रावण संहिता की प्रचंड वशीकरण साधना
मंत्र
ऊँ नमो भगवते कामदेवाय सर्वजन प्रियाय सर्वजन सम्मोहनाय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल हन हन वद वद तप तप सम्मोहय सम्मोहाय सर्वजन मे वशं कुरू कुरू स्वाहा।
मंत्र जप संख्या: इक्कीस हजार
दिशा: उत्तर
स्थान: घर का एकांत कक्ष
समय: मध्य रात्रि
दिन: शुक्रवार/मोहिनी एकादशी
आसन: सफेद रंग
वस्त्र: सफेद धोती
हवन: (दशांश) देशी घी, पंचमेवा (काजू, बादाम, किशमिश, पिस्ता, मखाना)
साधना सामग्री: सम्मोहन सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित यंत्र, सिद्ध वशीकरण माला, सम्मोहिनी कवच वशीभूत गुटिका, सम्मोहिनी सिद्ध तंत्र फल एवं अन्य उपयोगी आवश्यक पूजन सामग्री।
विधि: मोहिनी एकादशी या किसी शुक्रवार को स्नान आदि से निवृत्त होकर कांसे की थाली में समस्त तांत्रिक पूजन सामग्री स्थापित करके पंचोपचार पूजन करना चाहिए। व्यक्ति विशेष को वश में करने का अथवा सिद्धि का संकल्प लेते हुए विधि-विधान पूर्वक गुरु-गणेश वंदना करके मूल मंत्र का जप करें। जप की पूर्णता पर दशांश हवन करके ब्राह्मण एवं पांच कंुआरी कन्याओं को भोजन सहित उपयुक्त दान दक्षिणा देकर साधना को पूरा करें।
इस महत्वपूर्ण सम्मोहिनी साधना से साधक का व्यक्तित्व अत्यंत सम्मोहक और आकर्षक हो जाता है। उसके संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति प्रभावित हुए बगैर नहीं रहता।
यदि कोई साधना करने में असमर्थ हो, तो योग्य विद्वान द्वारा यह साधना संपन्न करवाकर सम्मोहिनी कवच धारण करके उक्त लाभ प्राप्त कर सकता है
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