Friday, October 18, 2019

राजयोग फलित क्यों नहीं??

क्यों फल नहीं देते राजयोग.
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ज्योतिष के क्षेत्र में अपने शरुआती दौर में कई बार शाश्त्रों में उल्लेखित किसी योग को जब किसी कुंडली में पाता था ,,,व उस कुंडली के जातक को साधारण अवस्था में देखता था तो सोच में पड़ जाता था....बाद में जब कई कुंडलियों को बांचने का सौभाग्य प्राप्त होने लगा तो यकीन मानिए एक ही योग को कई कई तरीकों से फलित होते देखा......दिमाग भन्ना जाता था कई दफा तो मेरा इस विचार से कि सम्भवतः या तो ज्योतिष शास्त्र ही गलत है अथवा मैं ही इसे समझने के लायक नही हूँ...
           किन्तु समय के साथ साथ  जैसे जैसे अध्ययन व अनुभव बढ़ता गया ,,,कुछ पॉइंट्स साफ़ होने लगे.....आज बेहतर तरीके से जानता हूँ की कुंडली में मात्र किसी राज योग का होना ही उसके फलित होने की गारंटी नहीं है......अमूमन आज भी कई ज्योतिषियों को कुंडली में किसी योग को पाते ही फ़ौरन उस से सम्बंधित भविष्यवाणी करते देखता हूँ तो अफ़सोस होता है......जातक झूठी आस पर जीता है,,,और संभावित उपाय नहीं हो पाते....
         वास्तव में परंपरागत सूत्रों को दिमाग में रख कर भविष्यवाणी करने से कई बार गच्चा खाने की संभावनाएं बनी रहती हैं......जहाँ तक राजयोग की बात है ,,,बहुत कुछ निर्भर इस बात पर करता है की जन्म के समय महादशा किस ग्रह की थी. ....अपने शुरूआती दौर में मैं भी कई बार ऐसे सवालों में उलझा.....किन्तु बाद में ये अनुभव कर लिया(कई कुंडलियों के विश्लेषण के पश्चात )कि यह कि  जो ग्रह जन्मांग में राजयोग बना रहा है,,, जीवन में उस की दशा आ भी  रही है अथवा नहीं,,,,,और आ रही है तो किस आयु वर्ग में आ रही है???.. सब कुछ निर्धारण इस आधार पर होता है....यदि सूर्य उच्च के हैं और किसी प्रकार का योग बना रहे हैं, ,व जातक का जन्म मंगल की महादशा में हो रहा है ,,,तो बहुत संभव है कि अपने जीवन काल में वह जातक सूर्य द्वारा बनने वाले  राजयोग का फल नहीं पायेगा....  दूसरी बात जो मैं अनुभव कर पाया वह ये,, कि जन्म की शुरूआती महादशा यदि राजयोग में मुख्य किरदार निभाने -बनाने वाले ग्रह के नैसर्गिक शत्रु ग्रह की है,,, तो आधे से अधिक प्रभाव उस योग का वहीँ पर समाप्त हो जाता है. ....भले ही अब उस योग से सम्बंधित ग्रह की दशा जातक के जीवन में आये अथवा नहीं....
                        उदाहरण के रूप में समझिए कि आप अपने किसी ऐसे मित्र के घर में गए जिसके यहाँ आम का बहुत बड़ा बगीचा था.....किन्तु आप का वहां जाना नवम्बर के माह में हुआ,,, तो अब उस आम के बगीचे का कोई महत्त्व नहीं रह जाता...आपका यह क्लेम करना की मुझे आम का सुख प्राप्त हो ,,,औचित्यहीन हो जाता है.....वहीँ आपका एक दूसरा परिचित जो की वहां जून के महीने में गया होगा ,,,वह अपने मित्र के बगीचे के आमों का स्वाद ले कर आएगा....
                     इसे एक और उदाहरण में लें कि आप किसी ऐसे आदमी के घर जा रहे हैं,,,  जिस के घर आम का बहुत बड़ा बगीचा है ,आम लगे हुए भी बहुत हैं,,,किन्तु वह व्यक्तिगत रूप से आपको पसंद नहीं करता,,,, अपितु आपको अपना शत्रु ही समझता है,,,तो उन पेड़ पर लटके आमों का भला आपके लिए क्या अर्थ रह जाता है.....वो आपको नहीं मिलने वाले...किन्तु मौसम आमों का तो चल ही रहा है ,,,तो अपने सामर्थ्यानुसार बाजार से आम खरीद कर खा सकते हैं,,,, किन्तु वहां आपको अपनी जेब पर ही निर्भर रहना होगा.....अर्थात जो मजा या मात्रा बगीचे के आमो से प्राप्त हो सकती थी वो खरीद कर नहीं हुई.....आशा है आप सहमत होंगे...
      योग सदा दो अथवा दो से अधिक  ग्रहों की युति से बनता है,,,अब जीवन में उस योग का फल इन्ही दो में से एक की दशा में प्राप्त होना होता है..इसे जानने का साधारण सा सूत्र बताता हूँ .इसे चार्ट द्वारा समझें.  
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               उच्च         स्व       मित्र                 
                (५)          (४)       (३) 
                नीच         शत्रु         सम
                   (-५)     (-४)      (-३)   
                  मान लीजिये कि कर्क लग्न में गजकेसरी योग बन रहा है,...यहाँ गुरु अपनी उच्च राशि में हैं,,,अर्थात पांच अंक प्राप्त करते हैं ,,,,साथ ही चंद्रमा गुरु के मित्र हैं तो गुरु को तीन अंक अतिरिक्त प्राप्त होते हैं,,,,,वहीँ दूसरी और चंद्रमा मात्र स्व राशि के होकर चार अंक प्राप्त करते हैं,,, ,इस प्रकार समीकरण यूँ होता है... गुरु =८  व चंद्रमा =४ अंक.....तो यह योग गुरु में चन्द्र के अंतर में फलित होगा.....कुछ कम मात्रा का प्रभाव चंद्रमा में गुरु के अंतर में भी प्राप्त हो सकता है किंतु वास्तविक राजयोग पहली अवस्था मे ही सम्पन्न होगा.... अब अगर जातक के जीवन में गुरु की दशा नहीं आ रही है ,,,तो इस योग से जातक को बहुत अधिक आशा नहीं रखनी चाहिए....इसी प्रकार ज्योतिषी द्वारा अन्य योगों की समीक्षा की जा सकती है.
              साथ ही ग्रहों का स्वयं के फलित होने का एक समय होता है...मंगल का समय काल सामान्यतः बीस से तीस वर्ष के मध्य होता है,,,अब यदि किसी जातक  के रूचक योग का फलित समय तीसरे वर्ष या पचासवें आयुवर्ष में आ रहा है ,,,तो भला  इस योग का भी अब क्या अर्थ  रह जाता है....या कहें कि किसी जातक को मालव्य योग का सुख तब मिलना है,, जब वह अपनी आयु के ८२ वें वर्ष में है,,, तो मित्रो क्या इस योग का कोई औचित्य रह जाता है अब???  
         कुंडली में  मात्र किसी योग का होना ही उस योग से सम्बंधित फल पा लेने की गारंटी नहीं है.....कई कुंडलियों में सामान योग होते हुए भी उनके डिग्री ,अक्षांस ,देशांश ,वक्री ,मार्गी  से सम्बंधित आंकड़े यहाँ प्रभावित करते हैं....प्रधान मंत्री जी की गाडी का ड्राईवर भी उसी सरकारी वाहन का सुख भोग रहा है,, जिसका स्वयं प्रधानमन्त्री जी.......एक ही सुख अलग अलग प्रभावों में है.....थाने में एक सिपाही भी बैठा है,,,एक दारोगा भी व ,,एक अधिकारी भी....सब लगभग एक ही योग के अलग अलग प्रभावों का सुख पाते है..... जिस प्रकार एक ही पेड़ में लगे आमों का आकार,स्वाद ,रंग अलग अलग होता है...ये सूर्य से किस दिशा में लगे हैं,,,,किसी अन्य बेल आदि के साथ तो वो टहनी विशेष नही उलझी हुई है,,,इन सब कारकों का महत्व नजरंदाज नही किया जा सकता....
              साथ ही स्थान विशेष का भी अपना महत्त्व है...अफ्रीका के जंगलों में प्रबलतम राज योग का फल पाना अपनी जाति का मुखिया होना हो सकता है,,,किन्तु अमेरिका जैसे देश में अब उस मुखिया की कोई हैसियत नहीं होती.....यहाँ आपका प्रबलतम राजयोग अपने फलित होने की दशा काल में आपको दुनिया का सबसे पावरफुल व्यक्ति बना सकता है.... अतः ज्योतिष गणना एक श्रमसाध्य विषय है,,.ये निहायत इत्मीनान से ,,,स्वयं ज्योतिषी के श्रेष्ठ मानसिक अवस्था मे होने के दौरान किया जाने वाला कार्य है,,,,,क्षण विशेष में अपना पांडित्य दिखाने वाले तथाकथित ज्योतिषी,जो सेकण्ड्स में कुंडली विवेचन का दावा कर ,उपाय तक बताने लगते हैं,,,वे जातक के साथ छल कर रहे हैं व स्वयं इस विद्या का मजाक बना रहे हैं....आपको अभी बहुत लंबा सफर तय करना होगा बंधुओ,,,, यूँ किसी के विश्वास से दगा मत करो...सैकड़ों विश्वविद्यालय जिस ज्योतिष परंपरा के सूत्रों को तयः करने में स्वयं को होम कर गए,,उनके परिश्र्म को यूँ मिट्टी में न मिलाओ,मेरी आपसे करबद्ध प्रार्थना है..
                                        कहने का तात्पर्य यह है की किसी योग के फलित होने के लिए २०% उस योग का कुंडली में होना आवश्यक है,,,२०%पारिवारिक परिवेश महत्त्व रखता है,,,२०% आपका स्वयं का प्रयास,,,२०% आपसे जुड़े लोगों के ग्रहों का उस योग में योगदान,,,व २०% सामजिक दशा उसे प्रभावित करती है.,,,दुनिया के सबसे छोटे देश का राजा होना भी राज योग है,,,, व दुनिया के सबसे बड़े देश का राजा होना भी राज योग है.... अततः अब कभी भी जब अपनी कुंडली में किसी योग को लेकर भ्रमित हो रहे हों तो इन तथ्यों को अवश्य ध्यान दें...................आशा है आप सहमत होंगे।

Wednesday, October 16, 2019

खुले बाल नकारात्मक संकेत

*खुले बाल, शोक और नकरात्मक संकेत ।।

आजकल माताये बहने फैशन के चलते कैसा अनर्थ कर रही है ।

कृपया पुरा पढे

रामायण में बताया गया है,
जब देवी सीता का श्रीराम से विवाह होने वाला था, उस समय उनकी माता ने उनके बाल बांधते हुए उनसे कहा था, विवाह उपरांत सदा अपने केश बांध कर रखना।
बंधे हुए लंबे बाल आभूषण सिंगार होने के साथ साथ संस्कार व मर्यादा में रहना सिखाते हैं।  ये सौभाग्य की निशानी है ,
★ एकांत में केवल अपने पति के लिए इन्हें खोलना।★
           Research
हजारो लाखो वर्ष पूर्व हमारे ऋषि मुनियो ने शोध कर यह अनुभव किया कि सिर के काले बाल को पिरामिड नुमा बनाकर सिर के उपरी ओर या शिखा के उपर रखने से वह सूर्य से निकली किरणो को अवशोषित  करके शरीर को ऊर्जा प्रदान करते है। जिससे चेहरे की आभा चमकदार, शरीर सुडौल व बलवान होता है।

यही कारण है कि गुरुनानक देव व अन्य सिक्ख गुरूओ ने बाल रक्षा के असाधारण महत्त्व को समझकर धर्म का एक अंग ही बना लिया। लेकिन वे कभी भी बाल को खोलकर नही रखे,

ऋषी मुनियो व साध्वीयो ने हमेशा बाल को बांध कर ही रखा।

उलझे एवं बिखरे हुए बाल अमंगलकारी कहे गए है। -

कैकेई का कोपभवन में बिखरे बालों में रुदन करना और अयोध्या का अमंगल होना।

★पति से वियुक्त तथा शोक में डुबी हुई स्त्री ही बाल खुले रखती है।★

जब रावण देवी सीता का हरण करता है तो उन्हें केशों से पकड़ कर अपने पुष्पक विमान में ले जाता है। अत: उसका और उसके वंश का नाश हो गया।
महाभारत युद्ध से पूर्व कौरवों ने द्रौपदी के बालों पर हाथ डाला था, उनका कोई भी अंश जीवित न रहा।
कंस ने देवकी की आठवीं संतान को जब बालों से पटक कर मारना चाहा तो वह उसके हाथों से निकल कर महामाया के रूप में अवतरित हुई।
कंस ने भी अबला के बालों पर हाथ डाला तो उसके भी संपूर्ण राज-कुल का नाश हो गया।।

गरुड पुराण के अनुसार बालों में काम का वास रहता है |  बालों का बार बार स्पर्श करना दोष कारक बताया गया है। क्योकि बालों को अशुध्दी माना गया है इसलिय कोई भी जप अनुष्ठान , चूड़ाकरण ,  यज्ञोपवीत,  आदि-२ शुभाशुभ कृत्यों में क्षौर कर्म कराया जाता है | तथा शिखाबन्धन कर पश्चात हस्त प्रक्षालन कर शुद्ध किया जाता है।

दैनिक दिनचर्या में भी स्नान पश्चात बालों में तेल लगाने के बाद उसी हाथ से शरीर के किसी भी अंग में तेल न लगाएं हाथों को धो लें।
भोजन आदि में बाल आ जाय तो उस भोजन को ही हटा दिया जाता है।

मुण्डन या बाल कटाने के बाद शुद्ध स्नान आवश्यक बताया गया है। बडे यज्ञ अनुष्ठान आदि में मुंडन तथा हर शुद्धिकर्म में सभी बालो (शिरस्, मुख और कक्ष) के मुण्डन का विधान हैं ।

बालों के द्वारा बहुत सा तन्त्र क्रिया होती है जैसे वशीकरण यदि कोई स्त्री खुले बाल करके निर्जन स्थान या... ऐसा स्थान जहाँ पर किसी की अकाल मृत्यु हुई है.. ऐसे स्थान से गुजरती है तो अवश्य ही प्रेत 💀 बाधा का योग बन जायेगा.।।

वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से महिलाये खुले बाल करके रहना चाहते हैं, और जब बाल खुले होगें तो आचरण भी स्वछंद ही होगा।

Sunday, October 6, 2019

खोई चीज की जानकारी

खोई हुई वस्तु की जानकारी
              Lost information

कोई भी सामान खोना/चोरी होना आज
के समय मे सामान्य बात है।
अंक विद्या में गुम हुई वस्तु के बारे में प्रश्र किया जाए तो उसका जवाब
बहुत हद तक सच साबित होता है।
जैसे:-
सर्व प्रथम आप 1 से 108 के बीच का एक अंक मन मे सोचे।
और उस अंक को 9 से भाग दें। शेष जो अंक आये तो आगे लिखे अनुसार उसका
उत्तर होगा।
शेष अंक 1 ( सूर्य का अंक है )
पूर्व में मिलने की आशा है।

शेष अंक 2 ( चंद्र का अंक है )
वस्तु किसी स्त्री के पास होने की
आशा है पर वापस नहीं मिलेगी।

शेष अंक 3 ( गुरु का अंक है )
वस्तु वापिस मिल जायेगी। मित्रों और परिवार के लोगों से पूछें।

शेष अंक 4 ( राहु का अंक है )
ढूढ़ने का प्रयास व्यर्थ है। वस्तु आप की
लापरवाही से खोई है।

शेष अंक 5 ( बुध का अंक है )
आप धैर्य रख्खें वस्तु वापस मिलने की आशा है।

शेष अंक 6 ( शुक्र का अंक है )
वस्तु आप किसी को देकर भूल गए हैं।

घर के दक्षिण पूर्व या
रसोई घर में ढूंढने की कोशिश करें।

शेष अंक 7 ( केतु का अंक है )
चिंता न करें खोई वस्तु मिल जायेगी।

शेष अंक 8 ( शनि का अंक है )
खोई वस्तु मिलने की आशा नहीं है। वस्तु को भूल
जाएँ तो अच्छा है।

शेष अंक 9 या 0 ( मंगल का अंक है )
यदि खोई वस्तु आज मिल गई तो ठीक अन्यथा मिलने
की कोई आशा नहीं है।

उदाहरण :- के लिए अगर प्रश्नकर्ता ने 83 अंक कहा है तो
83 को 9 से भाग दें
83÷9 = 2
शेष आया 2 जो चंन्द्र का अंक है।
वस्तु किसी स्त्री के पास है पर वापस प्राप्त नही होगी।

खोये सामान की जानकारी मिलेगी अथवा नहीं मिलेगी?
Information will be found or will not be found on the missing luggage?

इसके लिए सभी नक्षत्रों को चार बराबर भागों में बाँट दिया गया है. एक भाग में सात नक्षत्र आते हैं. उन्हें अंध, मंद, मध्य तथा सुलोचन नाम दिया गया है. इन नक्षत्रों के अनुसार चोरी की वस्तु का दिशा ज्ञान तथा फल ज्ञान के विषय में जो जानकारी प्राप्त होती है वह एकदम सटीक होती है.
नक्षत्रों का लोचन ज्ञान ।

अंध लोचन नक्षत्र

रेवती, रोहिणी, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढा, धनिष्ठा.

मंद लोचन नक्षत्र

अश्विनी, मृगशिरा, आश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढा, शतभिषा.

मध्य लोचन नक्षत्र

भरणी, आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजित, पूर्वाभाद्रपद.

सुलोचन नक्षत्र नक्षत्र

कृतिका, पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद.

यदि वस्तु अंध लोचन में खोई है तो वह पूर्व दिशा में शीघ्र मिल जाती है।

यदि वस्तु मंद लोचन में गुम हुई है तो वह दक्षिण दिशा में होती है और गुम होने के 3-4 दिन बाद कष्ट से मिलती है।

यदि वस्तु मध्य लोचन में खोई है तो वह पश्चिम दिशा की ओर होती है और एक गुम होने के एक माह बाद उस वस्तु की जानकारी मिलती है. ढाई माह बाद उस वस्तु के मिलने की संभावना बनती है।

यदि वस्तु सुलोचन नक्षत्र में गुम हुई है तो वह उत्तर दिशा की ओर होती है. वस्तु की ना तो मिलती है और न ही उसकी सूचना प्राप्त होती है।

गुम वस्तु की प्राप्ति हेतु दिव्य मंत्र-

जीवन में भूलना, गुमना, चले जाना, बलात ले लेना अथवा लेने के बाद कोई भी वस्तु वापस नहीं मिलना ऐसी घटनाएं स्वाभाविक रूप से घटि‍त होती रहती है।
यदि आप का कोई भी सामान खो गया है या मिल नही रहा तो अपने पूजाघर मे
एक देशी घी का दीपक लगाकर पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें। अपनी गुम वस्तु की कामना को उच्चारण कर भगवान विष्‍णु के सुदर्शन चक्रधारी रूप का ध्यान करें इस मंत्र का विश्वासपूर्वक जप 1008 बार करें।इससे
गुम हुई चीज या अपना फसा धन प्राप्ति होने की सम्भावना प्रबल हो जाती हैl
मंत्र :-  ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते
खोई चीज पाने के लिए
गई बहोरि गरीब नेवाजू |
सरल सबल साहिब रघुराजू ||