शाबर मंत्र आम लोगों का कल्याण करने, उन्हें समस्यामुक्त करने और उनके दैनिक जीवन को ऊंचा उठाने में अत्यंत कारगर है। यहां ऐसे ही कुछ मंत्रों की जानकारी दी जा रही है, जो दैनिक जीवन से जुड़े हैं और जिनका प्रयोग अत्यंत आसान है।1-महालक्ष्मी मंत्र
मंत्र-- राम-राम क्या करे, चीनी मेरा नाम। सर्वनगरी बस में करूं, मोहूं सारा गांव।
राजा की बकरी करूं, नगरी करूं बिलाई। नीचा में ऊंचा करूं, सिद्ध गौरखनाथ का दुहाई।
प्रयोग विधि : जिस गुरुवार को पुष्य नक्षत्र हो, उस दिन से प्रतिदिन एकांत में बैठकर कमलगट्टे की माला पर उक्त मंत्र का 108 बार जप करें। 40 दिनों में मंत्र सिद्ध हो जाता है। फिर नित्य 11 बार जप करते रहें। मां महालक्ष्मी की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।2- शरीर रक्षा मंत्र
(अ) उत्तर बांधों, दक्खिन बांधों, बांधों मरी मसान, डायन भूत के गुण बांधों, बांधों कुल परिवार, नाटक बांधों, चाटक बांधों, बांधों भुइयां वैताल, नजर गुजर देह बांधों, राम दुहाई फेरों।
(ब) जल बांधों, थल बांधों, बांधों अपनी काया, सात सौ योगिनी बांधों, बांधों जगत की माया, दुहाई कामरू कमक्षा नैना योगिनी की, दुहाई गौरा पार्वती की, दुहाई वीर मसान की।
प्रयोग विधि : उक्त दोनों में से किसी एक मंत्र को पर्व, संक्रांति, ग्रहण समेत किसी भी सिद्धकाल में कम से कम 2100 (11000 हो सके तो उत्तम) जपने पर प्रयोग के लिए तैयार हो जाता है। शरीर रक्षा की आवश्यकता पड़े तो सिद्ध मंत्र का नौ बार उच्चारण कर हथेली पर नौ बार फूंक मारें और हथेली को पूरे शरीर पर फिरा दें। इससे शरीर सुरक्षित हो जाएगा।3-उदर पीड़ा निवारक हनुमान मंत्र
मंत्र-- जो जो हनुमंत धगधजित फलफलित आयुराष: खरूराह
यह मंत्र रामबाण की तरह असरकारक है। उदर से संबंधित किसी भी तरह के रोगी की हालत में तत्काल सुधार होने लगता है। चौबीस घंटे में स्थिति संतोषजनक रूप से सुधरती नजर आती है। यह प्रयोग रोगी के पूरी तरह ठीक होने तक प्रतिदिन दो बार करना चाहिए। इसके प्रयोग के लिए निम्न दो प्रमुख विधियां हैं। इनमें से सुविधानुसार एक या दोनों का एक साथ प्रयोग किया जा सकता है।
1-108 मंत्र का जप करते हुए रोगी के पेट पर ऊपर से नीचे की तरफ हाथ फेरें।
2-जल (गंगा जल मिले तो ज्यादा अच्छा) को एक पात्र में रखकर 108 बार मंत्र जप कर अभिमंत्रित करें। इसके बाद उसे रोगी को पिलाएं।4-दुकान में बिक्री बढ़ाने का मंत्र
श्री शुक्ले महा-शुक्ले कमल-दल-निवासे श्री महा-लक्ष्मी नमो नम:। लक्ष्मी माई सत्त की सवाई। आओ, चेतो, करो भलाई। ना करो, तो सात समुद्रों की दुहाई। ऋद्धि-सिद्धि खावोगी, तो नौ नाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई।।
प्रयोग विधि : यदि दुकान/व्यवसाय में उपेक्षित बिक्री नहीं हो रही है या किसी कारण से अचानक घट गई है तो सुबह घर से नहा-धोकर दुकान पर जाएं और अगरबत्ती जलाकर उसी से लक्ष्मी जी के चित्र की आरती कर गद्दी पर बैठ जाएं। फिर उक्त मंत्र का एक माला जप कर कामकाज शुरू करें। निश्चय ही आशातीत सफलता मिलेगी।5-धन के लिए शिव की मंजू घोष साधना
मंत्र---- अ र व च ल धीं
यदि लगातार आर्थिक संकट से जूझ रहे हों और बच निकलने का मार्ग न मिल रहा हो तो शिव के मंजू घोष रूप की उच्छिष्ट साधना करें। इससे आपको थोड़े दिनों में ही आर्थिक संकट से छुटकारा मिल जाएगा। खाना खाने के बाद जूठी थाली में बचे अन्न, दाल, सब्जी या पानी से उंगली के सहारे डमरू का आकार बनाएं। उस डमरू के ऊपर और नीचे उंगली से ही अ र व च ल धीं मंत्र लिखें। फिर उच्छिष्ट मुंह और हाथ लिये 108 बार इस मंत्र का जप करें। कुछ ही दिन में आर्थिक संकट से छुटकारा मिल जाएगा।6-नजर उतारने का मंत्र
ओम नमो आदेश गुरु का। गिरह-बाज नटनी का जाया, चलती बेर कबूतर खाया, पीवे दारू खाय जो मांस, रोग-दोष को लावे पांस। कहां-कहां से लावेगा? गुदगुद में सुद्रावेगा, बोटी-बोटी में से लावेगा, चाम-चाम में से लावेगा, नौ नाड़ी बहत्तर कोठा में से लावेगा, मार-मार बंदी कर लावेगा। न लावेगा तो अपनी माता की सेज पर पग रखेगा। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा।
प्रयोग विधि : अक्सर बच्चे एवं सुंदर महिला को नजर लग जाती है और उसकी तबीयत अचानक खराब हो जाती है। दवा से फायदा नहीं मिल पाता। ऐसे में उक्त मंत्र पढ़कर मोर फंख से पीडि़त को झाड़ दें, उसे तत्काल आराम मिलने लगेगा और नजर दोष दूर हो जाएगा। ध्यान रहे कि प्रयोग से पूर्व मंत्र को पर्व, संक्रांति, ग्रहण समेत किसी भी सिद्धकाल में कम से कम 1100 जप कर लें। इसके बाद ही आवश्यकतानुसार प्रयोग प्रारंभ करें।7-संकट से उबारने वाला गुरुमंत्र
आदिनाथ कैलास निवासी, उदयनाथ काटे जम फांसी।
सत्यनाथ सारणी संत भाखे, संतोषनाथ सदा संतन की राखे।
कन्थडिऩाथ सदा सुख दायी, अचती अचम्भेनाथ सहायी।
ज्ञान पारखी सिद्ध चौरंगी, मच्छेन्द्रनाथ दादा बहुरंगी।
गोरखनाथ सकल घट व्यापी, काटे कलिमल तारे भव पीड़ा।
नव नाथों के नाम सुमिरिये, तनिक भस्मि ले मस्तक धरिये।
रोग शोक दारिद्र नशावे, निर्मल देह परम सुख पावे।
भूत प्रेत भय भञ्जना, नव नाथों के नाम।
सेवक सुमिरे चन्द्रनाथ, पूर्ण होय सब काम।
प्रयोग विधि : ग्रहण, संक्रांति या किसी अन्य शुभ समय में उक्त मंत्र का 1008 जप कर लें। फिर दशांश हवन कर भस्म को सुरक्षित रख लें। किसी भी संकट, विशेष कार्य, रोग-शोक आदि होने पर मंत्र का एक से पांच बार तक जप कर मस्तक पर भस्म लगा लें। कार्य अवश्य सिद्ध होगा। यदि जीवन में कोई गंभीर संकट उपस्थित हो गया हो तो स्नान के बाद गीले शरीर में ही उक्त मंत्र का तीन बार जप कर लें। पंद्रह दिन में समस्या का निराकरण हो जाएगा। ध्यान रहे कि इस मंत्र का अकारण प्रयोग या जप उचित नहीं है। इसके बदले गुरु गोरखनाथ सहित सभी नौ गुरुओं का ध्यान, प्रणाम करना ही उचित होगा।
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