क्यों फल नहीं देते राजयोग.
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ज्योतिष के क्षेत्र में अपने शरुआती दौर में कई बार शाश्त्रों में उल्लेखित किसी योग को जब किसी कुंडली में पाता था ,,,व उस कुंडली के जातक को साधारण अवस्था में देखता था तो सोच में पड़ जाता था....बाद में जब कई कुंडलियों को बांचने का सौभाग्य प्राप्त होने लगा तो यकीन मानिए एक ही योग को कई कई तरीकों से फलित होते देखा......दिमाग भन्ना जाता था कई दफा तो मेरा इस विचार से कि सम्भवतः या तो ज्योतिष शास्त्र ही गलत है अथवा मैं ही इसे समझने के लायक नही हूँ...
किन्तु समय के साथ साथ जैसे जैसे अध्ययन व अनुभव बढ़ता गया ,,,कुछ पॉइंट्स साफ़ होने लगे.....आज बेहतर तरीके से जानता हूँ की कुंडली में मात्र किसी राज योग का होना ही उसके फलित होने की गारंटी नहीं है......अमूमन आज भी कई ज्योतिषियों को कुंडली में किसी योग को पाते ही फ़ौरन उस से सम्बंधित भविष्यवाणी करते देखता हूँ तो अफ़सोस होता है......जातक झूठी आस पर जीता है,,,और संभावित उपाय नहीं हो पाते....
वास्तव में परंपरागत सूत्रों को दिमाग में रख कर भविष्यवाणी करने से कई बार गच्चा खाने की संभावनाएं बनी रहती हैं......जहाँ तक राजयोग की बात है ,,,बहुत कुछ निर्भर इस बात पर करता है की जन्म के समय महादशा किस ग्रह की थी. ....अपने शुरूआती दौर में मैं भी कई बार ऐसे सवालों में उलझा.....किन्तु बाद में ये अनुभव कर लिया(कई कुंडलियों के विश्लेषण के पश्चात )कि यह कि जो ग्रह जन्मांग में राजयोग बना रहा है,,, जीवन में उस की दशा आ भी रही है अथवा नहीं,,,,,और आ रही है तो किस आयु वर्ग में आ रही है???.. सब कुछ निर्धारण इस आधार पर होता है....यदि सूर्य उच्च के हैं और किसी प्रकार का योग बना रहे हैं, ,व जातक का जन्म मंगल की महादशा में हो रहा है ,,,तो बहुत संभव है कि अपने जीवन काल में वह जातक सूर्य द्वारा बनने वाले राजयोग का फल नहीं पायेगा.... दूसरी बात जो मैं अनुभव कर पाया वह ये,, कि जन्म की शुरूआती महादशा यदि राजयोग में मुख्य किरदार निभाने -बनाने वाले ग्रह के नैसर्गिक शत्रु ग्रह की है,,, तो आधे से अधिक प्रभाव उस योग का वहीँ पर समाप्त हो जाता है. ....भले ही अब उस योग से सम्बंधित ग्रह की दशा जातक के जीवन में आये अथवा नहीं....
उदाहरण के रूप में समझिए कि आप अपने किसी ऐसे मित्र के घर में गए जिसके यहाँ आम का बहुत बड़ा बगीचा था.....किन्तु आप का वहां जाना नवम्बर के माह में हुआ,,, तो अब उस आम के बगीचे का कोई महत्त्व नहीं रह जाता...आपका यह क्लेम करना की मुझे आम का सुख प्राप्त हो ,,,औचित्यहीन हो जाता है.....वहीँ आपका एक दूसरा परिचित जो की वहां जून के महीने में गया होगा ,,,वह अपने मित्र के बगीचे के आमों का स्वाद ले कर आएगा....
इसे एक और उदाहरण में लें कि आप किसी ऐसे आदमी के घर जा रहे हैं,,, जिस के घर आम का बहुत बड़ा बगीचा है ,आम लगे हुए भी बहुत हैं,,,किन्तु वह व्यक्तिगत रूप से आपको पसंद नहीं करता,,,, अपितु आपको अपना शत्रु ही समझता है,,,तो उन पेड़ पर लटके आमों का भला आपके लिए क्या अर्थ रह जाता है.....वो आपको नहीं मिलने वाले...किन्तु मौसम आमों का तो चल ही रहा है ,,,तो अपने सामर्थ्यानुसार बाजार से आम खरीद कर खा सकते हैं,,,, किन्तु वहां आपको अपनी जेब पर ही निर्भर रहना होगा.....अर्थात जो मजा या मात्रा बगीचे के आमो से प्राप्त हो सकती थी वो खरीद कर नहीं हुई.....आशा है आप सहमत होंगे...
योग सदा दो अथवा दो से अधिक ग्रहों की युति से बनता है,,,अब जीवन में उस योग का फल इन्ही दो में से एक की दशा में प्राप्त होना होता है..इसे जानने का साधारण सा सूत्र बताता हूँ .इसे चार्ट द्वारा समझें.
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उच्च स्व मित्र
(५) (४) (३)
नीच शत्रु सम
(-५) (-४) (-३)
मान लीजिये कि कर्क लग्न में गजकेसरी योग बन रहा है,...यहाँ गुरु अपनी उच्च राशि में हैं,,,अर्थात पांच अंक प्राप्त करते हैं ,,,,साथ ही चंद्रमा गुरु के मित्र हैं तो गुरु को तीन अंक अतिरिक्त प्राप्त होते हैं,,,,,वहीँ दूसरी और चंद्रमा मात्र स्व राशि के होकर चार अंक प्राप्त करते हैं,,, ,इस प्रकार समीकरण यूँ होता है... गुरु =८ व चंद्रमा =४ अंक.....तो यह योग गुरु में चन्द्र के अंतर में फलित होगा.....कुछ कम मात्रा का प्रभाव चंद्रमा में गुरु के अंतर में भी प्राप्त हो सकता है किंतु वास्तविक राजयोग पहली अवस्था मे ही सम्पन्न होगा.... अब अगर जातक के जीवन में गुरु की दशा नहीं आ रही है ,,,तो इस योग से जातक को बहुत अधिक आशा नहीं रखनी चाहिए....इसी प्रकार ज्योतिषी द्वारा अन्य योगों की समीक्षा की जा सकती है.
साथ ही ग्रहों का स्वयं के फलित होने का एक समय होता है...मंगल का समय काल सामान्यतः बीस से तीस वर्ष के मध्य होता है,,,अब यदि किसी जातक के रूचक योग का फलित समय तीसरे वर्ष या पचासवें आयुवर्ष में आ रहा है ,,,तो भला इस योग का भी अब क्या अर्थ रह जाता है....या कहें कि किसी जातक को मालव्य योग का सुख तब मिलना है,, जब वह अपनी आयु के ८२ वें वर्ष में है,,, तो मित्रो क्या इस योग का कोई औचित्य रह जाता है अब???
कुंडली में मात्र किसी योग का होना ही उस योग से सम्बंधित फल पा लेने की गारंटी नहीं है.....कई कुंडलियों में सामान योग होते हुए भी उनके डिग्री ,अक्षांस ,देशांश ,वक्री ,मार्गी से सम्बंधित आंकड़े यहाँ प्रभावित करते हैं....प्रधान मंत्री जी की गाडी का ड्राईवर भी उसी सरकारी वाहन का सुख भोग रहा है,, जिसका स्वयं प्रधानमन्त्री जी.......एक ही सुख अलग अलग प्रभावों में है.....थाने में एक सिपाही भी बैठा है,,,एक दारोगा भी व ,,एक अधिकारी भी....सब लगभग एक ही योग के अलग अलग प्रभावों का सुख पाते है..... जिस प्रकार एक ही पेड़ में लगे आमों का आकार,स्वाद ,रंग अलग अलग होता है...ये सूर्य से किस दिशा में लगे हैं,,,,किसी अन्य बेल आदि के साथ तो वो टहनी विशेष नही उलझी हुई है,,,इन सब कारकों का महत्व नजरंदाज नही किया जा सकता....
साथ ही स्थान विशेष का भी अपना महत्त्व है...अफ्रीका के जंगलों में प्रबलतम राज योग का फल पाना अपनी जाति का मुखिया होना हो सकता है,,,किन्तु अमेरिका जैसे देश में अब उस मुखिया की कोई हैसियत नहीं होती.....यहाँ आपका प्रबलतम राजयोग अपने फलित होने की दशा काल में आपको दुनिया का सबसे पावरफुल व्यक्ति बना सकता है.... अतः ज्योतिष गणना एक श्रमसाध्य विषय है,,.ये निहायत इत्मीनान से ,,,स्वयं ज्योतिषी के श्रेष्ठ मानसिक अवस्था मे होने के दौरान किया जाने वाला कार्य है,,,,,क्षण विशेष में अपना पांडित्य दिखाने वाले तथाकथित ज्योतिषी,जो सेकण्ड्स में कुंडली विवेचन का दावा कर ,उपाय तक बताने लगते हैं,,,वे जातक के साथ छल कर रहे हैं व स्वयं इस विद्या का मजाक बना रहे हैं....आपको अभी बहुत लंबा सफर तय करना होगा बंधुओ,,,, यूँ किसी के विश्वास से दगा मत करो...सैकड़ों विश्वविद्यालय जिस ज्योतिष परंपरा के सूत्रों को तयः करने में स्वयं को होम कर गए,,उनके परिश्र्म को यूँ मिट्टी में न मिलाओ,मेरी आपसे करबद्ध प्रार्थना है..
कहने का तात्पर्य यह है की किसी योग के फलित होने के लिए २०% उस योग का कुंडली में होना आवश्यक है,,,२०%पारिवारिक परिवेश महत्त्व रखता है,,,२०% आपका स्वयं का प्रयास,,,२०% आपसे जुड़े लोगों के ग्रहों का उस योग में योगदान,,,व २०% सामजिक दशा उसे प्रभावित करती है.,,,दुनिया के सबसे छोटे देश का राजा होना भी राज योग है,,,, व दुनिया के सबसे बड़े देश का राजा होना भी राज योग है.... अततः अब कभी भी जब अपनी कुंडली में किसी योग को लेकर भ्रमित हो रहे हों तो इन तथ्यों को अवश्य ध्यान दें...................आशा है आप सहमत होंगे।
Friday, October 18, 2019
राजयोग फलित क्यों नहीं??
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