Thursday, August 2, 2018

सात्विक भूत साधना

सात्विक  भूत  साधना       

   (गुरु मंत्र साधना)

आज आप को भूत साधना  की  जानकारी  दुगा जिससे करने से आप की काफी समस्याओ  का  समाधान  हो  जाता  है  । भूतो के  सन्दर्भ मे कुछ विद्वानो का मानना है   जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है।

अतीत में अटकी आत्मा भूत बन जाती है।। कई  ऐतिहासिक ग्रंथो  भूतो  का जिक्र  आया  है हर  धर्म  ने  आत्मा के अस्तित्व  को  माना  है ।गीता मे यह लिखा है कि आत्मा अजर अमर है ।

भगवान ने गीता मे कहा है कि आतमा कभी मरती नही अग्नि जला नही सकती  वायु सुखा नही सकती है ।कोई असतर शसतर काट नही सकता।दुसरी ओर साईस का मानना कि यह  एक अंधविशवास है जो चीज  नजर ही नही आती उसको कैसे माना जा सकता है ।कया किसी ने कभी हवा को देखा है ।

हम हवा को देख नही सकते महिसूस कर सकते है ।ईस परकार भूत परेत को देख नही सकते महिसूस कर सकते है । ।

प्रिय साधको ज्यादातर आप  ने  तामसिक  साधना ही ईटरनेट  और किताबो  मे पड़ी  होगी जो  कि  बहुत  कठिन  होती  है  श्मशान  घाट  पर  की  जाती  है जिसको करते समय   थोड़ी  सी  भी  गलती जीवन  के  लिए  खतरनाक ।   अगर  आप घर  परिवार  वाले  है  तो  सात्विक  साधना  ही   करनी चाहिए

   आज आप  को सात्विक  आत्मा  को  वश
मे  करने के लिए सात्विक साधना  की  जानकारी  दुगा  जो बहुत  सरल सौमय और प्रभावशाली  भी  है । ईस से   किसी  भी  किस्म  नुकसान  नही  होता  ।

  भूतो  का  नाम  सुनते  ही  लोग  भयभीत  हो  जाते  है । भयभीत  होने    की  कोई  जरूरत  नही  है ।

अगर  आप  ईस साधना  को  सिद्ध  कर  लेते  है  तो  भूत  आप  के  साथ  मित्र बन  कर साथ मे  रहता है आपकी  की  हर  समय  शुत्रओ  से  रक्षा  करता है  अंगरक्षक  बन  कर भविष्य  मे  होने वाली अशुभ  घटनाओ के बारे  मे  सुचेत करता  है ।   आप  यह  साधना  गुरु  के  निर्देश  मे  करे  ।

भूत मंत्र

पांच आत्मा पांच प्राण पांचो जन पांचो आत्मा जुगल मिलन एतु रुहर करन

विधी   ईस  साधना  को एकांत  कमरे  मे या पुरातन  शिवालय  मे  रविवार  से  शुरू  करे  स्नान कर सफेद  वस्त्र  धारण कर शिव के  चित्र या  मूर्ती   के पास एक  त्रिशूल  रखे  फिर   धूप  दीप  प्रज्वलित  करे शिव बाबा की  दुहाई  देते  हुए  भूत  मंत्र  का  जप  करे एक  घंटा  प्रतिदिन  पांच   मिनट  जप  मे वृद्धि  करे यह  क्रिया 31 दिन  करे ।

ईस  साधना  के  पूर्ण होने पर  एक  पवित्र  आत्मा  साधक  के  वश  आ जाती  है  । जिससे  आप  अपना  कोई  भी  कार्य  करवा  सकते  है ।

नोट-

यह साधना गुरू के मारग दर्शन मे करे । यह सिद्ध से किसी का बुरा न करे।

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