भवन/ मकान में जल स्थान ज्योतिष / वास्तुशास्त्र अनुसार ( Water in Your Home AS PER Astrology/ Vastushatra)—-
भवन/ मकान में जल स्थान ज्योतिष / वास्तुशास्त्र अनुसार ( Water in Your Home AS PER Astrology/ Vastushatra)—-
वास्तुशास्त्र वर्तमान काल में व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जब से हमारे समय के लोगों ने वास्तुशास्त्र के बारे में जाना है तब से वास्तुशास्त्र का भवन बनाने में बहुतायत से इस विद्द्या का प्रयोग किया जाने लगा है इस बारे में कोई दो राय नहीं है कि यदि भवन निर्माता वास्तुशास्त्र का अध्धयन कर के या किसी वास्तुशास्त्र के मूर्धन्य विद्धवान से परामर्श कर के अपने भूखंड पर भवन का निर्माण कराये तो वह व्यक्ति अपने जीवन में कहीं अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है नहीं तो अशास्त्रीय ढंग से भवन का निर्माण जीवन में संघर्षों का निमंत्रण देता है हालाकिं कर्म और भाग्य महत्वपूर्ण हैं परन्तु वास्तुशास्त्र की भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है
मकान में पानी का स्थान सभी मतों से ईशान से प्राप्त करने को कहा जाता है और घर के पानी को उत्तर दिशा में घर के पानी को निकालने के लिये कहा जाता है,लेकिन जिनके घर पश्चिम दिशा की तरफ़ अपनी फ़ेसिंग किये होते है और पानी आने का मुख्य स्तोत्र या तो वायव्य से होता है या फ़िर दक्षिण पश्चिम से होता है,उन घरों के लिये पानी को ईशान से कैसी प्राप्त किया जा सकता है,इसके लिये वास्तुशास्त्री अपनी अपनी राय के अनुसार कहते है कि पानी को पहले ईशान में ले जायें,घर के अन्दर पानी का इन्टरेन्स कहीं से भी हो,लेकिन पानी को ईशान में ले जाने से पानी की घर के अन्दर प्रवेश की क्रिया से तो दूर नही किया जा सकता है,मुख्य प्रवेश को महत्व देने के लिये पानी का घर मे प्रवेश ही मुख्य माना जायेगा।
पानी के प्रवेश के लिये अगर घर का फ़ेस साउथ में है तो और भी जटिल समस्या पैदा हो जाती है,दरवाजा अगर बीच में है तो पानी को या तो दरवाजे के नीचे से घर में प्रवेश करेगा,या फ़िर नैऋत्य से या अग्नि से घर के अन्दर प्रवेश करेगा,अगर अग्नि से आता है तो कीटाणुओं और रसायनिक जांच से उसमे किसी न किसी प्रकार की गंदगी जरूर मिलेगी,और अगर वह अग्नि से प्रवेश करता है तो घर के अन्दर पानी की कमी ही रहेगी और जितना पानी घर के अन्दर प्रवेश करेगा उससे कहीं अधिक महिलाओं सम्बन्धी बीमारियां मिलेंगी।
पानी को उत्तर दिशा वाले मकानों के अन्दर ईशान और वायव्य से घर के अन्दर प्रवेश दिया जा सकता है,लेकिन मकान के बनाते समय अगर पानी को ईशान में नैऋत्य से ऊंचाई से घर के अन्दर प्रवेश करवा दिया गया तो भी पानी अपनी वही स्थिति रखेगा जो नैऋत्य से पानी को घर के अन्दर लाने से माना जा सकता है। पानी को ईशान से लाते समय जमीनी सतह से नीचे लाकर एक टंकी पानी की अण्डर ग्राउंड बनवानी जरूरी हो जायेगी,फ़िर पानी को घर के प्रयोग के लिये लेना पडेगा,और पानी को वायव्य से घर के अन्दर प्रवेश करवाते है तो घर के पानी को या तो दरवाजे के नीचे से पानी को निकालना पडेगा या फ़िर ईशान से पानी का बहाव घर से बाहर ले जायेंगे,इस प्रकार से ईशान से जब पानी को बाहर निकालेंगे तो जरूरी है कि पानी के प्रयोग और पानी की निकासी के लिये ईशान में ही साफ़सफ़ाई के साधन गंदगी निस्तारण के साधन प्रयोग में लिये जानें लगेंगे। और जो पानी की आवक से नुकसान नही हुआ वह पानी की गंदगी से होना शुरु हो जायेगा।
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