रत्न: मोती
उज्ज्वल चांद का रत्न भी इसकी तरह ही उज्जवल और शांति प्रदान करने वाला होता है। पर्ल या मोती का रंग चमकदार सफेद होता है। यह रत्न आत्मिक शांति देता है और सच्चे प्रेम को बढ़ाता है। इसलिए आप चाहें तो इसे उस व्यक्ति को तोहफे में दे सकते हैं जिससे आप आत्मीय संबंध चाहते हैं।
मोती
यह चंद्र रत्न है। अतः कर्क राशि वालोँ के लिए फायदेमंद है। यह त्वचा रोग, पेट संबंधी बीमारी, श्वास रोग, मस्तिष्क रोग मेँ लाभकारी है।
मोती कब पहनें
सामान्यत: चंद्रमा क्षीण होने पर मोती पहनने की सलाह दी जाती है मगर हर लग्न के लिए यह सही नहीं है। ऐसे लग्न जिनमें चंद्रमा शुभ स्थानों (केंद्र या त्रिकोण) का स्वामी होकर निर्बल हो, ऐसे में ही मोती पहनना लाभदायक होता है। अन्यथा मोती भयानक डिप्रेशन, निराशावाद और आत्महत्या तक का कारक बन सकता है।
लग्न कुंडली में चंद्रमा शुभ स्थानों का स्थायी हो मगर,
1. 6, 8, या 12 भाव में चंद्रमा हो तो मोती पहनें।
नीच राशि (वृश्चिक) में हो तो मोती पहनें।
चंद्रमा राहु या केतु की युति में हो तो मोती पहनें।
. चंद्रमा पाप ग्रहों की दृष्टि में हो तो मोती पहनें।
चंद्रमा क्षीण हो या सूर्य के साथ हो तो भी मोती धारण करना चाहिए।
. चंद्रमा की महादशा होने पर मोती अवश्य पहनना चाहिए।
. चंद्रमा क्षीण हो, कृष्ण पक्ष का जन्म हो तो भी मोती पहनने से लाभ मिलता है।
चंद्रमा के बलि होने से न केवल मानसिक तनाव से ही छुटकारा मिलता है वरन् कई रोग जैसे पथरी, पेशाब तंत्र की बीमारी, जोड़ों का दर्द आदि से भी राहत मिलती है।
बिना कुडंली के विशलेण किये रत्न धारण करना नुकसान दायक हो सकता है।
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