पत्नी और पति की उम्र मे अन्तर
पुरुष के लिए शुक्र और स्त्री के लिए गुरु
जीवन साथी के रूप में माने जाते है.दक्षिण
भारत में स्त्री के लिए मंगल को भी
जीवन साथी के रूप में देखा जाता है.शनि
की नजर जब शुक्र पर होती है तो
स्त्री उम्र में बड़ी होती है
और शनि की नजर जब गुरु या मंगल पर
होती है तो स्त्री का पति उम्र में बड़ा
होता है.बाकी के ग्रह अपने अपने अनुसार फल दाई
होते है.अगर शुक्र शनि दोनों लगन में ही है तो पुरुष
की पत्नी कुछ महीने
ही बड़ी होगी,अगर दूसरे
भाव में है तो एक साल का फर्क होगा तीसरे भाव में दो
साल का चौथे भाव में तीन साल का पांचवे भाव में चार साल
का इसी तरह से छः में पांच सातवे भाव में छः साल का
आठवे भाव में सात साल एक माह नवे भाव में सात साल दो माह का
दसवे भाव में पूरे दस साल का अक्सर दूसरी जगह
शादी और ग्यारहवे भाव में दस साल एक माह और
बारहवे भाव में दस साल दो माह का अंतर माना जाता है.
पुरुष के लिए स्त्री के बड़ी उम्र
की मिलाती है तो एक साथ कई फायदे देखे
जाते है,एक तो शुक्र और शनि की युति
मिलाती है जिसके कारण से वैवाहिक जीवन
बहुत ही आराम से निकल जाता है किसी
प्रकार की लड़ाई झगड़ा नहीं होता है
दूसरा पुरुष का दूसरी स्त्रियों की तरफ जाने
वाला ध्यान ख़त्म हो जाता है तीसरा कारण जो सबसे
अच्छा माना जाता है की बड़ी उम्र
की स्त्री कमाने वाले धन को सुरक्षित
रखती है और भौतिक साधनों का पूरा पूरा उपयोग होना
माना जाता है लेकिन व्यक्ति के अन्दर अधिक उम्र की
स्त्री के साथ सहसवास करते करते
शारीरिक बल में कमी आती है
कभी कभी पुरुष अगर दस साल से अधिक
का अंतर होता है तो वह शरीर सुख से दूर भागने
लगता है तथा स्त्री जातको से उसे चिढ हो
जाती है.इस प्रकार से उसके सामने केवल एक
ही चिंता होती है की कितना
धन और कैसे कमाया जाए,उम्र की बयालीस
साल की उम्र तक वह अधिक चिंता करता है चाहे
कितनी ही संपत्ति उसके पास आजाये
लेकिन उसे धन की फिर भी जरूरत
पड़ती रहती है.
स्त्री की कुंडली में अगर शनि
गुरु को देख रहा होता है तो उसकी शादी
बड़ी उम्र के पुरुष से होती है और
शादी के सातवी साल से ही घर
में किसी न किसी प्रकार का अनैतिकता का
कारण बन जाता है अक्सर इसी अनैतिक कारणों
की बजह से स्त्री अपनी
कामुकता की शान्ति के लिए अलग अलग प्रकार के
अनैतिक रास्ते अपना लेती है.इसी कारण
से कामुकता के रोग भी पनपने लगते है और
अंदरूनी बीमारिया भी
मानी जाती है,अक्सर कम उम्र
की स्त्री के पुरुष चाहे कितने
ही साधन जुटा ले लेकिन उंके घर में हमेशा कलह
होती ही रहती है,धन का
कोइ मूल्य नहीं रह जाता है और जीवन
में स्त्री हमेशा नीरसता का कारण
ही पैदा करती रहती
है.इसी प्रकार का कारण अगर शनि के द्वारा मंगल पर
दिया जाता है तो स्त्री के अन्दर एक
अंदरूनी आग हमेशा अपने प्रकार से
जलती रहती है और वह अपने अपने
कारणों से किसी न किसी प्रकार से
अपनी उत्तेजना को परिवार समाज या घर की
जमीन जायदाद पर दिखाती है.पति के परिवार
वाले उसे अक्सर अपनी पहुँच से दूर ही
अच्छे लगते है और पति के लिए तब और अधिक भारी
समय आजाता है जब दो बच्चे हो जाते है और स्त्री
का एनी पुरुषो की तरफ झुकाव पैदा हो जाता
है.
राहू का असर अगर शनि गुरु के साथ किसी प्रकार से
मिक्स हो जाता है तो पुरुष अपनी कमजोरी
के कारण अक्सर शराब या अन्य नशों के गुलाम भी होते
देखे गए है साथ ही उनके घर परिवार में क्या हो रहा
है उन्हें पता नहीं होता है वे अपने
ही ख्याल में पड़े रहकर अपने कार्यों से
भी कभी कभी दूर होते देखे
गए है.सौ में से बीस लोग संसार से समय आने से
पहले ही शरीर की
कमजोरी के कारण कूंच कर जाते है और जो बचाते है
उनके अन्दर एक प्रकार का सामाजिक दोष भी देखने को
मिलता है.
Saturday, March 25, 2017
पति और पत्नी की उम्र में अंतर
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