Monday, November 10, 2014

मंत्र जप, एक उपाय है

मंत्र जप, एक ऐसा उपाय है जिससे
किसी भी प्रकार
की समस्या को दूर किया जा सकता है।
सभी शास्त्रों में मंत्रों को बहुत
शक्तिशाली और चमत्कारी बताया है।
यानी मंत्रों से मनचाही वस्तु प्राप्त
की जा सकती है और
सभी इच्छाओं
की पूर्ति की जा सकती है।
सबसे ज्यादा प्रभावी मंत्रों में से एक मंत्र है
गायत्री मंत्र। इसके जप से बहुत
जल्दी शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। इसके नियमित
जप से पूर्वाभास हो सकता है।
--गायत्री मंत्र
ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो न: प्रचोदयात्।।
इस मंत्र के जप के 10 लाभ
यदि कोई व्यक्ति इस मंत्र का जप नियमित रूप से करता है तो उसे
उत्साह एवं सकारात्मकता, त्वचा में चमक आती है,
तामसिकता से घृणा होती है, परमार्थ में
रुचि जागती है, पूर्वाभास होने लगता है,
आशीर्वाद देने
की शक्ति बढ़ती है, नेत्रों में तेज आता है,
स्वप्र सिद्धि प्राप्त होती है, क्रोध शांत होता है,
ज्ञान की वृद्धि होती है।
--मंत्र विद्या का प्रयोग :
मंत्र विद्या का प्रयोग भगवान की भक्ति, ब्रह्मज्ञान
प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही, सांसारिक एवं
भौतिक सुख-सुविधाओं, धन प्राप्त करने की इच्छा के लिए
भी मंत्रों का जप किया जा सकता है।
--मंत्र जप के लिए समय:
शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को सर्वश्रेष्ठ मंत्र
बताया गया है। इस मंत्र जप के लिए तीन समय बताए
गए हैं। इन तीन समय को संध्याकाल
भी कहा जाता हैं। गायत्री मंत्र का जप
का पहला समय है प्रात:काल, सूर्योदय से थोड़ी देर
पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के पश्चात तक
करना चाहिए।
मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर मध्यान्ह का। दोपहर में
भी इस मंत्र का जप किया जाता है। इसके बाद
तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले
मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए।
इन तीन समय के अतिरिक्त यदि गायत्री मंत्र
का जप करना हो तो मौन रहकर या मानसिक रूप से जप करना चाहिए।
मंत्र जप अधिक तेज आवाज में नहीं करना चाहिए।
गायत्री मंत्र- ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।
गायत्री मंत्र का सरल अर्थ:
सृष्टि कर्ता यानी सृष्टी की रचना करने
वाले प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं।
परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सही मार्ग
की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।
शास्त्रों में इसके जप की विधि विस्तृत रूप से
दी गई हैं। इस मंत्र को जप करने के लिए रुद्राक्ष
की माला का प्रयोग करना श्रेष्ठ होता है।
--दरिद्रता के नाश के लिए-
यदि किसी व्यक्ति के व्यापार, नौकरी में
हानि हो रही है या कार्य में
सफलता नहीं मिलती,
आमदनी कम है तथा व्यय अधिक हैं तो उन्हें
गायत्री मंत्र का जप
काफी फायदा पहुंचा सकता है। शुक्रवार
को पीले वस्त्र पहनकर हाथी पर विराजमान
गायत्री माता का ध्यान करें। ध्यान करते हुए
गायत्री मंत्र के आगे और पीछे
श्रीं सम्पुट लगाकर जप करने से दरिद्रता का नाश
होता है। साथ ही, रविवार को व्रत किया जाए
तो ज्यादा लाभ होता है।
--विद्यार्थियों के लिए-
गायत्री मंत्र का जप सभी के लिए
उपयोगी है, विद्यार्थियों के लिए तो यह मंत्र बहुत
लाभदायक है। रोजाना इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप करने से
विद्यार्थी को सभी प्रकार
की विद्या प्राप्त करने में
आसानी होती है। विद्यार्थियों का पढ़ने में मन
नहीं लगना, याद किया हुआ भूल जाना,
शीघ्रता से याद न होना आदि समस्याओं से निजात मिल
सकती है।
--संतान संबंधी परेशानियां दूर करने के लिए...
किसी दंपत्ति को संतान प्राप्त करने में कठिनाई आ
रही हो या संतान से दुखी हो अथवा संतान
रोग ग्रस्त हो तो प्रात: पति-पत्नी एक साथ सफेद
वस्त्र धारण करें। इसके बाद यौं बीज मंत्र का सम्पुट
लगाकर गायत्री मंत्र का जप करें। संतान
संबंधी किसी भी समस्या से
शीघ्र मुक्ति मिलती है।
--शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए...
यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं के कारण परेशानियां झेल रहा हो तो उसे
प्रतिदिन या विशेषकर मंगलवार, अमावस्या अथवा रविवार को यह उपाय
करना चाहिए। उपाय के अनुसार लाल वस्त्र पहनकर
माता दुर्गा का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र के आगे एवं
पीछे क्लीं बीज मंत्र
का तीन बार सम्पुट लगाकार एक सौ आठ बार जप
करना चाहिए। ऐसा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त
होती है। मित्रों में सद्भाव, परिवार में
एकता होती है। न्यायालयों के कार्यों में
भी विजय प्राप्त होती है।
vivah कार्य में देरी हो रही हो तो...
यदि किसी भी व्यक्ति के विवाह में
अनावश्यक देरी हो रही हो तो हर सोमवार
को सुबह के समय पीले वस्त्र धारण कर
माता पार्वती का ध्यान करते हुए
ह्रीं बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर एक
सौ आठ बार जाप करने से विवाह कार्य में आने
वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं। यह
साधना स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।
--यदि किसी रोग के कारण परेशानियां हो तो...
यदि कोई व्यक्ति किसी रोग से परेशान है और रोग से
मुक्ति जल्दी चाहता है
तो किसी भी शुभ मुहूर्त में एक कांसे के
बर्तन में स्वच्छ जल भरें। उसके सामने लाल आसन पर बैठकर ऐं
ह्रीं क्लीं का सम्पुट लगाकर
गायत्री मंत्र का जप करें। जप के पश्चात जल से भरे
पात्र का सेवन करने से गंभीर रोग का नाश होता है।
यही जल किसी अन्य
रोगी को पीने के लिए देने से उसके
भी रोग का नाश होता है।

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