Tuesday, February 28, 2017

राजनीतिक सफलता

|||राजनीती सफलता के ग्रह योग|||                                               राजनीती एक बहुत ही महत्वपूर्ण छेत्र है।राजनीती में सफलता के लिए मुख्य रूप से सूर्य, मंगल, गुरु, शनि और राहु कारक होते है।सूर्य राजा है, मंगल सेनापति, गुरु मंत्री और अच्छा सलाहकार, शनि जनता का कारक है तो राहु चलाकी, गुप्त षड्यंत्र और आज की वर्तमान बहुत ही महत्वपूर्ण कारक ग्रह है।सूर्य राजा, सफलता ,सरकार का कारक होने से राजनीती में उच्च अधिकार और सफलता दिलाता है, मंगल बल और साहस का कारक है यह जातक को हिम्मत देने का काम करता है।गुरु सही रास्ता दिखाने वाला है तो इसके इसी गुण के कारण राजनीती में सफल होने वाले जातक मंत्री आदि जैसे पद को प्राप्त करते है।शनि की अनुकूल स्थिति जातक को जनता से सहयोग दिलाती है शनि के अनुकूल होने से राजनीती में जातक लोकप्रियता प्राप्त करता है।राहु आज की राजनीती का हीरो है, आज वर्तमान राजनीती में सफल होने के लिए राहु का अनुकूल और शुभ होना बहुत जरुरी है, यदि यह अनुकूल रिजल्ट न दे तो जातक राजनीती में कई बार असफल हो सकता है।                                                                                 इसके आलावा कुंडली का दशम भाव राजनीती, सत्ता, अधिकार, सरकार से सम्बंधित भाव है, चोथा भाव जनता से सम्बंधित भाव है तो पाचवां घर जातक की बुद्धि विवेक का है, दूसरा भाव वाणी का है राजनीती में भाषण देने की कला का अच्छा होने केलिए द्वितीय भाव अच्छा होना चाहिए।बुध ग्रह बुद्धि, सोच-समझ और बोलने की शक्ति का कारक है बुद्धि, सोच-समझ और क्या और कैसे बोलना चाहिए यह कला बुध ही देता है।इस कारण इन सभी ग्रह और भावो का अनुकूल और मजबूत होना जातक को एक सफल राजनीतिज्ञ बनाता है।।                                                                   राजनीती एक बहुत ही बड़ा और उच्च अधिकारो और जनता के सहयोग का छेत्र है।जिसके लिये जरुरी है कुंडली में राजयोगो का होना, जितने ज्यादा केंद्र त्रिकोण के सम्बन्ध आपस में बनते है राजयोग उतना ही ज्यादा शक्तिशाली होता है।राजयोग के प्रभाव से जातक समाज में सम्मानित जीवन जीता है।जो जातक राजनीती में होते है उनकी कुंडली में राजयोग होता है इसी के प्रभावसे यह समाज में अपनी पहचान और उच्च स्तर का जीवन जीते है।इसके आलावा दशम भाव या दशम भाव से बना गजकेसरी योग, दशम भाव में बेठा शुभ और बली राहु या शनि इनका योगकारक ग्रहो से होना राजनीती सफलता के लिए शुभ होता है।गुरु की दृष्टि दशम भाव पर खुद एक तरह से राजयोग के समान होती है।

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