धनवान बनने के चमत्कारिक उपाय
घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। आर्थिक पक्ष
को लेकर समस्याएं न उत्पन्न हों, ऐसी प्रत्येक
व्यक्ति की कामना होती है। यहॉ मैं
आर्थिक सम्पन्नता देने
वाली ऐसी छोटी-
छोटी बातें लिख रहा हॅू जो अधिकांश
लोगों को पता तो होती हैं, परंतु कुछ तो आलस्यवश
तथा कुछ अज्ञानतावश वह उनसे मिलने वाले लाभ से वंचित रह
जाते हैं। इन्हें अपनाने का कोई विशेष नियम
भी नहीं है। सहज मन से
कभी और किसी भी समय
इन्हें प्रारंभ किया जा सकता है। अन्य
उपायों की तरह इनके प्रयाग से अहित
की लेशमात्र
भी संभावना नहीं है। इन
छोटी-छोटी बातों के लिए आत्मविश्वास
परम आवश्यक है। इन उपायों के शुभप्रभाव में विलम्ब
तो अवश्य हो सकता है परंतु उनसे जब लाभ मिलना प्रारंभ
होगा तो वह होगा स्थाई रूप से।
ऽ प्रातःकाल उठ कर सर्वप्रथम अपने
दोनों हाथों की हथेलियों को कुछ क्षण देखकर उन्हें
चूमें और उन्हें परस्पर रगड़ कर अपने चेहरे पर
तीन चार बार फिराएं।
ऽ नाक के छिद्रों में से एकाग्र होकर यह देखें
कि उसका दायों स्वर चल रहा है या बायां।
जो भी स्वर चल रहा हो, सर्वप्रथम उस ओर के
हाथ की उंगली से
धरती का स्पर्श करके माथे से लगाएं और उसके बाद
पहला स्वर चलने वाला पैर
ही धरती से लगाएं।
ऽ घर में बनने वाले खाने में से
पहली रोटी गाय की निकालें।
ऽ अपने खाने में से थोड़ा सा अंश निकाल कर कौओें अथवा अन्य
पक्षीयों को डाला करें।
ऽ रात्रि के खाने के पश्चात बचे खाने का कुछ भाग कुत्ते के नाम
का निकाला करें। घर का बचा खाना नाली में न फेकें,
पशु-पक्षियों को दे दिया करें।
ऽ यदि घर में आटा गेंहॅू पीस कर उपलब्ध
होता है तो आटा केवल शनिवार को ही पिसवाने
का नियम बना लें। आटा पिसते समय उसमें 100 ग्राम काले चने
भी पिसने के लिए डाल दिया करें।
ऽ शनिवार को खाने में किसी भी रुप में
काला चना अवश्य ले लिया करें।
ऽ घर की रसोई में
किसी भी दिन कहीं से एक
काली तुम्वी लाकर टांग दें।
ऽ जब भी मन करे
चीटिंयों को चीनी मिश्रित
आटा खिलाया करें। यथा संभव यह प्रयास किया करें आपके पैरों से
चीटियॉ अथवा अन्य निरीह छोटे-छोटे
कीट-पतंगे कुचले न जाएं।
ऽ घर में उपलब्ध प्रत्येक देवी-देवताओं और टंगे
हुए दिवंगत आत्माओं के चित्रों पर रोली, अष्टगंध
तथा अक्षत का तिलक अवश्य लगा लिया करें। अपने पूर्वजों के
चित्रों पर फूलों का हार भी चढ़ाया करें।
ऽ प्रातःकाल कुछ भी खाने से पूर्व सर्वप्रथम घर
में झाड़़ू. अवश्य लगानी चाहिए।
ऽ संध्या समय जब दोनों समय मिलते है, घर में झाड़़ू.-पोंछे
का कार्य न करें।
ऽ संध्या होने पूर्व घर का कोई भी सदस्य घर में
प्रकाश अवश्य कर दिया करे।
ऽ घर की कोई सौभाग्यशाली विवाहित
स्त्री इस समय तैयार होकर प्रफुल्ल मन से
देवी-देवताओं धूप-दीप दिखाया करें।
ऽ घर से प्रातः चाहे
जितनी जल्दी निकलना पड़े, बिना झाड़़ू.
लगे न निकले।
ऽ घर से बाहर जब भी किसी उद्देश्य
से अथवा धन सम्बन्धी किसी कार्य
को निकलें, निराहार मॅुह न निकलें। कुछ न कुछ खा अवश्य लें।
निकलने से पूर्व यदि मीठा दही खाकर
निकलें तो और भी सौभाग्यशाली है।
ऽ घर की कोई
स्त्री व्यक्ति को विदा करने से पूर्व नहा-धोकर
स्वच्छ अवश्य हो जाए।
ऽ किसी सुहागिन स्त्री को गुरुवार के
दिन सुहाग अथवा श्रृंगार प्रसाधन देने से
लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
ऽ घर बाहर स्त्री का आदर करने से
तथा कुआरी कन्याओं (दस वर्ष से कम आयु
की) को देवी स्वरुप मान कर प्रसन्न
करने से सुख-
समृद्धि की वृद्धि होती है।
ऽ किसी दरिद्र अथवा असहाय
व्यक्ति की निःस्वार्थ भाव से सेवा कर सकते है
तो कर दें, उसका तिरस्कार अथवा उपहास कदापि न करें।
ऽ किसी न किसी तरह दरिद्र,
असहाय और हिजड़ों की शुभकामनाएं लिया करें।
ऽ शीतकाल में
किसी भी अमवस्या की अर्द्धरात्रि में
एक कम्बल शीत से ठिठुरते
किसी भिखारी के ऊपर चुपचाप डाल कर
घर लौट आएं।
ऽ दरिद्र को यथाशक्ति भोजन और कपड़ा दान दिया करें।
ऽ धन सम्बन्धी समस्त कार्यो के लिए सोमवार
अथवा बुधवार चुना करें।
ऽ घर के पूजास्थल में एक जटा वाला नरियल रखा करें।
ऽ धन सम्बन्धी कार्य पर निकलने से पूर्व घर में
उपलब्ध देवी-देवताओं के चित्र, मूर्ति अथवा यंत्र के
दर्शन अवश्य किया करें। उन पर चढ़ाये हुए फूलों में से एक
अपनी जेब में रखकर साथ ले जाया करें।
ऽ किसी प्रकार अपने पूर्वजों के चित्र
आदि भी देखकर यात्रा किया करें।
‘प्रबिशि नगर कीजे सब काजा, हृदय राखि कौशलपुर
राजा।’
मंत्र बोलकर घर से प्रस्थान करने पर प्रभु
आपकी सद्यात्रा में सदैव रक्षा करते हैं।
ऽ नौकरी, व्यवसाय आदि शुभकार्यों में प्रस्थान करने
से पूर्व घर कोई भी सदस्य एक
मुठठी काले उड़द आपके ऊपर से
धरती पर छोड़ दें, कार्य सिद्ध होगा।
ऽ घर खाली हाथ कभी न लौटें।
बिना क्रय की हुई कोई भी वस्तु घर
लाने का नियम बना लें, भले ही वह राह में
पड़ा हुआ कागज का टुकड़ा अथवा ऐसा ही कुछ
अन्य।
ऽ रविवार को सहदेई वृक्ष की जड़ घर लायें। उसे
लाल कपड़े में लपेटकर कहीं पवित्र स्थान पर रख
दें।
ऽ काली हल्दी मिल जाए तों घर में रख
लें।
ऽ सफेद रत्ती, एकाक्षी नरियल,
दक्षिणवर्ती शंख, हाथ जोड़ी, सियार
सिंही, बिल्ली की जेल, एक
मुखी रुद्राक्ष, गोरोचन, नागकेसर, सांप
की अखंडित केंचुली, मोर के पंख,
अष्टगंध आदि में
श्री लक्ष्मी जी को रिझाने
का विलक्षण गुण होता है। ये वस्तुएं, सुलभ हो सकें तो उन्हें
ऐसे ही घर में रख लें,
लक्ष्मी प्रसन्न होगीं।
ऽ मिर्च तथा नींबू की तरह
निर्गुण्डी का जड़ सहित पूरा पौधा, नागकेसर और
पीली सरसों के दाने एक साथ
किसी बुधवार को दुकान के द्वार पर टांगने से व्यापार में
वृद्धि होती है।
ऽ पुष्य नक्षत्र में बहेड़ा वृक्ष की जड़
तथा उसका एक पत्ता लाकर पैसे रखने के स्थान में रख लिया करें।
ऽ शंखपुष्पी की जड़ रवि-पुष्य
नक्षत्र में लाकर घर में रखा करें। इसे
चांदी की डिब्बी में रख सकें
तो अधिक शुभ होगा।
ऽ घर की दीवारों, फर्श आदि में
बच्चों को पेन्सिल, चॉक, कोयले आदि से लकीरें न
बनाने दें, इससे ऋण बड़ता है।
ऽ शेर का दॉत मिल जाए तो जेब में रखा करें।
ऽ बरगद अथवा बड़ के ताजे तोड़े पत्ते पर
हल्दी से स्वास्तिक बना कर पुष्य नक्षत्र में घर
में रखें।
ऽ खच्चर का दॉत बुधवार को धोकर साफ कर लें। धन
सम्बन्धी कार्य पर जाते समय उसे साथ रखा करें।
ऽ दीवाली की रात
अथवा किसी भी ग्रहण काल में एक-
एक लौंग तथा छोटी इलाइची जला कर
भस्म बना लें। इस भस्म से देवी देवताओं के
चित्रों अथवा यंत्रों पर तिलक लगाया करें।
ऽ किसी भी सूर्य के नक्षत्र में ऐसे
पेड़ की टहनी तोड़ कर
अपनी कुर्सी अथवा गद्दी के
नीचे रख लें, जहॉ चमगादड़ों का स्थाई वास हो।
ऽ व्यापार सम्बन्धी पत्राचार करते समय उस पर
हल्दी अथवा केसर के छींटे
लगा दिया करें।
ऽ ऐसे पत्रों में देवताओं पर चढ़े फूल के टुकड़े
भी रख दिया करें।
ऽ बैंक में पैसा जमा करते समय
लक्ष्मी जी का कोई मंत्र मन
ही मन जप लिया करें।
ऽ बैंक की किताब, चैक बुक अथवा धन
सम्बन्धी पेपर आप श्रीयंत्र
अथवा कुबेर यंत्र के पास रखा करें।
ऽ मुर्गे के पेट में यदा-कदा एक सफेद रंग
की पथरी निकलती है, उसे
साफ करके घर में रख लें। शुभ कार्य में जाते समय यह साथ
रखें।
ऽ सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें नियमित रुप से लाल
फूल, लाल चंदन, गौरोचन, केसर, जावित्री,
जौ अथवा तिल युक्त जल चढ़ाएं।
ऽ कार्यालय, दुकान आदि खोलने पर सर्वप्रथम अपने इष्टदेव
को अवश्य याद किया करें।
ऽ अपने से बड़ों को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद
लिया करें।
ऽ कभी कोई कर्म ऐसा न करें जिससे
किसी की आत्मा को लेशमात्र
भी कष्ट पहॅुचे।
ऽ गीता के नवे अध्याय का नित्य पाठ करें।
ऽ विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जिस घर में होता है
वहॉ लक्ष्मी जी निवास
करती हैं।
ऽ दुर्गा सप्तशती का नियमित रुप से पाठ करें।
ऽ वेदों में ‘अधमर्षण सूक्त’ दरिद्रता नाश करने
वाला माना गया है।
ऽ इसी प्रकार ‘श्री सूक्त’,
‘नासदीय सूत्र’ धन सम्बन्धी कायरें में
लाभदायक है।
ऽ ‘राम रक्षा स्तोत्र’ का लक्ष्मी दायक यह मंत्र
धनलाभ करवाने में बहुत उपयोगी सिद्ध होता है।
‘‘आपदाम् अपहर्तारम् दातारम् सर्व सम्पदाम्।
लोकाभिरामम् श्री रामम् भूयो भूयो नमाम्यहम्।।
ऽ श्रम प्रधान बनें और ऋण लेने से सर्वदा बचे रहें।
ऽ लक्ष्मी-साधकों के लिए ऊनी और
रेशमी आसन तथा कमलगट्टे
की माला विशेष रुप से सिद्धि प्रदायक
होती है।
ऽ आध्यात्मिक क्षेत्र में आडम्बर के स्थान पर पवित्रतता और
सात्विकता को महत्व देना आवश्यक है।
ऽ लक्ष्मी जी का परमप्रिय फूल कमल
माना गया है।
ऽ
लक्ष्मी जी को तुलसी अर्थात्
मंजरी भेंट
नहीं करनी चाहिए।
ऽ साधना कक्ष में लक्ष्मी उपासना के समय पुष्प
उनके सामने, अगरबत्ती बाएं, नैवेद्य दक्षिण में
तथा दीप सदा दायीं ओर रखें।
ऽ साधना के समय पश्चिम अथवा पूरब दिशा की ओर
ही मुंह करके बैठें।
ऽ हवन सामग्री में काले तिल, जौ,
देसी घी और कमल गट्टे
भी अवश्य मिलाया करें, इससे
लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
ऽ यह धारणा मन में स्थिर कर लें कि प्रारब्ध के अतिरिक्त
वर्तमान में किए गए सत्कर्म भी धन
सम्बन्धी विषयों में आशानुकूल परिणाम देते हैं।
ऽ प्रत्येक शनिवार को घर से गन्दगी निकालने
का नियम बना लें। इस दिन घर के मकड़ी के जाले,
रद्दी, टूटी-फूटी घर में
प्रयोग होने वाली सामग्री आदि घर से
बाहर कूड़े में फेंक दिया करें।
ऽ घर के मुख्य द्वार के ऊपर गणेश
जी की प्रतिमा अथवा चित्र इस प्रकार
लगाएं जिससे कि उनका मुंह घर के अन्दर की ओर
रहे।
ऽ मन में पूर्णतया यह निष्ठा जागृत कर लें कि मैं धनवान
बनूंगा ही।
ऽ प्रातः और सांय काल जहॉ तक सम्भव हो घर का प्रत्येक
सदस्य प्रसन्नचित रहे।
ऽ सूर्योदय और सूर्यास्त के समय घर में बच्चे और
बीमार के अतिरिक्त अन्य कोई न सोया करे।
ऽ बिल्ली की जेल,
हत्था जोड़ी तथा सफेद आक में
लक्ष्मी जी को रिझाने का गुणधर्म
छुपा है। यह पदार्थ कहीं सुलभ हो तो घर में रख
लें।
ऽ हीरा रत्न यदि रास आ जाए तो अतुलित वैभव
देता है।
ऽ घर में
यदि तुलसी लगी हो तो सायंकाल
वहॉ एक दीपक जला दिया करें।
ऽ शंखपुष्पी की जड़ घर में
लाना मंगलकारी है।
ऽ कभी ऐसा देखने को मिलता है कि एक वृक्ष पर
दूसरा वृक्ष निकल आता है। यह वृक्ष के सन्धि स्थल पर
होता है। इस संयोग को बांदा कहते हैं। अशोक,
पीपल, अनार, वट, गूलर, आम, बड़ आदि वृक्षों के
बांदे मिल जाएं तो शुभ मुहुर्त में घर ले आएं।
ऽ श्वेत अपराजिता का पौधा धन
लक्ष्मी को आकर्षित करता है।
ऽ जिस सघन वृक्ष पर चमगादड़ों का स्थाई वास होता है,
उसकी छोटी-
सी लकड़ी ग्रहण काल में तोड़ लाएं।
इसे अपने कर्म स्थल
की कुर्सी अथवा गद्दी के