Saturday, September 6, 2014

केतु

केतु:- केतु भी राहु
की भान्ति ही छाया ग्रह है,
जिसका प्रभाव बिल्कुल मंगल की तरह होता है.
इसके निर्बल होने या दुष्प्रभाव से निगूढ विद्याओं का आत्मज्ञान
होना अथवा मन में वैराग्य के भाव जागृत होना मुख्य फल है.
मूर्छा, चक्कर आना, आँखों के अन्धेरा छा जाना, रीढ
की हड्डी में चोट/रोग, मूत्र
संबंधी विकार, ऎश्वर्य नाश अर्थात
जीवन में सब कुछ पाकर एक दम से खो देना, पुत्र
का दुर्व्यवहार तथा पुत्र पर संकट इत्यादि भीषण
दु:खों का सामना करना पडता है.
इसके कुप्रभावों से मुक्ति प्राप्त करने हेतु व्यक्ति को एक बार
जीवन में बछिया का दान अवश्य करना चाहिए. साथ में
गणेश जी की उपासना करें तो कष्टों से
अवश्य छुटकारा मिलेगा.

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