Friday, June 12, 2020

सनातन के दस नियम

हिन्दू धर्म की दस अनमोल बातें जो हर हिन्दू को जानना आवश्यक है?

हिंदुत्व केवल एक धर्म ही नहीं है बल्कि यह एक सफल जीवन जीने का तरीके के रूप में भी देखा जा सकता है. हिन्दू धर्म की अनेको विशेषताएं है तथा इसे सनातन धर्म की भी उपाधि दी गई है।

भागवत गीता में सनातन का अभिप्राय बताते हुए कहा गया है की सनातन वह है जो न तो अग्नि, न वायु, न पानी तथा न अस्त्र से नष्ट हो सकता है यह तो वह है जो दुनिया में स्थित हर सजीव एवं निर्जीव में व्याप्त है. धर्म का अर्थ होता है जीवन को जीने की कला. हिन्दू सनातन धर्म की जड़े आध्यात्मिक विज्ञान में है।

सम्पूर्ण हिन्दू शास्त्र में विज्ञान एवं अध्यात्म के संबंध में बाते बताई गई है. यजुर्वेद के चालीसवें अध्याय में ऐसा वर्णन आया है की जीवन की सभी समस्याओं का समाधान विज्ञान एवं आध्यात्मिक समस्याओं के लिए अविनाशी दर्शनशास्त्र का उपयोग करना चाहिए।

आज हम आपको हिन्दू धर्म से जुडी 10 ऐसे महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताएंगे जिनका महत्व हर हिन्दू धर्म से जुड़े व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है. यह ऐसी जानकारी है जो किसी भी व्यक्ति को हिन्दू धर्म को समझने में मदद कर सकता है।

हिन्दू सनातन धर्म में बताये गए 10 कर्तव्य 
1 . सन्ध्यावादन, 2 . व्रत, 3 . तीर्थ, 4 . संस्कार, 5 . उत्सव, 6 . दान, 7 .सेवा, 8 यज्ञ पाठ, 9 .वेद पाठ, 10 . धर्म प्रचार .

10 सिद्धांत 
1 .एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति अर्थात एक ही ईश्वर है दुसरा नहीं।
2 . आत्मा अमर है।
3 .पुनर्जन्म होता है।
4 मोक्ष ही जीवन का लक्ष्य है।
5 . संस्कारबद्ध जीवन ही जीवन है।
6 . कर्म का प्रभाव होता है, जिसमें से ‍कुछ प्रारब्ध रूप में होते हैं इसीलिए कर्म ही भाग्य है।
7 . ब्रह्माण्ड अनित्य और परिवर्तनशील है।
8 . संध्यावंदन- ध्यान ही सत्य है।
9 . दान ही पूण्य है।
10 . वेदपाठ और यज्ञकर्म ही धर्म है।

10 महत्वपूर्ण कार्य
1.प्रायश्चित करना,
2.उपनयन, दीक्षा देना-लेना,
3.श्राद्धकर्म,
4.बिना सिले सफेद वस्त्र पहनकर परिक्रमा करना,
5.शौच और शुद्धि,
6.जप-माला फेरना,
7.व्रत रखना,
8.दान-पुण्य करना,
9.धूप, दीप या गुग्गल जलाना,
10.कुलदेवता की पूजा.

ये हे 10 उत्सव
नवसंवत्सर, मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, पोंगल-ओणम, होली, दीपावली, रामनवमी, कृष्ण जन्माष्‍टमी, महाशिवरात्री और नवरात्रि. इनके बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करें.

सनातन धर्म से जुडी 10 महत्वपूर्ण पूजाएं 
गंगा दशहरा, आंवला नवमी पूजा, वट सावित्री, दशामाता पूजा, शीतलाष्टमी, गोवर्धन पूजा, हरतालिका तिज, दुर्गा पूजा, भैरव पूजा और छठ पूजा. ये कुछ महत्वपूर्ण पूजाएं है जो हिन्दू करता है. हालांकि इनके पिछे का इतिहास जानना भी जरूरी है.

सनातन धर्म के 10 पवित्र पेय 

1.चरणामृत, 2.पंचामृत, 3.पंचगव्य, 4.सोमरस, 5.अमृत, 6.तुलसी रस, 7.खीर, 9.आंवला रस और 10.नीम रस . आप इनमे से कितने रस का समय समय पर सेवन करते है ? ये सभी रस अमृत के समान माने जाते है.

हिन्दू धर्म में प्रयोग किये जाने वाले 10 फूल 

1.आंकड़ा, 2.गेंदा, 3.पारिजात, 4.चंपा, 5.कमल, 6.गुलाब, 7.चमेली, 8.गुड़हल, 9.कनेर, और 10.रजनीगंधा. हर देवी दवताओं को अलग अलग प्रकार के फूलों को अर्पित किया जाता है. परन्तु आज के युग में लोग देवी देवताओ पर गुलाब एवं गेंदे का पुष्प चढ़ाकर ही इतिश्री कर लेते जो की पुराणों में गलत बताया गया है.

ये है 10 धर्मिक स्थल 
12 ज्योतिर्लिंग,
51 शक्तिपीठ,
7 पूरी,
7 नगरी,
4 धाम,
4 मठ,
10 पर्वत, 10 गुफाएं,
5 सरोवर,
10 समाधि स्थल,
4 आश्रम.

10 महाविद्याए 

1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4. भुवनेश्‍वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला.
बहुत कम लोग जानते हैं कि ये 10 देवियां कौन है. नवदुर्गा की पूजा के पश्चात इन 10 देवियो के पूजा इनके बारे में विस्तृत ढंग से जानने के पश्चात ही करनी चाहिए. बहुत से व्यक्ति इन 10 विद्याओं की पूजा भगवान शिव की पत्नी के रूप में की जाती जो की अनुचित है.

10 यम नियम 
1.अहिंसा, 2.सत्य, 3.अस्तेय 4.ब्रह्मचर्य और 5.अपरिग्रह. 6.शौच 7.संतोष, 8.तप, 9.स्वाध्याय और 10.ईश्वर-प्रणिधान. ये 10 ऐसे यम और नियम है जिनके बारे में प्रत्येक हिन्दू को जानना चाहिए यह सिर्फ योग के नियम ही नहीं है ये वेद और पुराणों के यम-नियम हैं. क्यों जरूरी है? क्योंकि इनके बारे में आप विस्तार से जानकर अच्छे से जीवन यापन कर सकेंगे. इनको जानने मात्र से ही आधे संताप मिट जाते हैं।

Tuesday, June 2, 2020

नव ग्रह औषधि स्नान

-नवग्रह शांति विधान में जन्मपत्रिका के अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभावों का शमन करने के लिए औषधि स्नान की प्रक्रिया है जिसमें अनिष्ट ग्रह से सम्बन्धित सामग्री के मिश्रित जल से स्नान किया जाता है। इन सामग्रियों को प्रतिदिन स्नान के जल में मिश्रित कर स्नान करने से अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभाव में कमी आती है। आइए जानते हैं कि नवग्रहों की शांति के लिए कौन-कौन सी सामग्रियां स्नान के जल में मिलाने से लाभ होता है-

1. सूर्य- सूर्य के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में इलायची,केसर,रक्त-चन्दन,मुलेठी एवं लाल पुष्प मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।

2. चन्द्र- चन्द्र के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में पंचगव्य, श्वेत चन्दन एवं सफ़ेद पुष्प मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।

3. मंगल- मंगल के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में रक्त-चन्दन,जटामांसी,हींग व लाल पुष्प मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।

4. बुध- बुध के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में गोरोचन,शहद,जायफ़ल एवं अक्षत मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।

5. गुरु- गुरु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में हल्दी,शहद,गिलोय,मुलेठी एवं चमेली के पुष्प मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।

6. शुक्र- शुक्र के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में जायफ़ल, सफ़ेद इलायची,श्वेत चन्दन एवं दूध मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।

7. शनि- शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में सौंफ़, खसखस, काले तिल एवं सुरमा मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।

8. राहु- राहु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में कस्तूरी,गजदन्त,लोबान एवं दूर्वा मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।

9. केतु- केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में रक्त चन्दन एवं कुशा मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।


मंगल स्नान

मंगल स्नान

जिस व्यक्ति पर मंगल ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हो उसे मंगल ग्रह को शुभ बनाने के लिए अग्रलिखित वस्तुओं को एकत्रित करके पानी में डालकर उस पानी से स्नान करना चाहिए

. मंगल स्नान की वस्तुएं – सोंठ, सोंफ, मौलसिरी के फूल, सिंगरक, मॉल कंगनी और लाल चन्दन.

इन सभी को एक साथ पानी में भिगोकर एक रत के लिए रख दें दूसरे दिन सुबह पानी को छानकर उससे स्नान कर लें.
इन वस्तुओं को पानी में डालने के लिए मिट्टी के कलश का प्रयोग किया जा सकता है.
मंगल ग्रह के कारन हो रही रोग पीड़ा को शांत करने के लिए भी यह प्रयोग बहुत उपयोगी है.
जिस मंगली कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो उसे भी यह प्रयोग करना चाहिए. यह प्रयोग शुक्ल पक्ष में मंगलवार को शुरू करना है. प्रत्येक मंगलवार को यह स्नान करना