Thursday, March 9, 2017

शुक्र और मंगल योग

"शुक्र मंगल एक साथ हो जाय तो उन्नति अवश्य
मिलती है ?"---"शुक्र "बहुत शुभ ग्रह है -
सहत्रसार में अमृत के कुंड का संचालन यही करता है
1 जिह्वा और जनेन्द्रिय में इसका निवास होता है 1
शरीर के मुख्य संचालन का कार्य भार "शुक्र "के
ही कारण है 1 भगवान शंकर के वरदान अनुसार
"बृहस्पति "से तीन गुणा बलइसमें अधिक है 1 सब
ग्रह आठवें ,बारहवें भाव में सारहीन हो जाते
हैं ,किन्तु "शुक्र "आठवें और बारहवें भाव में हो और साथ
ही इसकी महादशा चल जाये तो जातक
को अरबों ,खरबों रूपये ,वाहन सुख,राज्यसुख,स्त्रीसुख
अर्थात सबकुछ प्रदान कर देता है 1------साथ
ही अगर मंगल के साथ शुक्र होता है तो वह काम
पिपासा का धनि भी इतना बता है कि 90 वर्ष तक
भी काम के क्षेत्र में हल्का नहीं होने
देता है जातक को 1 अर्थात वह ब्रह्मचारी रहने
ही नहीं देता और
बिना ब्रह्मचारी रहे ईस्वर
की उपासना हो ही नहीं
सकती है 1--बाबा तुलसीदास ज
की ये उक्ति ----"जहां राम तहां काम
नहि ,जहां काम कहां राम तुलसी कबहुंक
रहि सकहि ,रवि ,रजनी एक ठाम 11--अस्तु ---
श्री हनुमानजी को छोड़कर कामदेव से सब
पराजित हुए हैं ,शुक्र लाभदायी ग्रह है 1 "शुक्र
"का बीज मन्त्र सरल भाषा में -ॐ द्राम
द्रीम द्रोम सः शुक्राय नमः !अर्थात -
कुंडली मिलान के समय "शुक्र +मंगल
का भी विशेष विचार अवश्य
ही करना चाहिए !

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