2 नवंबर 2014 को रात में लगभग 8: 55 पर ढाई वर्ष बाद
शनि अपनी उच्च की राशि तुला को छोड़कर
वृश्चिक राशि में प्रवेश करने जा रहे है शनिदेव वृश्चिक राशि में 30
वर्ष बाद आ रहे है। क्रूर ग्रह माने जाने वाले शनि के इस गोचर
का क्या प्रभाव होगा आपके जीवन पर शनि ग्रह
लगभग ढाई वर्ष में अपनी राशि बदलते है। यह नवंबर
2011 में कन्या से तुला राशि में आये थे। बीच में यह
वक्री होकर पुन: कन्या में गये थे और फिर
मार्गी होकर तुला में आ गये थे और फिलहाल 2
नवम्बर 2014 तक शनि तुला राशि में ही है। इस कारण
से कन्या, तुला और वृश्चिक राशि पर साढ़े साती का प्रभाव
बना हुआ है। वहीं कर्क और मीन
राशियों पर ढैय्या का प्रभाव माना जाएगा। क्योंकि 2014 में शनि के 2
गोचर और उनके अलग-अलग प्रभाव आपको देखने को मिलेंगे,
मेष राशि वालों के लिए शनि जीवनसाथी के
माध्यम से लाभ दिला सकता है।
वृषभ राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण षष्ट भाव
से भाग्येश व दशमेश होने से शत्रु पक्ष प्रभावहीन
होंगे।
मिथुन राशि वालों के लिए शनि के परिवर्तन से भाग्य में
वृद्धि होगी, विद्या में सफलता, परिश्रम पूर्ण, स्वास्थ्य
ठीक रहेगा।
कर्क राशि वालों के लिए शनि का गोचर पारिवारिक मामलों मे कठिनाई के बाद
सफलता देगा।
सिंह राशि वालों के लिए शनि के राशि परिवर्तन के कारण पराक्रम अधिक
करने पर सफलता मिलेगी।
कन्या राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण
द्वितीय भाव में होने से, व शनि के पंचमेश व षष्टेश
होने से वाणी के प्रभाव से लाभ रहेगा।
तुला राशि वालों के लिए शनि के चतुर्थेश व पंचमेश होकर राशि में
ही भ्रमण करने से प्रभाव में वृद्धि, नवीन
कार्य होंगे।
वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि तृतीयेश व चतुर्थेश होकर
द्वादश भाव में गोचरीय भ्रमण कर रहा है। अत:
पराक्रम द्वारा ही सफलता के योग हैं।
धनु राशि वालों के लिए शनि द्वितीयेश व
तृतीयेश होकर एकादश भाव में गोचरीय
भ्रमण कर रहा है। धन कुटुंब, वाणी के प्रभाव से लाभ
मिलेगा,
मकर राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण दशम भाव
से होकर लग्न व द्वितीयेश होने से स्वप्रयत्नों से
उत्तम सफलता मिलेगी।
कुंभ राशि वालों के लिए शनि द्वादशेश व लग्नेश होकर नवम
यानी भाग्य भाव में भ्रमण कर रहा है। अत: भाग्यबल
द्वारा सफलता के योग हैं।
मीन राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण
अष्टम भाव में है और यह एकादशेश व द्वादशेश है अत: आय
के मामलों में कठिनाई आएगी, लेकिन आवश्यक
पूर्ति भी होगी।
2 नवंबर 2014 से राशि परिवर्तन होने पर तुला, व वृश्चिक और धनु
राशि पर शनि की साढ़े
साती रहेगी।
* कन्या राशि से साढ़े साती पूर्ण रूप से उतर
जाएगी।
* तुला राशि पर साढ़े साती की अंतिम
ढैय्या रहेगी यानी ढाई साल और यह
राशि शनि के प्रभाव में रहेगी।
* वृश्चिक राशि पर साढ़े साती का दूसरा ढैय्या प्रारंभ
हो जाएगी। इस राशि पर शनि की साढ़े
साती के 5 साल और शेष हैं।
* धनु राशि पर शनि की साढ़े
साती की पहली ढैय्या शुरू
हो जाएगी।
तुला राशि में शनि स्थित होने के कारण कर्क और मीन
राशियों पर भी शनि की ढैय्या चल
रही थी। 2 नवंबर से यह
दोनों राशियां शनि की ढैय्या से मुक्त हो जायेगे।
शनि अपनी उच्च की राशि तुला को छोड़कर
वृश्चिक राशि में प्रवेश करने जा रहे है शनिदेव वृश्चिक राशि में 30
वर्ष बाद आ रहे है। क्रूर ग्रह माने जाने वाले शनि के इस गोचर
का क्या प्रभाव होगा आपके जीवन पर शनि ग्रह
लगभग ढाई वर्ष में अपनी राशि बदलते है। यह नवंबर
2011 में कन्या से तुला राशि में आये थे। बीच में यह
वक्री होकर पुन: कन्या में गये थे और फिर
मार्गी होकर तुला में आ गये थे और फिलहाल 2
नवम्बर 2014 तक शनि तुला राशि में ही है। इस कारण
से कन्या, तुला और वृश्चिक राशि पर साढ़े साती का प्रभाव
बना हुआ है। वहीं कर्क और मीन
राशियों पर ढैय्या का प्रभाव माना जाएगा। क्योंकि 2014 में शनि के 2
गोचर और उनके अलग-अलग प्रभाव आपको देखने को मिलेंगे,
मेष राशि वालों के लिए शनि जीवनसाथी के
माध्यम से लाभ दिला सकता है।
वृषभ राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण षष्ट भाव
से भाग्येश व दशमेश होने से शत्रु पक्ष प्रभावहीन
होंगे।
मिथुन राशि वालों के लिए शनि के परिवर्तन से भाग्य में
वृद्धि होगी, विद्या में सफलता, परिश्रम पूर्ण, स्वास्थ्य
ठीक रहेगा।
कर्क राशि वालों के लिए शनि का गोचर पारिवारिक मामलों मे कठिनाई के बाद
सफलता देगा।
सिंह राशि वालों के लिए शनि के राशि परिवर्तन के कारण पराक्रम अधिक
करने पर सफलता मिलेगी।
कन्या राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण
द्वितीय भाव में होने से, व शनि के पंचमेश व षष्टेश
होने से वाणी के प्रभाव से लाभ रहेगा।
तुला राशि वालों के लिए शनि के चतुर्थेश व पंचमेश होकर राशि में
ही भ्रमण करने से प्रभाव में वृद्धि, नवीन
कार्य होंगे।
वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि तृतीयेश व चतुर्थेश होकर
द्वादश भाव में गोचरीय भ्रमण कर रहा है। अत:
पराक्रम द्वारा ही सफलता के योग हैं।
धनु राशि वालों के लिए शनि द्वितीयेश व
तृतीयेश होकर एकादश भाव में गोचरीय
भ्रमण कर रहा है। धन कुटुंब, वाणी के प्रभाव से लाभ
मिलेगा,
मकर राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण दशम भाव
से होकर लग्न व द्वितीयेश होने से स्वप्रयत्नों से
उत्तम सफलता मिलेगी।
कुंभ राशि वालों के लिए शनि द्वादशेश व लग्नेश होकर नवम
यानी भाग्य भाव में भ्रमण कर रहा है। अत: भाग्यबल
द्वारा सफलता के योग हैं।
मीन राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण
अष्टम भाव में है और यह एकादशेश व द्वादशेश है अत: आय
के मामलों में कठिनाई आएगी, लेकिन आवश्यक
पूर्ति भी होगी।
2 नवंबर 2014 से राशि परिवर्तन होने पर तुला, व वृश्चिक और धनु
राशि पर शनि की साढ़े
साती रहेगी।
* कन्या राशि से साढ़े साती पूर्ण रूप से उतर
जाएगी।
* तुला राशि पर साढ़े साती की अंतिम
ढैय्या रहेगी यानी ढाई साल और यह
राशि शनि के प्रभाव में रहेगी।
* वृश्चिक राशि पर साढ़े साती का दूसरा ढैय्या प्रारंभ
हो जाएगी। इस राशि पर शनि की साढ़े
साती के 5 साल और शेष हैं।
* धनु राशि पर शनि की साढ़े
साती की पहली ढैय्या शुरू
हो जाएगी।
तुला राशि में शनि स्थित होने के कारण कर्क और मीन
राशियों पर भी शनि की ढैय्या चल
रही थी। 2 नवंबर से यह
दोनों राशियां शनि की ढैय्या से मुक्त हो जायेगे।
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