चंद्रमा= सूर्य को ज्योतिष में राजा कहा गया तो चंद्रमा रानी या यह भी कह ले सूर्य पिता तो चन्द्रमा माता है जलीय ग्रह है और वेसे इसको सुभ ग्रह मानते है पर बुद्ध की तरह् इसको हम सुभ या असुभ नहीं कह सकते जितना सूर्य से दूर होगा उतना बलबान सूर्य एक पास जितना होगा उतना बलहीन होगा यह एक लग्न भी है उत्तर भारत में तो लग्न कुंडली के साथ चन्द्र कुंडली भी बनाई जाती है यह लग्न का काम भी करता है और दैनिक राशि फल इससे ही देखे जाते है माता का पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्वब करता है यह जितना बलबान होगा उतना माँ के लिए सुभ जितना बलहीन माता को कष्ट कारक प्रश्न कुंडली आदि भी इससे ही देखि जाता है वेसे इसकी किसी से स्त्रुता नहीं है सिर्फ छाया ग्रह राहु को सत्रु मानता है सफेद वस्तु का कारक है चेहरे का भी और स्त्री ग्रह है स्त्री आदि प्रश्नो में भी यह देखा जाता है यह चन्द्रमा मन या मष्तिक का भी कारक है 4 भाव का कारक है यह स्थान हमारे भावना आदि का भी तो है तो मानशिक पीड़ा पागलपन आदि भी पीड़ित होने पे देता है यह जलीय ग्रह है बलबान होगा तो जल आदि के व्यवसाय से लाभ देगा मन की भावना यह ही है तो जब सुभ या सात्विक ग्रहो के संपर्क में होगा सात्विक और तामशिक ग्रहों के संपर्क में होगा तो जातक तामशिक क्योंकि यह खाने पिने की चीजो का कारक है राहु के द्वारा चंद्रमा पीड़ित होना जातक ज्यादा सराबी होते है यह देखा गया है सूर्य के साथ बलहीन तो असुभ मंगल के साथ सुभ ही रहता है बुध चंद्रमा भी ज्यादा असुभ नहीं गुरु के साथ राजयोग कारक होता है शुक्र के साथ स्त्री के साथ स्त्री ग्रह सुभ ही फल देता है शनि के साथ इसको असुभ ही मानते है माता को कष्ट अदि आदि पर एक पहलु से शनि के साथ वैराग्य ग्रह शनि है आध्यात्मिक दृष्टि से शनि से युति ठीक रहती है लिखने को तो और भी वो फिर कभी
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