कुत्ता आज के जमाने में प्रत्येक घर में मिल जाता है,और
सभी को पता है कि कुत्ता की अतीन्द्रिय जागृत
होती है,किसी भी होनी अनहोनी को वह
जानता है,अद्र्श्य आत्मा को देखने और
किसी भी बदलाव को सूंघ कर जान लेने
की क्षमता कुत्ते के अन्दर होती है,कुत्ते को दरवेश
का दर्जा दिया गया है,समय असमय को बताने में
कुत्ता अपनी भाषा में इन्सान को बताने की कोशिश
करता है,और जो कुत्ते की भाषा को समझते है,वे
अनहोनियों से बचे रहते है,और जो मूर्ख होते है,और अपने
को जबरदस्ती हानि की तरफ़ ले जाना चाहते है वे
उसकी भाषा को बकवास कह कर टाल देते
है,कुत्ता अगर यात्रा के शुरु करते ही किसी कचडे पर
पेशाब करता है,तो जान लीजिये कि यात्रा या शुरु
किया जाने वाला कार्य सफ़ल
है,यदि किसी सूखी लकडी पर पेशाब
करता है,तो भौतिक धन की प्राप्ति होती है,अगर
कुत्ता कांटेदार झाड पर,पत्थर या राख पर पेशाब करने
के बाद काम शुरु करने वाले के आगे चल दे तो वह कार्य
खराब हो जाता है,यदि कुत्ता किसी कपडे को लाकर
सामने खडा हो तो समझना चाहिये कि कार्य सफ़ल
है,यदि कुत्ता कार्य शुरु करने वाले के पैर चाटे,कान
फ़डफ़डाये,अथवा काटने को दौडे तो समझना चाहिये
कि सामने काफ़ी बाधायें आ
रही है,यदि कुत्ता यात्रा के समय या काम शुरु करने के
समय अपने शरीर को खुजलाना चालू कर दे तो जान
लेना चाहिये के वह कार्य करने अथवा यात्रा पर जाने
से मना कर रहा है,यदि कुत्ता किसी कार्य को शुरु
करते वक्त या यात्रा पर जाते वक्त चारों पैर ऊपर
की तरफ़ करके सोये तो भी कार्य
या यात्रा नही करनी चाहिये,यदि गली मोहल्ले के
आवारा कुत्ते किसी भी समय ऊपर की तरफ़ मुंह करके
रोना चालू करें तो समझना चाहिये कि उस
गली या मोहल्ले के प्रमुख व्यक्ति पर कोई मुशीबत आने
वाली है,यात्रा करने के साथ या काम करने के साथ
कुत्ते आपस में लड पडें तो भी काम या यात्रा में विघ्न
पैदा होता है,कुत्ते के कान फ़डफ़डाने का समय
सभी कामों के लिये त्यागने में ही भलाई
होती है,कुत्ता अगर बैचैन होकर इधर उधर भागना चालू
करे,तो समझना चाहिये कि कोई आकस्मिक मुशीबत आ
रही है,किसी बात को सोचने के पहले या धन खर्च करते
वक्त अगर कुत्ता अपनी पूंछ को पकडने की कोशिश
करता है,तो मान लेना चाहिये कि आपने अपने भविष्य
के लिये नही सोचा है,और खर्च करने के बाद
पछताना पडेगा,कुत्ता अगर सुबह के समय लान
या बगीचे में घास खा रहा हो तो समझ लेना चाहिये
कि घर के अन्दर जो खाना बना है,उसमे किसी प्रकार
इन्फ़ेक्सन है,कुत्ता अगर जूता लेकर भाग
रहा हो तो समझना चाहिये कि वह बाहर जाने से
रोक रहा है,लडकी के अपने ससुराल जाने के वक्त अगर
कुत्ता रोना चालू कर दे,तो समझना चाहिये
कि लडकी को ससुराल से वापस आने में संदेह
है,कुत्ता अगर मालिक के पैर के पास जाकर सोना चालू
कर दे तो समझना चाहिये कि घर में किसी सदस्य के
आने का संकेत है,कुत्ता अगर अपने खुद के पैर
चाटना चालू करे तो यात्राओं की शुरुआत
समझनी चाहिये,कुत्ता अगर एकान्त में बैठना चालू कर
दे,और बुलाने से आने में आनाकानी करे
तो समझना चाहिये कि घर मे किसी सदस्य के
लम्बी बीमारी में जाने का संकेत है,कुत्ता अगर पूंछ
नीचे डालकर मुख्य दरवाजे के पास कुछ खोजने
का प्रयत्न कर रहा हो तो समझना चाहिये कि कोई
कर्जा मांगने वाला आ रहा है,कुत्ता अगर भोजन करते
वक्त बार बार बाहर और अन्दर भाग
रहा हो तो समझना चाहिये कि भोजन और कोई करने
आने वाला है.
Monday, December 11, 2017
कुत्ते के शगुन
Friday, December 1, 2017
ऐसे जाने पुर्वजन्म को
ऐसे जानें पूर्वजन्म को
हमारा संपूर्ण जीवन स्मृति-विस्मृति के चक्र में फंसा रहता है। उम्र के साथ स्मृति का घटना शुरू होता है, जोकि एक प्राकृति प्रक्रिया है, अगले जन्म की तैयारी के लिए। यदि मोह-माया या राग-द्वेष ज्यादा है तो समझों स्मृतियां भी मजबूत हो सकती है। व्यक्ति स्मृति मुक्त होता है तभी प्रकृति उसे दूसरा गर्भ उपलब्ध कराती है। लेकिन पिछले जन्म की सभी स्मृतियां बीज रूप में कारण शरीर के चित्त में संग्रहित रहती है। विस्मृति या भूलना इसलिए जरूरी होता है कि यह जीवन के अनेक क्लेशों से मुक्त का उपाय है।
योग में अष्टसिद्धि के अलावा अन्य 40 प्रकार की सिद्धियों का वर्णन मिलता है। उनमें से ही एक है पूर्वजन्म ज्ञान सिद्धि योग। इस योग की साधना करने से व्यक्ति को अपने अगले पिछले सारे जन्मों का ज्ञान होने लगता है। यह साधना कठिन जरूर है, लेकिन योगाभ्यासी के लिए सरल है।
कैसे जाने पूर्व जन्म को : योग कहता है कि सर्व प्रथम चित्त को स्थिर करना आवश्यक है तभी इस चित्त में बीज रूप में संग्रहित पिछले जन्मों का ज्ञान हो सकेगा। चित्त में स्थित संस्कारों पर संयम करने से ही पूर्वन्म का ज्ञान होता है। चित्त को स्थिर करने के लिए सतत ध्यान क्रिया करना जरूरी है।
जाति स्मरण का प्रयोग : जब चित्त स्थिर हो जाए अर्थात मन भटकना छोड़कर एकाग्र होकर श्वासों में ही स्थिर रहने लगे, तब जाति स्मरण का प्रयोग करना चाहिए। जाति स्मरण के प्रयोग के लिए ध्यान को जारी रखते हुए आप जब भी बिस्तर पर सोने जाएं तब आंखे बंद करके उल्टे क्रम में अपनी दिनचर्या के घटनाक्रम को याद करें। जैसे सोने से पूर्व आप क्या कर रहे थे, फिर उससे पूर्व क्या कर रहे थे तब इस तरह की स्मृतियों को सुबह उठने तक ले जाएं।
दिनचर्या का क्रम सतत जारी रखते हुए ‘मेमोरी रिवर्स’ को बढ़ाते जाए। ध्यान के साथ इस जाति स्मरण का अभ्यास जारी रखने से कुछ माह बाद जहां मोमोरी पॉवर बढ़ेगा, वहीं नए-नए अनुभवों के साथ पिछले जन्म को जानने का द्वार भी खुलने लगेगा। जैन धर्म में जाति स्मरण के ज्ञान पर विस्तार से उल्लेख मिलता है।
क्यों जरूरी ध्यान : ध्यान के अभ्यास में जो पहली क्रिया सम्पन्न होती है वह भूलने की, कचरा स्मृतियों को खाली करने की होती है। जब तक मस्तिष्क कचरा ज्ञान, तर्क और स्मृतियों से खाली नहीं होगा, नीचे दबी हुई मूल प्रज्ञा जाग्रत नहीं होगी। इस प्रज्ञा के जाग्रत होने पर ही जाति स्मरण ज्ञान (पूर्व जन्मों का) होता है। तभी पूर्व जन्मों की स्मृतियां उभरती हैं।
सावधानी : सुबह और शाम का 15 से 40 मिनट का विपश्यना ध्यान करना जरूरी है। मन और मस्तिष्क में किसी भी प्रकार का विकार हो तो जाति स्मरण का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह प्रयोग किसी योग शिक्षक या गुरु से अच्छे से सिखकर ही करना चाहिए। सिद्धियों के अनुभव किसी आम जन के समक्ष बखान नहीं करना चाहिए। योग की किसी भी प्रकार की साधना के दौरान आहार संयम जरूरी रहता है।