॥ कर्ण पिशाचिनी साधना ॥
आज मै कर्णपिशाचिनी साधना प्रयोग स्पष्ट कर रहा हूँ जो कि प्रमाणिक है पर साधक को मेरी गम्भीरता पूर्व सलाह है कि वह किसी योग्य गुरु निर्देश मे ही यह साधना सम्पन्न करेँ , और अपने जिवन मे गुरु मंत्र का कम से कम 11 लाख जप किया हो , क्योकि कई बार साधना अधूरी रह जाने पर आदमी या साधक पागल के समान भी हो जाता है ।
यह प्रयोग 11 दिन का है । इसमेँ कासे की थाली मे सिन्दूर का त्रिशूल बनाकर उसका पूजन करे और दिन मेँ शुद्ध गाय के घी का दीपक जला कर 11 सौ मन्त्र जप करे, पीछे रात मेँ इसी प्रकार त्रिशूल का पूजन कर घी और तेल का दीपक जलाकर 1100 बार मंत्र जप करे ।
इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करने पर कर्णपिशाचिनी सिद्ध हो जाती है, और उसे कान मे प्रश्नो का उत्तर सही सही देती है , इस साधना मे साधक को एक समय भोजन करना चाहिये और यथा सम्भव काले वस्त्र धारण करने चाहिए, साधना काल मे व्यर्थ बातचीत , स्त्री गमन , पर स्त्री से बातचीत आदि सर्वथा वर्जित है ।
मंत्र--
ॐ नमः कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि मम कर्णे अवतरावतर अतीतनागतवर्तमानानि दर्शय दर्शय मम भविष्य कथय ह्रीँ कर्णपिशाचिनी स्वाहा ।
वस्तुतः कर्ण पिशाचिनी साधना आसान दिखाई देती है परन्तु थोडी सी भी त्रुटि साधक के लिए नुकसानदायक हो सकती है, परन्तु इसमे कोई दो राय नहीँ कि ऊपर जो साधना है प्रमाणिक है,
आज मै कर्णपिशाचिनी साधना प्रयोग स्पष्ट कर रहा हूँ जो कि प्रमाणिक है पर साधक को मेरी गम्भीरता पूर्व सलाह है कि वह किसी योग्य गुरु निर्देश मे ही यह साधना सम्पन्न करेँ , और अपने जिवन मे गुरु मंत्र का कम से कम 11 लाख जप किया हो , क्योकि कई बार साधना अधूरी रह जाने पर आदमी या साधक पागल के समान भी हो जाता है ।
यह प्रयोग 11 दिन का है । इसमेँ कासे की थाली मे सिन्दूर का त्रिशूल बनाकर उसका पूजन करे और दिन मेँ शुद्ध गाय के घी का दीपक जला कर 11 सौ मन्त्र जप करे, पीछे रात मेँ इसी प्रकार त्रिशूल का पूजन कर घी और तेल का दीपक जलाकर 1100 बार मंत्र जप करे ।
इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करने पर कर्णपिशाचिनी सिद्ध हो जाती है, और उसे कान मे प्रश्नो का उत्तर सही सही देती है , इस साधना मे साधक को एक समय भोजन करना चाहिये और यथा सम्भव काले वस्त्र धारण करने चाहिए, साधना काल मे व्यर्थ बातचीत , स्त्री गमन , पर स्त्री से बातचीत आदि सर्वथा वर्जित है ।
मंत्र--
ॐ नमः कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि मम कर्णे अवतरावतर अतीतनागतवर्तमानानि दर्शय दर्शय मम भविष्य कथय ह्रीँ कर्णपिशाचिनी स्वाहा ।
वस्तुतः कर्ण पिशाचिनी साधना आसान दिखाई देती है परन्तु थोडी सी भी त्रुटि साधक के लिए नुकसानदायक हो सकती है, परन्तु इसमे कोई दो राय नहीँ कि ऊपर जो साधना है प्रमाणिक है,
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