कैसे करें रत्न अभिमंत्रित....
आप में से बहुत से मित्र इस बात से सहमत होंगे कि आखिर
क्या कारण है कि उत्तम गुणवत्तापूर्ण रत्न पहनने के बावजूद
भी किसी तरह का कोई लाभ
नहीं मिला, या हानि हुई या रत्न उदासीन
रहा। हालांकि इसके कई आरंभिक कारण हो सकते हैं जैसे रत्न
वास्तविक ना हो या कुंडली के अनुसार सटीक
रत्न न पहना गया हो गया हो। मेरे विचारानुसार कुंडली के
लिए रत्न तीन प्रकार के हो सकते हैं लाभदायक,
हानिकारक या उदासीन। तो अनावश्यक एवं
विपरीत रत्न के लाभ देने का तो औचित्य
नहीं लेकिन सही और सटीक
रत्न पहनने के बाद भी रत्न का काम न करना,
दर्शाता है कि रत्न को अभिमंत्रित सही तरह से
नहीं किया गया। अभिमंत्रण प्रक्रिया का एक अर्थ रत्न
को दिशा देना है। मेरे एक जानकार विद्वान ज्योतिषी,
जो अब शांत हो चुके हैं, के विषय में कहा जाता था कि वे
विपरीत रत्न से होने वाली आशंकाओं
को अभिमंत्रण द्वारा संभावनाओं में बदल देते थे। आजकल रत्न
को अभिमंत्रित करने का काम जातक दुष्कर समझकर पंडित को सौंप
देता है। भागदौड़, दौङधूप में रत्न खरीदना आसान है
लेकिन रत्न के लिए मंत्रजाप जहमत वाला काम लगता है।
जबकि रत्न को दो तरफा अभिमंत्रित करना चाहिए, एक योग्य पंडित
स्वयं करें, फिर प्रक्रिया का अक्षरशः पालन करते हुए जातक स्वयं
करें। इसके बाद कोई कारण नहीं बचता कि रत्न प्रभावित
न करें। दूसरी चीज, रत्न को अभिमंत्रित
करने के लिए सामान्य ग्रहों के मंत्रों का प्रयोग करने के स्थान पर
रत्न के लिए निर्धारित मंत्र का उपयोग सर्वथा उचित रहता है।
इसलिए रत्न खरीदने के बाद यदि आप आर्थिक रूप से
समृद्ध हो तो भी अभिमंत्रित स्वयं
ही करना चाहिए क्योंकि बिना इसके रत्न हाथ
की शोभा भले ही बढा दें
आपकी बढाने में समर्थ नहीं होगा।
हमारा उद्देश्य मात्र रत्नों का व्यापार
ही नहीं बल्कि ज्योतिष के
प्रति कर्तव्यभावना भी है। किसी ने
यदि पहले से रत्न पहन रखा हो और उसके
निष्प्रभावी या गलत परिणामों से परेशान
हो तो भी संपर्क कर सकते हैं। एक निवेदन उन
मित्रों से हैं जो आवश्यक रत्न जानने के लिए ये झूठ बोलते हैं
कि हमें रत्न खरीदना है, कौनसा पहनना चाहिए। आप
बिना इस झूठ के भी पूछना चाहेंगे
तो भी बता दिया जाता है।
सरस्वती की कृपा से ये सामर्थ्य है
कि कुंडली द्वारा जान सकें कि आप कितने घाट
का पानी पीकर यहां डुबकी मारने
पधारे हैं। हमारे ग्राहक ईश्वर की कृपा से बहुत हैं
और होते रहेंगे। इस तरह की वाक्पटुता न दिखायें।
मेहरबान मित्र ध्यान रखें कि लगभग सबसे ज्यादा रत्न बेचने वाले
लोगो की गिनती में तो हम आते हैं।हम
हमारे दायित्व समझते हैं, आप भी कम से कम ज्योतिष
को, जिस पर आप स्वयं इतना विश्वास करते हैं, उपहास का विषय
ना बनायें।
आप में से बहुत से मित्र इस बात से सहमत होंगे कि आखिर
क्या कारण है कि उत्तम गुणवत्तापूर्ण रत्न पहनने के बावजूद
भी किसी तरह का कोई लाभ
नहीं मिला, या हानि हुई या रत्न उदासीन
रहा। हालांकि इसके कई आरंभिक कारण हो सकते हैं जैसे रत्न
वास्तविक ना हो या कुंडली के अनुसार सटीक
रत्न न पहना गया हो गया हो। मेरे विचारानुसार कुंडली के
लिए रत्न तीन प्रकार के हो सकते हैं लाभदायक,
हानिकारक या उदासीन। तो अनावश्यक एवं
विपरीत रत्न के लाभ देने का तो औचित्य
नहीं लेकिन सही और सटीक
रत्न पहनने के बाद भी रत्न का काम न करना,
दर्शाता है कि रत्न को अभिमंत्रित सही तरह से
नहीं किया गया। अभिमंत्रण प्रक्रिया का एक अर्थ रत्न
को दिशा देना है। मेरे एक जानकार विद्वान ज्योतिषी,
जो अब शांत हो चुके हैं, के विषय में कहा जाता था कि वे
विपरीत रत्न से होने वाली आशंकाओं
को अभिमंत्रण द्वारा संभावनाओं में बदल देते थे। आजकल रत्न
को अभिमंत्रित करने का काम जातक दुष्कर समझकर पंडित को सौंप
देता है। भागदौड़, दौङधूप में रत्न खरीदना आसान है
लेकिन रत्न के लिए मंत्रजाप जहमत वाला काम लगता है।
जबकि रत्न को दो तरफा अभिमंत्रित करना चाहिए, एक योग्य पंडित
स्वयं करें, फिर प्रक्रिया का अक्षरशः पालन करते हुए जातक स्वयं
करें। इसके बाद कोई कारण नहीं बचता कि रत्न प्रभावित
न करें। दूसरी चीज, रत्न को अभिमंत्रित
करने के लिए सामान्य ग्रहों के मंत्रों का प्रयोग करने के स्थान पर
रत्न के लिए निर्धारित मंत्र का उपयोग सर्वथा उचित रहता है।
इसलिए रत्न खरीदने के बाद यदि आप आर्थिक रूप से
समृद्ध हो तो भी अभिमंत्रित स्वयं
ही करना चाहिए क्योंकि बिना इसके रत्न हाथ
की शोभा भले ही बढा दें
आपकी बढाने में समर्थ नहीं होगा।
हमारा उद्देश्य मात्र रत्नों का व्यापार
ही नहीं बल्कि ज्योतिष के
प्रति कर्तव्यभावना भी है। किसी ने
यदि पहले से रत्न पहन रखा हो और उसके
निष्प्रभावी या गलत परिणामों से परेशान
हो तो भी संपर्क कर सकते हैं। एक निवेदन उन
मित्रों से हैं जो आवश्यक रत्न जानने के लिए ये झूठ बोलते हैं
कि हमें रत्न खरीदना है, कौनसा पहनना चाहिए। आप
बिना इस झूठ के भी पूछना चाहेंगे
तो भी बता दिया जाता है।
सरस्वती की कृपा से ये सामर्थ्य है
कि कुंडली द्वारा जान सकें कि आप कितने घाट
का पानी पीकर यहां डुबकी मारने
पधारे हैं। हमारे ग्राहक ईश्वर की कृपा से बहुत हैं
और होते रहेंगे। इस तरह की वाक्पटुता न दिखायें।
मेहरबान मित्र ध्यान रखें कि लगभग सबसे ज्यादा रत्न बेचने वाले
लोगो की गिनती में तो हम आते हैं।हम
हमारे दायित्व समझते हैं, आप भी कम से कम ज्योतिष
को, जिस पर आप स्वयं इतना विश्वास करते हैं, उपहास का विषय
ना बनायें।
can you tell me the way
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