्यवस्था के लिए गृहस्थी
की आवश्यकता पडती है, यानि दोनों
ही एक दूसरे के पूरक हैं. साधन और संपन्नता हो
तो गृहस्थी की गाडी
भली प्रकार दौडती है , जबकि धन के
अभाव में घर गृहस्थी का वातावरण खराब रहता है.
इसी प्रकार जीवनसाथी के
साथ सहयोग से आर्थिक स्थिति और अधिक मजबूत
होती है, जबकि ऐसा नही होने पर
आर्थिक स्थिति में कमजोरी ही दिखाई
देती है. वर्तमान युग में तो पति पत्नि दोनों
ही कामकाजी होने से ये दोनों
ही बाते भली प्रकार समझी
जा सकती हैं.
बुध तृतीय और षष्ठ भाव का स्वामी है
और यह जातक के भाई बंधु, झंगडा एवम प्रभाव से संबंधित मामलों
का स्वामी होता है. मनुष्य के जीवन में
भाई, बंधुओं के बीच झंझट झगडे होने
की अतिशय संभावना बनी ही
रहती है एवम किसी भी
झंगडे को निपटाने के लिये भाई बंधुओं का सहयोग भी
अति आवश्यक होता है. अगर जातक के भाई बंधुओं
की स्थिति मजबूत होकर वो सक्षम हों तो कई प्रकार
के झंझट विवादों को निपटाने में वे प्रभाव का उपयोग करके मददगार
भी हो सकते हैं. अगर यह कमजोर हो तो न तो
झंझट झगडे निपटते हैं और ना ही प्रभाव में कोई
बढोतरी होने की संभावना
बनती है. जिसके पास झंझट झगडे निपटाने
की ताकत मौजूद हो तो उन्हें भाई बंधुओं
की कभी कमी
भी नहीं रहती.
बृहस्पति यानि गुरू नवम और द्वादश भाव का अधिपति होता है
एवम यह जातक के धर्म, भाग्य, खर्च और बाहरी
संदर्भों को अभिव्यक्त करता है. मानव जीवन में
भाग्य और खर्च का पारस्परिक अदभुत संबंध होता है. जातक
भाग्य की मजबूती की वजह
से खर्च करने की शक्ति या बाहरी
संदर्भों की श्रेष्ठता प्राप्त करते हैं एवम खर्च
करने की शक्ति या बाहरी संदर्भों
की प्रबलता से भाग्य भी प्रबल होता
हैं. अगर भाग्य कमजोर हो तो खर्च शक्ति या बाह्य संदर्भों में
न्य़ुनता और खर्च करने की शक्ति न्यून हो तो भाग्य
भी निर्बल होता है.
शनि दशम और एकादश भाव का होकर यह जातक के पिता पक्ष ,
प्रतिष्ठा पक्ष और सर्व प्रकार के लाभ को अभिव्यक्त करता है.
मानव जीवन में पिता पक्ष और लाभ का आपस में
संबंध होता है. यह कोई बताने वाली बात
नही हैं कि एक बच्चे को समाज में पहचान पिता के
नाम से ही मिलती है, पिता के स्तर के
अनुरूप ही उसे पद और प्रतिष्ठा मिलती
है तदनुरूप ही उसके लाभ का माहोल होता है. इसे
यूं भी कहा जा सकता है कि लाभ के वातावरण के दॄढ
होने पर ही किसी जातक को समाज में
प्रतिष्ठा मिल पाती है और प्रतिष्ठा मिल जाने पर लाभ
प्राप्ति का वातावरण और अधिक मजबूत बन जाता है.