Wednesday, September 17, 2014

प्यार और हस्तरेखा

प्यार और हस्तरेखा
अधिकतर लोगों के मुँह से यह सुनने में आता है कि हमारे
तो गुण मिल गए थे परन्तु हमारे (पति-पत्नि) विचार
नहीं मिल रहे हैं या हम लोगों ने एक-दूसरे
को देखकर समझ-बूझकर
शादी की थी। परन्तु बाद में
दोनों में झगड़े बहुत होने लगे हैं। आप हस्तरेखा के
द्वारा होने वाले धोखे, मंगेतर के बारे में या प्रेमी-
प्रेमिका के बारे में जान सकते हैं।
किसी भी स्त्री या पुरूष के
प्रेम के बारे में पता लगाने के लिए उस जातक के मुख्य रूप से
शुक्र पर्वत, हृदय रेखा, विवाह रेखा को विशेष रूप से
देखा जाता है। इन्हें देखकर
किसी भी व्यक्ति या स्त्री का चरित्र
या स्वभाव जाना जा सकता है।
शुक्र क्षेत्र की स्थिति अँगूठे के निचले भाग में
होती है। जिन व्यक्तियों के हाथ में शुक्र पर्वत
अधिक उठा हुआ होता है। उन व्यक्तियों का स्वभाव
विपरीत सेक्स के प्रति तीव्र आकर्षण
रखने वाला तथा वासनात्मक प्रेम की ओर झुकाव
वाला होता है। यदि किसी स्त्री या पुरूष
के हाथ में पहला पोरू बहुत छोटा हो और मस्तिष्क रेखा न
हो तो वह जातक बहुत वासनात्मक होता है। वह
विपरीत सेक्स के देखते ही अपने मन
पर काबू नहीं रख पाता है।
अच्छे शुक्र क्षेत्र वाले व्यक्ति के अँगूठे का पहला पोरू बलिष्ठ
हो और मस्तक
रेखा लम्बी हो तो ऐसा व्यक्ति संयमी होता है।
यदि किसी स्त्री के हाथ में शुक्र
का क्षेत्र अधिक उन्नत हो तथा मस्तक रेखा कमजोर और
छोटी हो तथा अँगूठे का पहला पर्व छोटा, पतला और
कमजोर हो, हृदय रेखा पर द्वीप के चिह्न
हों तथा सूर्य और बृहस्पति का क्षेत्र दबा हुआ हो तो वह
शीघ्र
ही व्याकियारीणी हो जाती है।
यदि किसी पुरूष के दाएँ हाथ में हृदय रेखा गुरू पर्वत
तक सीधी जा रही है
तथा शुक्र पर्वत अच्छा उठा हुआ है तो वह पुरूष अच्छा व
उदार प्रेमी साबित होता है। परन्तु
यदि यही दशा स्त्री के हाथ में
होती है
तथा उसकी तर्जनी अँगुली अनामिका से
बड़ी होती है तो वह प्रेम के मामले में
वफादार नहीं होती है।
यदि हथेली में विवाह रेखा एवं
कनिष्ठा अँगुली के मध्य में दो-तीन
स्पष्ट रेखाएँ हो तो उस स्त्री या पुरूष के उतने
ही प्रेम सम्बन्ध होते हैं।
यदि किसी पुरूष की केवल एक
ही रेखा हो और वह स्पष्ट तथा अन्त तक
गहरी हो तो ऐसा जातक एक पत्निव्रता होता है
और वह अपनी पत्नी से अत्यधिक
प्रेम भी करता है। जैसा कि बताया गया है कि विवाह
रेखा अपने उद्गम स्थान पर
गहरी तथा चौड़ी हो, परन्तु आगे
चलकर पतली हो गई हो तो यह समझना चाहिए
कि जातक या जातिका प्रारम्भ में अपनी पत्नि या पति से
अधिक प्रेम करती है, परन्तु बाद में चलकर उस
प्रेम में कमी आ गई है।

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