---- # शेषनाग_और_पृथ्वी ----
आपने तो सुन ही रखा होगा कि शेषनाग जी के फन पे पृथ्वी टिकी हुई है और जब वो थोड़ा सा हिलते है तो भूकंप आता है तो आज इसके सच को जानते है।।
# बचपन मे मुझे भी यही सुनने को मिला कि ये पृथ्वी शेषनाग के फन पे टिकी है आपने भी सुनी होगी और मन आपका भी टूटा होगा जब आप बड़े हुए होंगे कि ऐसा नही है ।। मेरा मन भी एक बार सनातन की बाते सुनकर मोहभंग हुआ था और मैं भी नास्तिकों की तरह सिर्फ सनातन की बातों पे वैज्ञानिक बना कुतर्क किया करता था ,लेकिन फिर जब मैंने विज्ञान और वैदिक शास्त्रो को जोड़कर देखा तो पता लगा कि सनातन की हर परंपरा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखे हुए है और वैदिक शास्त्रो में हर वो विज्ञान है जो आज के विज्ञान की नींव है ।।
# शेषनाग_के_फन_पे_पृथ्वी_का_रहस्य --
अधॊ महीं गच्छ भुजंगमॊत्तम; सवयं तवैषा विवरं परदास्यति
इमां धरां धारयता तवया हि मे; महत परियं शेषकृतं भविष्यति
(महाभारत आदिपर्व के आस्तिक उपपर्व के 36 वें अध्याय का श्लोक )
इसमे ही वर्णन मिलता है कि शेषनाग को ब्रम्हा जी धरती को अपने ऊपर धारण करने को कहते है और क्रमशः आगे के श्लोक में शेषनाग जी आदेश के पालन हेतु पृथ्वी को अपने फन पे धारण कर लेते है
इन श्लोको पे ध्यान दे तो इसमे लिखा है कि धरती के भीतर न कि धरती को बाहर खुद को वायुमंडल में स्थित करके पृथ्वी को अपने ऊपर धारण करना ।।
# अब_जरा_वैज्ञानिक_तथ्यो_से_इसे_समझे --
# पृथ्वी_की_संरचना -
यांत्रिक लक्षणों के आधार पर पृथ्वी को स्थलमण्डल, एस्थेनोस्फीयर, मध्यवर्ती मैंटल, बाह्य क्रोड और आतंरिक क्रोड मे बनाता जाता है। रासायनिक संरचना के आधार पर भूपर्पटी, ऊपरी मैंटल, निचला मैंटल, बाह्य क्रोड और आतंरिक क्रोड में बाँटा जाता है।
ऊपर की भूपर्पटी प्लेटो से बनी है और इसके नीचे मैन्टल होता है जिसमे मैंटल के इस निचली सीमा पर दाब ~140 GPa पाया जाता है। मैंटल में संवहनीय धाराएँ चलती हैं जिनके कारण स्थलमण्डल की प्लेटों में गति होती है।
इम गतियों को रोकने के लिए एक बल काम करता है जिसे भुचुम्बकत्व कहते है इसी भुचुम्बकत्व की वजह से ही टेक्टोनिक प्लेट जिनसे भूपर्पटी का निर्माण हुआ है वो स्थिर रहती है और कही भी कोई गति नही होती
# तो_क्या_भुचुम्बकत्व_ही_शेषनाग_है --
कहा जाता है कि शेषनाग के हजारो फन है भुचुम्बकत्व में हजारों मैग्नेटिक वेब्स है शेषनाग के शरीर अंत मे एक हो जाता है मतलब एक पूछ है भुचुम्बकत्व कि उत्पत्ति का केंद्र एक ही है ।। शेषनाग ने पृथ्वी को अपने फन पे टिका रखा जा भुचुम्बकत्व की वजह से ही पृथ्वी टिकी हुई है ।।
शेषनाग के हिलने से भूकंप आता है भुचुम्बकत्व कि बिगड़ने(हिलने) से भूकंप आता है ।।
# वैदिक_ग्रंथो में इसी भुचुम्बकत्व को ही शेषनाग कहा गया है ।।
# विशेष - क्रोड का विस्तार मैंटल के नीचे है आर्थात २८९० किमी से लेकर पृथ्वी के केन्द्र तक। किन्तु यह भी दो परतों में विभक्त है - बाह्य कोर और आतंरिक कोर। बाह्य कोर तरल अवस्था में पाया जाता है क्योंकि यह द्वितीयक भूकंपीय तरंगों (एस-तरंगों) को सोख लेता है। तो ये कह देना की पृथ्वी शेषनाग के फन पे स्थित है मात्र कल्पना नही बल्कि एक सत्य है कि पृथ्वी शेषनाग(भुचुम्बक
त्व) की वजह से ही टिकी हुई है या शेषनाग (भुचुम्बकत्व) के फन पे स्थित है ।।
Thursday, September 21, 2017
शेषनाग और पृत्वी
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