(अग्नि) :
अग्नि पर जब फल, फुल अनाज, दूध, दहीं,
घी, तेल डाला जाता है तो वो यज्ञ बन जाता है और
उसी अग्नि पर जब मुर्दा, हड्डी, मांस
का शरीर रखा जाता हे फिर वो पूरा हो या कटा हुआ
हो तो वो चिता बन जाती है।
हमें भी जब भूख लगती हे
तो कहा जाता हे की हमारे भीतर
जठराग्नि प्रज्जवलित हुई है और
वो भी अग्नि है और जब ये जठराग्नि प्रज्जवलित
होती हे तब हम उस में भी कुछ
ना कुछ डालते है । अगर हम उस में चिकन, मटन या मांस
का कुछ भी डालते हे तो वो चिता बन
जाती है और अगर हम उसमे फल, फुल, अनाज,
दूध, दहीं, घी, तेल डालते हे
तो वो यज्ञ बन जाता है।
अब आप के भीतर चिता हो या यज्ञ हो ये निर्णय
आप को करना है।
अग्नि पर जब फल, फुल अनाज, दूध, दहीं,
घी, तेल डाला जाता है तो वो यज्ञ बन जाता है और
उसी अग्नि पर जब मुर्दा, हड्डी, मांस
का शरीर रखा जाता हे फिर वो पूरा हो या कटा हुआ
हो तो वो चिता बन जाती है।
हमें भी जब भूख लगती हे
तो कहा जाता हे की हमारे भीतर
जठराग्नि प्रज्जवलित हुई है और
वो भी अग्नि है और जब ये जठराग्नि प्रज्जवलित
होती हे तब हम उस में भी कुछ
ना कुछ डालते है । अगर हम उस में चिकन, मटन या मांस
का कुछ भी डालते हे तो वो चिता बन
जाती है और अगर हम उसमे फल, फुल, अनाज,
दूध, दहीं, घी, तेल डालते हे
तो वो यज्ञ बन जाता है।
अब आप के भीतर चिता हो या यज्ञ हो ये निर्णय
आप को करना है।
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