Thursday, April 8, 2021

खोयी वस्तु

👉चोरी गई वस्तु या खोई वस्तु का ज्ञान कैसे करें?
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 👉जिस दिन चोरी हुई है या जिस दिन वस्तु गुम हुई है उस दिन के नक्षत्र के आधार पर खोई वस्तु के विषय में जानकारी हासिल की जा सकती है कि वह कहाँ छिपाई गई है. नक्षत्र आधार पर वस्तु की जानकारी प्राप्त होती है. 

👉 यदि प्रश्न के समय चन्द्रमा अश्विनी नक्षत्र में है तो खोई वस्तु शहर के भीतर है. 

 👉प्रश्न के समय चन्द्रमा भरणी नक्षत्र में है तो खोई वस्तु गली में है. 

👉 प्रश्न के समय चन्द्रमा कृतिका नक्षत्र में है तो खोई वस्तु जंगल में होती है. 

 👉 प्रश्न के समय चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र में है तो खोई वस्तु ऎसे स्थान पर है जहाँ नमक या नमकीन वस्तुओं का भण्डार हो. 

 👉प्रश्न के समय चन्द्रमा मृगशिरा नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु चारपाई, पलँग अथवा सोने के स्थान के नीचे रखी होती है. 

 👉प्रश्न के समय चन्द्रमा आर्द्रा नक्षत्र में स्थित है तो खोई वस्तु मंदिर में होती है. 

 👉प्रश्न के समय चन्द्रमा पुनर्वसु नक्षत्र में है तो खोई वस्तु अनाज रखने के स्थान पर रखी गई है. 

 👉 प्रश्न के समय चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में है तो खोई वस्तु घर में ही है. 

 👉 प्रश्न के समय चन्द्रमा आश्लेषा नक्षत्र में है तो खोई वस्तु धूल के ढेर में अथवा मिट्टी के ढे़र में छिपाई गई है. 

 👉 प्रश्न के समय चन्द्रमा मघा नक्षत्र में है तो खोई वस्तु चावल रखने के स्थान पर होती है. 

 👉 प्रश्न के समय चन्द्रमा पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु शून्य घर में होती है. 

 👉प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु जलाशय में होती है. 

  👉 प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा हस्त नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु तालाब अथवा पानी की जगह पर होती है. 

 👉 प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा चित्रा नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु रुई के खेत में अथवा रुई के ढे़र में होती है. 

 👉प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा स्वाति नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु शयनकक्ष में होती है. 

👉प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा विशाखा नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु अग्नि के समीप अथवा वर्तमान समय में अग्नि से संबंधित फैकटरियों में हो सकती है. 

  👉प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा अनुराधा नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु लताओं अथवा बेलों के नजदीक होती है. 

👉 प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु मरुस्थल अथवा बंजर जगह पर होती है. 

 👉 प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा मूल नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु पायगा में होती है. 

 👉प्रश्न के समय चन्द्रमा पूर्वाषाढा़ नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु छप्पर में छिपाई जाती है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा उत्तराषाढा़ नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु धोबी के कपडे़ धोने के पात्र में होती है. 

 👉 प्रश्न के समय चन्द्रमा श्रवण नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु व्यायाम करने के स्थान पर या परेड करने की जगह होती है. 

 👉प्रश्न के समय घनिष्ठा नक्षत्र हो तो खोई वस्तु चक्की के निकट होती है. 

 👉 प्रश्न के समय शतभिषा नक्षत्र हो तो खोई वस्तु गली में होती है. 

  👉प्रश्न के समय पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र हो तो खोई वस्तु घर में आग्नेयकोण में होती है. 

  👉 प्रश्न के समय उत्तराभाद्रपद नक्षत्र हो तो खोई वस्तु दलदल में होती है. 

  👉 प्रश्न के समय रेवती नक्षत्र हो तो खोई वस्तु बगीचे में होती है. 

  👉खोये सामान की जानकारी मिलेगी अथवा नहीं मिलेगी? इस बात का पता भी नक्षत्रों के अनुसार चल जाता है. सभी 28 नक्षत्रों को चार बराबर भागों में बाँट दिया गया है. एक भाग में सात नक्षत्र आते हैं. उन्हें अंध, मंद, मध्य तथा सुलोचन नाम दिया गया है. इन नक्षत्रों के अनुसार चोरी की वस्तु का दिशा ज्ञान तथा फल ज्ञान के विषय में जो जानकारी प्राप्त होती है वह एकदम सटीक होती है. 

   👉नक्षत्रों का लोचन ज्ञान | Lochan Facts About The Nakshatra
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1---👉अंध लोचन में आने वाले नक्षत्र | Nakshatras Coming in Andh Lochan  

रेवती, रोहिणी, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढा़, धनिष्ठा. 

  2---👉मंद लोचन में आने वाले नक्षत्र | Nakshatra Coming in Mand Lochan

अश्विनी, मृगशिरा, आश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढा़, शतभिषा. 

 3---👉मध्य लोचन में आने वाले नक्षत्र | Nakshatras Coming in Madhya Lochan

भरणी, आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजित, पूर्वाभाद्रपद. 

 4--👉सुलोचन नक्षत्र में आने वाले नक्षत्र | Nakshatras Coming in Sulochan Nakshatras

कृतिका, पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद. 

 👉 यदि वस्तु अंध लोचन में खोई है तो वह पूर्व दिशा में शीघ्र मिल जाती है. 

 👉 यदि वस्तु मंद लोचन में गुम हुई है तो वह दक्षिण दिशा में होती है और गुम होने के 3-4 दिन बाद कष्ट से मिलती है. 

 👉यदि वस्तु मध्य लोचन में खोई है तो वह पश्चिम दिशा की ओर होती है और एक गुम होने के एक माह बाद उस वस्तु की जानकारी मिलती है. ढा़ई माह बाद उस वस्तु के मिलने की संभावना बनती है. 

 👉 यदि वस्तु सुलोचन नक्षत्र में गुम हुई है तो वह उत्तर दिशा की ओर होती है. वस्तु की ना तो खबर ही मिलती है और ना ही वस्तु ही मिलती है.

Tuesday, April 6, 2021

खोयी वस्तु की जानकारी

ज्योतिष से पकडे चोर और जाने खोयी या चोरी हुई वस्तु के विषय में सम्पूर्ण विवरण 

आजकल जिस तरह से आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है। चोरी का भय भी बढ़ता जा रहा है। लोग अपना घर सूना छोड़ने में डरने लगे हैं। किस पर विश्वास करें, किस पर न करें यह बड़ा विचारणीय प्रश्न बन गया है। कई बार लोगों को बड़ा नुकसान हो जाता है, जब उनके घर, व्यापारिक प्रतिष्ठान या यात्रा आदि के दौरान सामान चोरी हो जाता है।

घरों में छोटी मोटी चोरी की घटना घट जाती है। तब एक छटपटाहट सी रहती है, चोर कौन हो सकता है। ज्योतिष द्वारा इसका सटीक पता प्रश्न कुंडली से लगाया जाता है।

ज्योतिष वाकई एक शास्त्र से बढ़कर विज्ञान है, जिसमें प्रत्येक प्रश्न का उत्तर समाया हुआ है। चोरी गई वस्तु मिलेगी या नहीं मिलेगी। मिलेगी तो कब तक मिलेगी इस बात तक का पता ज्योतिष शास्त्र के जरिए लगाया जा सकता है।

 जब भी चोरी का पता लगता है, उस समय को नोट कर लीजिये, प्रश्न कुंडली बनायें।
प्रश्न कुण्डली से तमाम ऐसे सवालों के जवाब हासिल किए जा सकते हैं, जिनका समाधान सामान्य प्रचलित सिद्धांतों से संभव नहीं होता।  इसी क्रम में ये भी जानना रोचक है कि प्रश्न कुण्डली के माध्यम से चोरी गयी वस्तु मिलेगी अथवा नहीं, किसने चोरी की यानि चोर घर का व्यक्ति है अथवा बाहर का, चोरी की दिशा आदि का स्पष्ट संधान किया जा सकता है।
 मान लिया कोई इंसान जिसके घर में कीमती और बहुमूल्य वस्तुओं की चोरी हो गयी है, वह यदि प्रश्नकर्ता की हैसियत से प्रश्न ज्योतिष विशेषज्ञ के पास आता है और सविनय अनुरोध करता है कि उसके घर में हुई चोरी की घटना में उसकी सहायता करने की कृपा करें तो ऐसे में प्रश्न ज्योतिर्विद उसके प्रश्न पूछने के वक्त को नोट कर उसके आधार पर प्रश्न कुण्डली का निर्माण कर लेता है।

इसके पश्चात वह लग्नादि ग्रहों की विवेचना करते हुए चोरी गयी वस्तु और उस घटना से संबंधित सभी विवरणों की समीक्षा करता है तत्पश्चात वह अपना निष्कर्ष सामने रखता है।  

प्रश्न ज्योतिर्विद प्रश्न कुण्डली के लग्न से प्रश्नकर्ता का, चंद्र से चोरी हुई वस्तु  का, चतुर्थ भाव से चोरी हुई वस्तु और उसकी पुनः प्राप्ति का, सप्तम भाव से चोर का, अष्टम भाव से चोर द्वारा जमा धन का तथा दशम भाव से पुलिस या सरकार का विचार करता है। चोरी हुई वस्तु के मिलने के योग तब बनते हैं जबकि लग्नेश सप्तम में और सप्तमेश लग्न में हो। लग्नेश और सप्तमेश का सप्तम स्थान में इत्थशाल हो। लग्नेश और दशमेश का इत्थशाल हो। तृतीयेश या नवमेश का सप्तमेश से इत्थशाल हो। चंद्र जिस राशि में स्थित हो उसका स्वामी चंद्रमा को पूर्ण मित्र दृष्टि से देख रहा हो। या फिर सूर्य और चंद्र दोनों लग्न को देखते हों। शुभ ग्रहों का चंद्र से इत्थशाल हो और चंद्र, लग्न या धन स्थान में हो। अष्टमेश अष्टम या सप्तम स्थान में हो। सप्तमेश और सूर्य चंद्र के साथ अस्त हों।

तृतीय स्थान में पापग्रह और पंचम स्थान में शुभ ग्रह हों तो चोर स्वयं धन वापस कर देता है। तुला, वृष या कुंभ लग्न में चोरी का सामान निश्चित रूप से मिल जाता है।

किंतु यदि लग्नेश और द्वितीयेश में इत्थशाल न हो तो ऐसे में चोरी हुई वस्तु की सूचना मिल जाने के बावजूद वह वस्तु वापस पाने की संभावना क्षीण होती है।

लग्नादि ग्रहों की विवेचना करते हुए चोरी गयी वस्तु और उस घटना से संबंधित सभी विवरणों की समीक्षा करता है तत्पश्चात वह अपना निष्कर्ष सामने रखता है।  

प्रश्न ज्योतिर्विद प्रश्न कुण्डली के लग्न से प्रश्नकर्ता का, चंद्र से चोरी हुई वस्तु  का, चतुर्थ भाव से चोरी हुई वस्तु और उसकी पुनः प्राप्ति का, सप्तम भाव से चोर का, अष्टम भाव से चोर द्वारा जमा धन का तथा दशम भाव से पुलिस या सरकार का विचार करता है। चोरी हुई वस्तु के मिलने के योग तब बनते हैं जबकि लग्नेश सप्तम में और सप्तमेश लग्न में हो। लग्नेश और सप्तमेश का सप्तम स्थान में इत्थशाल हो। लग्नेश और दशमेश का इत्थशाल हो। तृतीयेश या नवमेश का सप्तमेश से इत्थशाल हो। चंद्र जिस राशि में स्थित हो उसका स्वामी चंद्रमा को पूर्ण मित्र दृष्टि से देख रहा हो। या फिर सूर्य और चंद्र दोनों लग्न को देखते हों। शुभ ग्रहों का चंद्र से इत्थशाल हो और चंद्र, लग्न या धन स्थान में हो। अष्टमेश अष्टम या सप्तम स्थान में हो। सप्तमेश और सूर्य चंद्र के साथ अस्त हों।

तृतीय स्थान में पापग्रह और पंचम स्थान में शुभ ग्रह हों तो चोर स्वयं धन वापस कर देता है। तुला, वृष या कुंभ लग्न में चोरी का सामान निश्चित रूप से मिल जाता है।

किंतु यदि लग्नेश और द्वितीयेश में इत्थशाल न हो तो ऐसे में चोरी हुई वस्तु की सूचना मिल जाने के बावजूद वह वस्तु वापस पाने की संभावना क्षीण होती है।

थोड़ा और बारीकी से विवेचन और अन्वेषण  करे तो आगे हम  और भी स्पस्ट  पहचान कर सकते है 

मेष या वृषभ लग्न- पूर्व दिशा
मिथुन लग्न- अग्नि कोण
कर्क लग्न- दक्षिण
सिंह लग्न- नैरित्य कोण
कन्या लग्न- उत्तर दिशा
तुला और वृश्चिक लग्न- पश्चिम दिशा
धनु लग्न- वायव्य कोण
मकर और कुम्भ लग्न- उत्तर दिशा
मीन लग्न- इशान कोण

उपरोक्त लग्नों में खोयी वस्तु, उसके दिखाए गए लग्नो के सामने की दिशा में गयी है। चोरी करने वाला कौन हो सकता है ? नीचे लिखे लग्नों के आधार पर पता लगाया जा सकता है।

मेष लग्न- ब्राह्मण या सम्मानीय भद्र पुरुष
वृषभ लग्न- क्षत्रिय
मिथुन लग्न- वेश्य
कर्क लग्न- शुद्र या सेवक वर्ग
सिंह लग्न- स्वजन या आत्मीय व्यक्ति
कन्या लग्न- कुलीन स्त्री ,घर की बहू -बेटी या बहन
तुला लग्न- पुत्र ,भाई या जमाता
वृश्चिक लग्न- इतर जाति का व्यक्ति
धनु लग्न- स्त्री
मकर लग्न- वेश्य या व्यापारी
कुम्भ लग्न- चूहा
मीन लग्न- खोयी घर में ही पड़ी है कहीं

चोरी हुई वस्तु कहां छिपाई गयी?

-लग्नेश और सप्तमेश का आपस में परिवर्तन या दोनों एक ही भाव में हो तो वस्तु घर में ही कहीं छुपी या छुपाई गयी है।

-चंद्रमा अगर लग्न में हो तो वस्तु पूर्व दिशा में होगी और अगर सप्तम में हो तो वस्तु पश्चिम में मिलेगी। चंद्रमा अगर दशम ने हो तो दक्षिण और चतुर्थ में हो तो वस्तु उत्तर दिशा में मिलेगी।

-अगर लग्न में अग्नितत्व राशि ( मेष, सिंह, धनु ) हो तो वस्तु घर के पूर्व, अग्नि -स्थान, रसोई घर में ही मिल जाती है।

-लग्न में अगर पृथ्वी -तत्व राशि ( वृषभ, कन्या, मकर ) हो तो वस्तु दक्षिण दिशा में भूमि में दबी मिलेगी।

-अगर लग्न में वायु -तत्व राशि ( मिथुन, तुला, कुम्भ ) हो तो वस्तु पश्चिम दिशा में हवा में लटकाई गयी है।

-लग्न में जल-तत्व राशि ( कर्क, वृश्चिक, कुम्भ ) हो तो वस्तु जलाशय के पास या उसके आस-पास उत्तर दिशा में मिलेगी। 

ज्योतिष के अनुसार अलग-अलग नक्षत्रों में चोरी गई वस्तुओं के मिलने या न मिलने का अलग-अलग परिणाम होता है। जिस समय हमें अपनी चोरी गई वस्तु का पता लगे उस समय के नक्षत्र या अंतिम बार आपने फलां वस्तु को किस वक्त देखा था, उस समय के नक्षत्र के अनुसार चोरी गई वस्तु का विचार किया जाता है।

आइये जानते हैं किस नक्षत्र का क्या परिणाम होता है:

 इस बात का पता भी नक्षत्रों के अनुसार चल जाता है. सभी 28 नक्षत्रों को चार बराबर भागों में बाँट दिया गया है. एक भाग में सात नक्षत्र आते हैं. उन्हें अंध, मंद, मध्य तथा सुलोचन नाम दिया गया है. इन नक्षत्रों के अनुसार चोरी की वस्तु का दिशा ज्ञान तथा फल ज्ञान के विषय में जो जानकारी प्राप्त होती है वह एकदम सटीक होती है. 
नक्षत्रों का लोचन ज्ञान :-
अंध लोचन में आने वाले नक्षत्र:- रेवती, रोहिणी, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढा़, धनिष्ठा. 
मंद लोचन में आने वाले नक्षत्र :-अश्विनी, मृगशिरा, आश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढा़, शतभिषा. 
मध्य लोचन में आने वाले नक्षत्र :-भरणी, आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजित, पूर्वाभाद्रपद. 
सुलोचन नक्षत्र में आने वाले नक्षत्र :-कृतिका, पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद. 

नक्षत्रों के द्वारा जानिए :-
यदि वस्तु अंध लोचन में खोई है तो वह पूर्व दिशा में शीघ्र मिल जाती है. 
यदि वस्तु मंद लोचन में गुम हुई है तो वह दक्षिण दिशा में होती है और गुम होने के 3-4 दिन बाद कष्ट से मिलती है. यदि वस्तु मध्य लोचन में खोई है तो वह पश्चिम दिशा की ओर होती है और एक गुम होने के एक माह बाद उस वस्तु की जानकारी मिलती है. ढा़ई माह बाद उस वस्तु के मिलने की संभावना बनती है. यदि वस्तु सुलोचन नक्षत्र में गुम हुई है तो वह उत्तर दिशा की ओर होती है. वस्तु की ना तो खबर ही मिलती है और ना ही वस्तु ही मिलती है. 

1. रोहिणी, पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा और रेवती को ज्योतिष में अंध नक्षत्र माना गया है। इन नक्षत्रों में चोरी होने वाली वस्तु पूर्व दिशा में जाती है और जल्दी मिल जाती है। इन नक्षत्रों में यदि कोई वस्तु चोरी हुई है तो वह अधिक दूर नहीं जाती है उसे आसपास ही तलाशना चाहिए।

2. मृगशिरा, अश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, शतभिषा, अश्विनी ये मंद नक्षत्र कहे गए हैं। इन नक्षत्रों में यदि कोई वस्तु चोरी होती है तो वह तीन दिन में मिलने की संभावना रहती है। इन नक्षत्रों में गई वस्तु दक्षिण दिशा में प्राप्त होती है। साथ ही वह वस्तु रसोई, अग्नि या जल के स्थान पर छुपाई होती है।

3. आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजीत, पूर्वाभाद्रपद, भरणी ये मध्य लोचन नक्षत्र होते हैं। इन नक्षत्रों में चोरी गई वस्तुएं पश्चिम दिशा में मिल जाती हैं। वस्तु के संबंध में जानकारी 64 दिनों के भीतर मिलने की संभावना रहती है। यदि 64 दिनों में न मिले तो फिर कभी नहीं मिलती। इस स्थिति में वस्तु के अत्यधिक दूर होने की जानकारी भी मिल जाती है, लेकिन मिलने में संशय रहता है।

4. पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद, कृतिका को सुलोचन नक्षत्र कहा गया है। इनमें गई वस्तु कभी दोबारा नहीं मिलती। वस्तु उत्तर दिशा में जाती है, लेकिन पता नहीं लगा पाता कि कहां रखी गई है या आप कहां रखकर भूल गए हैं।

भद्रा, व्यतिपात और अमावस्या में गया धन प्राप्त नहीं होता।

प्रश्न: लग्न के अनुसार भी चोरी गई वस्तु के संबंध में विचार किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति चोरी गई वस्तु के संबंध में जानने के लिए आए और प्रश्न करे तो जिस समय वह प्रश्न करे उस समय की लग्न कुंडली बना लेना चाहिए। या जिस समय वस्तु चोरी हुई है उस समय गोचर में जो लग्न चल रहा था उसके अनुसार फल कथन किया जाता है।

चोर ब्राह्मण वर्ग का व्यक्ति होता है

1. मेष लग्न मेष वस्तु चोरी हुई हो प्रश्नकाल में मेष लग्न हो तो चोरी गई वस्तु पूर्व दिशा में होती है। चोर ब्राह्मण वर्ग का व्यक्ति होता है और उसका नाम स अक्षर से प्रारंभ होता है। नाम में दो या तीन अक्षर होते हैं।

2. वृषभ लग्न में वस्तु चोरी हुई हो तो वस्तु पूर्व दिशा में होती है और चोर क्षत्रिय वर्ण का होता है। उसके नाम में आदि अक्षर म रहता है तथा नाम चार अक्षरों वाला होता है।

3. मिथुन लग्न में चोरी गई वस्तु आग्नेय कोण में होती है। चोरी करने वाला व्यक्ति वैश्य वर्ण का होता है और उसका नाम क ककार से प्रारंभ होता है। नाम में तीन अक्षर होते हैं।

4. कर्क लग्न में वस्तु चोरी होने पर दक्षिण दिशा में मिलती है और चोरी करने वाला शूद्र होता है। उसका नाम त अक्षर से प्रारंभ होता है और नाम में तीन वर्ण होते हैं।

वस्तु नैऋत्य कोण में होती है

5. सिंह लग्न में चोरी हो तो वस्तु नैऋत्य कोण में होती है। चोरी करने वाला नौकर, सेवक होता है। चोर का नाम न से प्रारंभ होता है और नाम तीन या चार अक्षरों का होता है।

6. प्रश्नकाल या चोरी के समय कन्या लग्न हो तो चोरी गई वस्तु पश्चिम दिशा में होती है। चोरी करने वाली कोई स्त्री होती है और उसका नाम म से प्रारंभ होता है। नाम में कई वर्ण हो सकते हैं।

7. चोरी के समय तुला लग्न हो तो वस्तु पश्चिम दिशा में जानना चाहिए। चोरी करने वाला पुत्र, मित्र, भाई या अन्य कोई संबंधी होता है। इसका नाम म से प्रारंभ होता है और नाम में तीन वर्ण होते हैं। तुला लग्न में गई वस्तु बड़ी कठिनाई से प्राप्त होती है।वस्तु नैऋत्य कोण में होती है

8. वृश्चिक लग्न में चोरी गई वस्तु पश्चिम दिशा में होती है। चोर घर का नौकर ही होता है और उसका नाम स अक्षर से प्रारंभ होता है। नाम चार अक्षरों वाला होता है। चोरी करने वाला उत्तम वर्ण का होता है।

9. प्रश्नकाल या चोरी के समय धनु लग्न हो तो चोरी गई वस्तु वायव्य कोण में होती है। चोरी करने वाली कोई स्त्री होती है और उसका नाम स अक्षर से प्रारंभ होता है। नाम में चार वर्ण पाए जाते हैं।

10. चोरी के समय मकर लग्न हो तो चोरी गई वस्तु उत्तर दिशा में समझनी चाहिए। चोरी करने वाला वैश्य जाति का होता है। नाम चार अक्षरों का होता है और वह स से प्रारंभ होता है।

11. प्रश्नकाल या चोरी के समय कुंभ लग्न हो तो चोरी गई वस्तु उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में होती है। इस प्रश्न लग्न के अनुसार चोरी करने वाला व्यक्ति कोई मनुष्य नहीं होता बल्कि चूहों या अन्य जानवरों के द्वारा इधर-उधर कर दी जाती है।

12. मीन लग्न में वस्तु चोरी हुई हो तो वस्तु ईशान कोण में होती है। चोरी करने वाला निम्न जाति का व्यक्ति होता है। वह व्यक्ति चोरी करके वस्तु को जमीन में छुपा देता है। ऐसे चोर का नाम व अक्षर से प्रारंभ होता है और उसके नाम में तीन अक्षर रहते हैं। चोर कोई परिचित महिला या नौकरानी भी हो सकती है।

चोरी के प्रश्न में चोर के स्वरुप तथा अन्य बातों का पता चल जाता है यदि कुण्डली का विश्लेषण भली-भाँति किया जाए. इसके लिए लग्न, चन्द्रमा तथा अन्य संबंधित भाव का बारीकी से अध्ययन करना चाहिए. आइए इस कडी़ में आपको चोर के स्वरुप के बारे में आंकलन करना बताएँ. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में स्थिर राशि(2,5,8 या 11 राशि) हो, स्थिर राशि का नवाँश हो या वर्गोत्तम नवाँश हो तो चोरी किसी संबंधी द्वारा की जाती है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में चर राशि(1,4,7 या10 राशि)  हो तो किसी बाहर के व्यक्ति ने चोरी की है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में द्वि-स्वभाव राशि(3,6,9 या 12 राशि) हो तो चोरी पडो़सी ने की है. 

इसके अतिरिक्त यदि यह देखना चाहिए कि चोरी का सामान कहाँ गया है. इसे देखने के लिए कई योग मौजूद होते हैं. 

* प्रश्न कुण्डली में लग्न में स्थिर राशि हो तो चोरी हुआ सामान उसी स्थान पर है जिस स्थान पर चोरी हुई है. यदि घर से सामान गुम हुआ है तो सामान घर में ही होता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में चर राशि है तो सामान घर के बाहर निकल चुका है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में द्वि-स्वभाव राशि है तो चोरी का सामान घर के बाहर जमीन में गाडा़ जा चुका है. 

विभिन्न लग्नों के आधार पर चोर का ज्ञान प्राप्त करना |

प्रश्न के समय बारह राशियों में से कोई एक राशि लग्न में उदय होती है. इन राशियों के आधार पर चोर के बारे में जाना जा सकता है कि वह किस जाति का है. आइए विभिन्न लग्नों के आधार पर चोर की जाति के विषय में जानकारी हासिल करें. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में मेष राशि है तो चोर की ब्राह्मण जाति है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में वृष राशि हो तो चोर क्षत्रिय जाति का होगा. 

* प्रश्न लग्न मिथुन राशि का हो तो चोर वैश्य जाति का होगा. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में कर्क राशि हो तो चोर शूद्र जाति का होगा. 

* प्रश्न लग्न में सिंह राशि हो तो चोर अन्त्यज(चांडाल) जाति का होगा. 

* प्रश्न लग्न में कन्या राशि हो तो स्त्री चोर होती है. 

* प्रश्न लग्न में तुला राशि हो तो मित्र अथवा पुत्र चोर होता है. 

* प्रश्न लग्न में वृश्चिक राशि हो तो नौकर चोर होता है. 

* प्रश्न लग्न में धनु राशि हो तो भाई चोर होता है. 

* प्रश्न लग्न में मकर राशि हो तो चोर दासी होती है. 

* प्रश्न कुण्डली में कुम्भ लग्न हो तो सामान चूहा ले जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली में मीन लग्न हो तो व्यक्ति स्वयं चोर होता है. 

चोर की पहचान के अन्य योग |  

* प्रश्न कुण्डली के लग्न पर सूर्य और चन्द्रमा की मित्र दृष्टि हो तो प्रश्न कर्त्ता का अपन अकोई जान-पहचान वाला व्यक्ति चोर होता है. 

* यदि सूर्य और चन्द्रमा की शत्रु दृष्टि लग्न पर हो तो किसी शत्रु की साजिश द्वारा चोरी कराई गई है. 

* यदि प्रश्न कुण्डली के लग्न में ही लग्नेश तथ सप्तमेश का इत्थशाल हो तो व्यक्ति स्वयं चोर होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ भाव में सप्तमेश उच्च राशि में स्थित हो तो माता, मौसी, मामी, चाची या ताई में से कोई चोर होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में सप्तमेश उच्च राशि में लग्न या तृतीय स्थान में बैठा हो तो चोर उच्च तथा प्रसिद्ध घराने का होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में स्त्री ग्रह सप्तमेश होकर सप्तम भाव में हो तो भाई, भतीजे या पुत्रवधु चोर होती है. 

* प्रश्न कुण्डली में पुरुष ग्रह सप्तम भाव के स्वामी होकर सप्तम भाव में हो तो परिवार का कोई सदस्य चोर होता है.