लालकिताब की आचार संहिता
लालकिताब के लिये अपनी बात
ज्योतिष जानए वालों के लिये लालकिताब कोई नया नाम नही है,यह भारत के उत्तरी भाग में बहुत ही प्रचलित है,ज्योतिष में विश्वास रखने वाला कोई भी व्यक्ति लालकिताब को पढने के बाद उससे दूर नही जा सकता है,सभी ज्योतिषकर्ता इस पर अटूट विश्वास करता है.
आंख बन्द कर और बिना कुंडली देखे जब किसी के प्रति उपाय दिया जाता है,तो मान लिया जाता है कि सामने वाला लालकिताब का जानकार है,कठिनाई को जानकर और समझ कर कि यह कठिनाई किस ग्रह के द्वारा दी जा रही है,उसी ग्रह का उपाय दे दिया जाता है,और कठिनाई ठीक हो जाती है.
जैसे जब कुन्डली में राहु खराब होता है,तो दिमागी तकलीफ़ें बढ जाती है,बिना किसी कारण के दिमाग में पता नही कितनी टेन्सन पैदा हो जाती है,बिना किसी कारण के सामने वाले पर शक किया जाने लगता है,और जो अपने होते हैं वे पराये हो जाते है,और जो पराये और घर को बिगाडने वाले होते है,उन पर जानबूझ कर विश्वास किया जाता है,घर के मुखिया का राहु खराब होता है,तो पूरा घर ही बेकार सा हो जाता है,संतान अपने कारणो से आत्महत्या तक कर लेती है,पुत्र या पुत्र वधू का स्वभाव खराब हो जाता है,वह अपने शंकित दिमाग से किसी भी परिवार वाले पर विश्वास नही कर पाती है,घर के अन्दर साले की पत्नी,पुत्रवधू,मामी,भानजे की पत्नी,और नौकरानी इन सबकी उपाधि राहु से दी जाती है,कारण केतु का सप्तम राहु होता है,और राहु के खराब होने की स्थिति में इन सब पर असर पडना चालू हो जाता है,राहु के समय में इन लोगों का प्रवेश घर के अन्दर हो जाता है,और यह लोग ही घर और परिवार में फ़ूट डालना इधर की बात को उधर करना चालू कर देते है,साले की पत्नी घर में आकर पत्नी को परिवार के प्रति उल्टा सीधा भरना चालू कर देती है,और पत्नी का मिजाज गर्म होना चालू हो जाता है,वह अपने सामने वाले सदस्यों को अपनी गतिविधियों से परेशान करना चालू कर देती है,उसके दिमाग में राहु का असर बढना चालू हो जाता है,और राहु का असर एक शराब के नशे के बराबर होता है,वह समय पर उतरता ही नही है,केवल अपनी ही झोंक में आगे से आगे चला जाता है,उसे सोचने का मौका ही नही मिलता है,कि वह क्या कर रहा है,जबकि सामने वाला जो साले की पत्नी और पुत्रवधू के रूप में कोई भी हो सकता है,केवल अपने स्वार्थ के लिये ही अपना काम निकालने के प्रति ही अपना रवैया घर के अन्दर चालू करता है,उसका एक ही उद्देश्य होता है,कि राहु की माफ़िक घर के अन्दर झाडू लगाना और किसी प्रकार के पारिवारिक दखलंदाजी को समाप्त कर देना,गाली देना,दवाइयों का प्रयोग करने लग जाना,शराब और तामसी कारणो का प्रयोग करने लग जाना,लगातार यात्राओं की तरफ़ भागते रहने की आदत पड जाना,जब भी दिमाग में अधिक तनाव हो तो जहर आदि को खाने या अधिक नींद की गोलियों को लेने की आदत डाल लेना,अपने ऊपर मिट्टी का तेल या पैट्रोल डालकर आग लगाने की कोशिश करना,राहु ही वाहन की श्रेणी में आता है,उसका चोरी हो जाना,शराब और शराब वाले कामो की तरफ़ मन का लगना,शहर या गांव की सफ़ाई कमेटी का सदस्य बन जाना,नगर पालिका के चुनावों की तरफ़ मन लगना,घर के किसी पूर्वज का इन्तकाल हो जाना और अपने कामों की बजह से उसके क्रिया कर्म के अन्दर शामिल नही कर पाना आदि बातें सामने आने लगती है,जब व्यक्ति इतनी सभी बातो से ग्रसित हो जाता है,तो राहु के लिये वैदिक रीति से काफ़ी सारी बातें जैसे पूजा पाठ और हवन आदि काम बताये जाते है,जाप करने के लिये राहु के मन्त्रों को बताया जाता है,राहु के लिये गोमेद आदि को पहिनने के लिये रत्नों का काम बताया जाता है,लेकिन लालकिताब के अन्दर साधारण सा उपाय दिया गया है,कि घर के अन्दर सभी खोटे सिक्के और न प्रयोग में आने वाले बेकार के राहु वाले सामान जैसे कि झाडू और दवाइयों को बहते हुए पानी के अन्दर प्रवाहित कर देना चाहिये,इस छोटे से उपाय के बाद जब राहत मिल जाती है,जो क्यों नही लोग लालकिताब पर विश्वास करेंगे.
परिवार में चन्द्रमा के खराब होने की पहिचान होती है कि घर के किसी व्यक्ति को ह्रदय वाली बीमारी हो जाती है,और घर का पैसा अस्पताल में ह्रदय रोग को ठीक करने के लिये जाने लगता है,ह्रदय का सीधा सा सम्बन्ध नशों से होता है,किसी कारण से ह्रदय के अन्दर के वाल्व अपना काम नही कर पाते है,उनके अन्दर अवरोध पैदा हो जाता है,और ह्रदय के अन्दर आने और जाने वाले खून की सप्लाई बाधित हो जाती है,लोग अस्पताल में जाते है,लाखो रुपये का ट्रीटमेंट करवाते है,दो चार साल ठीक रहते है फ़िर वहीं जाकर अपना इलाज करवाते है,मगर हो वास्तब में होता है,उसके ऊपर उनकी नजर नही जाती है,ह्रदय रोग के लिये चन्द्रमा बाधित होता है,तभी ह्रदय रोग होता है,और चन्द्रमा का दुश्मन लालकिताब के अनुसार केवल बुध को ही माना गया है,कुन्डली का तीसरा भाव ही ह्रदय के लिये जिम्मेदार माना
Thursday, April 7, 2016
राहु के लक्छण
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