Monday, September 22, 2014

तुलसी से दूर होगी समस्याएं

तुलसी से दूर होगी समस्याएं
तुलसी से दूर होगी शादी,
संतान और नौकरी की समस्याएं
तुलसी के पौधे को हिन्दू परम्परा में बहुत
पूज्यनीय माना गया है। भारतीय
परम्परा में तुलसी को प्राचीन समय से
बहुत शुभ माना जाता है। इसे घर का वैद्य कहा गया है। इससे
कई तरह की बीमारियां तो दूर
होती ही है। साथ
ही वास्तुशास्त्र के अनुसार भी इसे घर
में रखने का विशेष महत्व माना गया है।
तुलसी को घर में लगाने से कई तरह के वास्तुदोष दूर
होते हैं। तुलसी के भी बहुत से
प्रकार है। जिसमें जिसमें रक्त तुलसी, राम
तुलसी, भू तुलसी, वन
तुलसी, ज्ञान तुलसी, मुख्यरूप से
विद्यमान है।
तुलसी की इन
सभी प्रजातियों के गुण अलग है।
– शरीर में नाक, कान वायु, कफ, ज्वर
खांसी और दिल
की बीमारियों पर खास प्रभाव
डालती है।
तुलसी वो पौधा है जो जीवन को सुखमय
बनाने में सक्षम है।
वास्तुदोष दूर करने के लिए इसे दक्षिण-पूर्व से लेकर उत्तर
पश्चिम तक
किसी भी खाली कोने में
लगाया जा सकता है।
यदि खाली स्थान ना हो तो गमले में
भी तुलसी के पौधे
को लगाया जा सकता है।
- तुलसी का पौधा किचन के पास रखने से घर के
सदस्यों में आपसी सामंजस्य बढ़ता है। पूर्व दिशा में
यदि खिड़की के पास रखा जाए
तो आपकी संतान आपका कहना मानने
लगेगी।
- अगर संतान बहुत ज्यादा जिद्दी और
अपनी मर्यादा से बाहर है तो पूर्व दिशा में रखे
तुलसी के पौधे के तीन पत्ते रोज उसे
किसी ना किसी तरह खिला दें।
- यदि आपकी कन्या का विवाह
नहीं हो रहा हो तो तुलसी के पौधे
को दक्षिण-पूर्व में रखकर उसे नियमित रूप से जल अर्पण करें।
इस उपाय से जल्द ही योग्य वर
की प्राप्ति होगी।
– यदि आपका कारोबार ठीक से नहीं चल
रहा है तो तुलसी के पौधे को नैऋत्य कोण में रखकर
हर शुक्रवार को कच्चा दूध चढ़ाएं।
– नौकरी में
यदि उच्चाधिकारी की वजह से
परेशानी हो तो ऑफिस में
जहां भी खाली जगह हो वहां पर
सोमवार को तुलसी के सोलह बीज
किसी सफेद कपड़े में बांधकर कोने में दबा दे। इससे
आपके संबंध सुधरने लगेगें। घर के सदस्यों में प्यार बढ़ाता है ये
बाउल जिस तरह घर में शंख रखने को हिन्दू परम्परा में शुभ
माना गया है। दक्षिणावर्ती शंख
को हमारी परम्परा में लक्ष्मी का रूप
और वामावर्ती शंख को नारायण माना गया है।
दोनों को ही धन और सुख-समृद्धि प्रदान करने
वाला माना जाता है। इसी तरह फेंगशुई में
भी मधुर ध्वनि उत्पन्न करने
वाली विंडचाइम और सिंगिंग बाउल
को भी घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने
वाला माना जाता है।
सिंगिग बाऊल चीनी मान्यता के अनुसार घर
के सदस्यों में सामंजस्य बढ़ाने में सहायक होता है। यह
किसी भी धातु जैसे सोना,
चांदी, लोहा, स्फटिक आदि से बना हो सकता है।
यह सिंगिंग बाउल कटोरेनुमा होता है। इस बाउल
को लकड़ी से बजाया जाता है जिसे
मुंगरी कहा जाता है।
पहले मुंगरी से
कटोरी को धीरे-धीरे
बजाया जाता है। उसके बाद मुंगरी को दांये से बांये
घुमाने पर एक विचित्र सी ध्वनि उत्पन्न
होती है।इसके नियमित प्रयोग से यह लय में बोलने
लगेगी और इसका संगीत आपके
कानों को मधुर लगने लगेगा। घर के सदस्यों में आपस में प्यार और
सामंजस्य बढऩे लगेगा। क्यों बनाएं मुख्यद्वार के दोनों ओर
स्वस्तिक? हिन्दू धर्म में
किसी भी त्यौहार और उत्सव पर घर में
रंगोली बनाना, स्वस्तिक बनाना और मांडने
बनाना आदि का रिवाज है। ये प्रतीक चिन्ह जिनमें
नदी, इन्द्रध्वज, स्वास्तिक, चन्द्रमरू आदि हैं।
सभी बहुत शुभ माने जाते हैं। कई खुदाइयों में ऐसे
अवशेष मिले, जिनमें तीन से चार हजार सालों पहले
भी लोग अपने आवासों में अनेक प्रतीक
चिन्ह बनाया करते थे। आज भी हम गांवों में देखते
हैं कि मकान कच्चे हों या पक्के,
उनकी बाहरी दीवारों को चित्रकला के
माध्यम से सजाया जाता है।
ये चित्र बेल-बूटे नहीं, बल्कि इनमें मांगलिक
चिन्हों का समावेश किया जाता है, मुख्य द्वार के दोनों ओर
बना स्वस्तिक चिह्न नकारात्मक ऊर्जा को बाहर फेंककर
हमारी रक्षा करता है। आजकल वास्तु दोष निवारण
में स्वस्तिक पिरामिड का बहुतायत प्रयोग किया जा रहा है।
मांगलिक चिन्हों का प्रयोग घर-मकानों व्यवसायिक स्थलों में
परम्परागत रूप से चला आ रहा है। वास्तु निर्माण में पूजा-
अर्चना के बाद से ही मांगलिक चिन्ह का प्रयोग
आरंभ हो जाता है।ये चिन्ह हमारी धार्मिक
भावनाओं से जुड़े होते हैं। इन्हें अपनाकर हम अपने अंदर
शक्ति का अनुभव करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि मुख्यद्वार पर इन चिन्हों को लगाने से घर में
हर प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ सकारात्मक
ऊर्जा का प्रवेश होता है। इन्हें बनाने
या इनको प्रतीक रूप से लगाने से घर में सुख-
शान्ति एवं मंगलकारी प्रभाव उत्पन्न होते हैं। ये
मांगलिक चिन्ह हमारी संस्कृति व
सभ्यता की धरोहर हैं। संसार हर धर्म, हर
सम्प्रदाय के लोग अपने-अपने धर्म से संबंधित मांगलिक
चिन्हों का प्रयोग करते हैं। घर में क्यों बनवाएं पिरामिड?
वास्तुशास्त्र और फेंगशुई के अनुसार घर में पिरामिड
की आकृति बनवाने का विशेष महत्व है। घर में
पिरामिड बनवाने के अनेक लाभ है। पिरामिड
की आकृति को सकारात्मक उर्जा को आकर्षित करने
वाली मानी जाती है।
इसलिए प्राचीनकाल से
ही चीन में घरों के ऊपर
की आकृति पिरामिडनुमा बनाने का प्रचलन था।
– यदि घर को पिरामिड की अद्भुत शक्तियों का लाभ
दिलवाना हो तो घर के मध्य भाग को अथवा किसी लिविंग
रूम को ऊपर से पिरामिड की आकृति का बनवाएं।
– यदि घर के किसी भाग में पिरामिड का निर्माण
करवाना हो तो उसका एक त्रिभुज उत्तर दिशा की ओर
रखें, शेष त्रिभुज स्वत: ही दिशाओं के अनुरूप
हो जाएंगे।
- मस्तिष्क की सक्रियता के लिए पिरामिड के
नीचे बैठना लाभप्रद रहता है। मानसिक थकावट दूर
होगी और अनिद्रा, सिरदर्द, पीठदर्द
आदि में लाभ मिलेगा।
- लंबी बीमारी व शल्य
क्रिया के बाद पिरामिड के नीचे बैठने से
जल्दी आराम मिलता है।
- पिरामिड के नीचे रखी दवाइयां कई
दिनों तक खराब नहीं होती, साथ
ही उनका असर भी बढ़ जाता है।
- घर में पिरामिड का चित्र
कभी नहीं लगाना चाहिए, यह
नकारात्मक ऊर्जा देता है।
– यदि आपका ईशान ऊंचा हो और नैऋत्य
नीचा हो तो नैऋत्य में छत पर पिरामिड
की आकृतिनुमा निर्माण करते हुए नैऋत्य को ईशान
से ऊंचा किया जा सकता है

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