सूतक- पातक की जानकारी
सूतक -
सूतक का सम्बन्ध "जन्म के" निम्मित से हुई अशुद्धि से है ! जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप "सूतक" माना जाता है !
जन्म के बाद नवजात की पीढ़ियों को हुई अशुचिता :-
3 पीढ़ी तक - 10 दिन
4 पीढ़ी तक - 10 दिन
5 पीढ़ी तक - 6 दिन
पातक :-
पातक का सम्बन्ध "मरण के" निम्मित से हुई अशुद्धि से है ! मरण के अवसर पर दाह-संस्कार में इत्यादि में जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप "पातक" माना जाता है !
मरण के बाद हुई अशुचिता :-
3 पीढ़ी तक - 12 दिन
4 पीढ़ी तक - 10 दिन
5 पीढ़ी तक - 6 दिन
जिस दिन दाह-संस्कार किया जाता है, उस दिन से पातक के दिनों की गणना होती है, न कि मृत्यु के दिन से !
ध्यान दीजिए :-
सूतक-पातक की अवधि में "देव-शास्त्र-गुरु" का पूजन आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती हैं ! इन दिनों में मंदिर के उपकरणों को स्पर्श करने का भी निषेध है ! यहाँ तक की गुल्लक में रुपया डालने का भी निषेध बताया है ! किन्तु ये कहीं नहीं कहा गया है कि सूतक-पातक में मंदिर तथा किसी के घर भी जाना भी वर्जित है . मंदिर में जाना, देव-दर्शन, प्रदिक्षणा करना , जो पहले से याद हैं वो विनती/स्तुति बोलना, भाव-पूजा करना, हाथ की अँगुलियों पर जप करना तथा किसी के घर जाना शास्त्र सम्मत है ! तथा यह सूतक-पातक आर्ष-ग्रंथों से मान्य है ! कुल मिलाकर सुतक पातक के दिनो मे केवल और केवल मूर्ति स्पर्श तथा धार्मिक कर्मकान्डो का ही निषेध है.
आज समाज ने सुतक पातक के आर्षसुत्रो मे अपनी बुद्धि का प्रयोग कर अपनी परम्परावो को जोड़ दिया है. जो कि उचित नही है. अत: समाज को शास्त्रसम्मत विचारधारा का अनुपालन करना चाहिए.
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Saturday, June 25, 2016
सूतक -पातक की जानकारी
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