Monday, April 18, 2016

विवाह बंधन से पहले ज्योतिष की उपयोगिता

एक व्यक्ति में बाहरी आकर्षण तो हो सकता है, लेकिन भीतर से वह पत्थर हृदय वाला और स्वार्थी हो सकता है, इसीलिए लोग विवाह बंधन से पहले कुंडली की व्याख्या कराना जरूरी समझते हैं। कुंडली के बारह भावों में सप्तम भाव दांपत्य का है। इस भाव के अलावा आयु, भाग्य, संतान, सुख, कर्म, स्थान का पूर्णत: विश्लेषण एक सीमा में अनिवार्य माना जाता है।

वैवाहिक बंधन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण बंधन है। विवाह प्यार और स्नेह पर अधारित एक संस्था है। यह वह पवित्र बंधन है, जिसपर पूरे परिवार का भविष्य निर्भर करता है। समान्यत: कुंडली में अष्ट कुट एवं मांगलिक दोष ही देखा जाता है, लेकिन यह जान लेना अनिवार्य है कि कुंडली मिलान की अपेक्षा कुंडली की मूल संरचना अति महत्वपूर्ण है।
एक व्यक्ति में बाहरी आकर्षण तो हो सकता है, लेकिन भीरत से वह पत्थर हृदय वाला और स्वार्थी भी हो सकता है, जाहिर है कि कुंडली की विस्तृत व्याख्या अनिवार्य मानी जाती है। कुंडली के बारह भावों में सप्तम भाव दांपत्य का है, इस भाव के अलावे आयु, भाग्य, संतान, सुख, कर्म, स्थान का पूर्णत: विश्लेषण एक सीमा में अनिवार्य है।

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