गृहके समीपस्थ
( १ ) घरके समीप सचिवालय हो तो धनकी हानि
, धूर्तका घर हो तो पुत्रनाश
, मन्दिर हो तो उद्वेग ( अशान्ति )
, चौराहा हो तो अपशय,
चैत्य वृक्ष हो तो भय,
दीमक व पोली जमीन हो तो विपत्ति,
गड्ढा हो तो पिपासा
और
कूर्माकार जमीन हो तो धननाश होता है ।
( २ ) देवालय, धूर्त, सचिव या चौराहेके समीप घर बनानेसे दुःख, शोक तथा भय बना रहता है ।
( ३ ) भविष्यपुराणमें आया है
- नगरके द्वार, चौक, यज्ञशाला, शिल्पियोंके रहनेके स्थान, जुआ खेलने तथा मद्य - मांसादि बेचनेके स्थान, पाखण्डियोंके रहनेके स्थान, राजाके नौकरोंके रहनेके स्थान,
देवमन्दिरके मार्ग, राजमार्ग और राजाके महल - इन स्थानोंसे दूर घर बनाना चाहिये ।
स्वच्छ, मुख्य मार्गवाला, उत्तम व्यवहारवाले लोगोंसे आवृत्त तथा दुष्टोंके निवाससे दूर स्थानपर गृहका निर्माण करना चाहिये ।
( ४ ) घरके पूर्वमें विवर या गड्ढा, दक्षिणमें मठ - मन्दिर, पश्चिममें कमलयुक्त जल और उत्तरमें खाई हो तो शत्रुसे भय होता है
Sunday, June 5, 2016
गृह के समीपस्थ
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