Wednesday, September 17, 2014

घर में तो नहीं हे वास्तुदोष

जाने अपने घर में तो नहीं हे वास्तुदोष
की खराबी=>
हमारे देश मे वास्तु विध्या का बढा ही महत्व हे ,
ओर इसिलिये हम जिस स्थान पर रहते हैं, उस स्थान को वास्तु
कहते हैं। इसलिए जिस भी जगह रहते हैं, उस
स्थान या मकान में कौन-सा दोष है, या नही हे,
जिसके अच्छे बुरे प्रभाव को जनने हेतु , हम सुख -दुख
का अनुभव करते है. ओर इसी वस्तु
की खरबी के कारण हम घर मे दुख-
तकलीफ उठाते हैं, तथा बाहर सब ठिक चलता है !
लेकिन इसे स्वयं नहीं जान सकते। हमें यह
भी पता नहीं रहता कि उस घर में
नकारात्मक ऊर्जा है या सकारात्मक।
किस स्थान पर क्या दोष है, वास्तू दोष , वस्तुऔ के व्यर्थ ओर
अनुचित दिशा परिवर्तन कि कारण उत्पन्न हुई नकारात्मक उर्जाये
होती हे जो उन्नति ओर जीवन मे बाधाये
पाहुचती हे, और जिसे ग्रहो से
भी जुडा देखा गया हे, ये वास्तू दोष घरो मे रहने वाले
लोगो की कुंडली मे स्थापित उत्तम
ग्रहो को भी खराब कर उन्हे
कयी समस्याओ का सामना करने पर मजबूर कर देते
हे ! उन्ही सभी समस्याओ के शोध
करते हुए मेने अपने (पं.भुपेन्द्र् शर्मा) इस लेख मे कुछ
सटीक वास्तु दोष निवारण के उपाय दिए हैं, जिसके
प्रयोग से आप सभी बहुत
ही लाभान्वित होंगे सब से पहले
दिशा को समझना होगा, - ईशान अर्थात ई-ईश्वर, शान-स्थान। इस
स्थान पर भगवान का मंदिर होना चाहिए एवं इस कोण में जल
भी होना चाहिए। यदि इस दिशा में रसोई घर
हो या गैस
की टंकी रखी हो तो वास्तुदोष
होगा। अतः इसे तुरंत हटाकर पूजा स्थान बनाना चाहिए या फिर इस
स्थान पर जल रखना चाहिए।
खाना बनाने वाला स्थान सदैव पूर्व अग्निकोण में होना चाहिए।
भोजन करते वक्त दक्षिण में मुंह करके भोजन
कभी नहीं करना चाहिए।
शयन कक्ष मे व्यक्तियों को शयन हमेशा नैऋत्य कोण में
होना चाहिए। बच्चों को वायव्य कोण में रखना चाहिए।
शयन कक्ष में सोते समय सिर उत्तर में, ओर पैर दक्षिण में
कभी नही करें इससे रोग बढ जाते हे !
पति-पत्नि को अग्निकोण में सोने से दोनो के मन में
आपसी वेचरिक मतभेद होता हे ओर व्यर्थ धन
व्यय भी होता है।
ईशान में सोने से
बीमारी होती है।
पश्चिम दिशा की ओर पैर रखकर सोने से आध्यात्मिक
शक्ति बढ़ती है। उत्तर की ओर पैर
रखकर सोने से धन की वृद्धि होती है
एवं उम्र बढ़ती है।
बेडरूम में कोयी भी एक टेबल गोल
होना चाहिए। बीम के नीचे व कालम के
सामने नहीं सोना चाहिए। बच्चों के बेडरूम में कांच
नहीं लगाना चाहिए।
घर मे मिट्टी और धातु की वस्तुएं अधिक
होना चाहिए। ट्यूबलाइट की जगह अभिक से
अधिक सफ़ेद लैम्प होना चाहिए।¥
घर के मुख्य प्रवेश द्वार
पर फेंगशुई के अनुसार घर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व व
अग्नि कोण के द्वार का रंग सदैव हरा या ब्ल्यू रखना चाहिए।
दक्षिण दिशा के प्रवेश द्वार का रंग हरा, लाल,
बैंगनी, केसरिया होना चाहिए। नैऋत्य और ईशान कोण
का प्रवेश द्वार हरे रंग
का या पीला केसरी या बैंगनी रंग
का होना चाहिए। पश्चिम और वायव्य दिशा का प्रवेश द्वार सफेद
या सुनहरा होना चाहिए। ओर उत्तर दिशा का प्रवेश द्वार
आसमानी सुनहरा या काला होना चाहिए।
कुछ उपाय धन-संपत्ति और आभूषण के लिये...
1- पूर्व दिशा मे यहां घर की संपत्ति और
तिजोरी रखना बहुत शुभ माना जता है और उसमें
बढ़ोतरी होती रहती है।
2- पुरव - पश्चिम दिशा मे धन-संपत्ति और आभूषण रखे जाएं
तो सामान्य ही शुभता का लाभ मिलता है। अगर घर
का मुखिया अपने स्त्री-पुरुष बन्धुओ व
मित्रों का सहयोग होने के बाद
भी बड़ी कठिनाई के साथ धन
कमा पाता है।
3- उत्तर दिशा : घर की इस दिशा में कैश व आभूषण
जिस अलमारी में रखते हैं, वह
अलमारी भवन की उत्तर दिशा के कमरे
में दक्षिण की दीवार से लगाकर
रखना चाहिए। इस प्रकार रखने से अलमारी उत्तर
दिशा की ओर खुलेगी, उसमें रखे गए पैसे
और आभूषण में
हमेशा वृद्धि होती रहेगी।
4- दक्षिण दिशा मे स्वतंत्र धन, सोना, चाँदी और
आभूषण रखने से नुकसान तो नहीं होता परंतु
बढ़ोत्तरी भी विशेष
नहीं होती है।
5- ईशान कोण मे पैसा, धन और आभूषण रखे जाएं तो यह
दर्शाता है कि घर का मुखिया बुद्धिमान है और यदि यह उत्तर
ईशान में रखे हों तो घर की एक कन्या संतान
तीव्र और यदि पूर्व ईशान में रखे हों तो एक पुत्र
संतान बहुत बुद्धिमान और प्रसिद्ध होता है।
6- आग्नेय कोण मे धन रखने से धन घटता है, क्योंकि घर के
मुखिया की आमदनी घर के खर्चे से कम
होने के कारण कर्ज
की स्थिति बनी रहती है।
विशिश चाय के डिब्बे मे तो कतय ना रखे !
7- नैऋत्य कोण मे धन, महंगा सामान और आभूषण रखे जाएं
तो वह टिकते जरूर है, किंतु एक बात अवश्य
रहती है कि यह धन और सामान गलत ढंग से
कमाया हुआ होता है।
8- वायव्य कोण मे धन रखा हो तो खर्च
जितनी आमदनी हे
उतना जुटा पाना मुश्किल होता जाता है। ऐसे व्यक्ति का बजट
हमेशा गड़बड़ाया रहता है और कर्जदारों से सताया जाता है।
9 - सीढ़ियों के नीचे
तिजोरी ओर कबाड़ रखना शुभ
नहीं होता है। सीढ़ियों या टायलेट के
सामने
भी तिजोरी नहीं रखना चाहिए।
तिजोरी वाले कमरे में कबाड़ या मकड़ी के
जाले होने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
10 - घर की तिजोरी के पल्ले पर या घर
के मुख्य होल मे बैठी हुई
लक्ष्मीजी की तस्वीर
जिसमें दो हाथी सूंड उठाए नजर आते हैं,
लगाना बड़ा शुभ होता है। तिजोरी वाले कमरे का रंग
क्रीम या ऑफ व्हाइट रखना चाहिए।
किचन
11 - किचन हमेशा दक्षिण-पूर्व कोना जिसे अग्निकोण
(आग्नेय) कहते है, उसी स्थान में
ही बनवाना चाहिए। यदि इस कोण में किचन
बनाना संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम कोण जिसे वायव्य कोण
भी कहते हैं पर बनवा सकते हैं।
12 - किचन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा प्लेटफार्म
हमेशा पूर्व में होना चाहिए और ईशान कोण में सिंक व
अग्नि कोण चूल्हा लगाना चाहिए।
13 - किचन के दक्षिण में कभी भी कोई
दरवाजा या खिड़की नहीं होने चाहिए।
खिड़की पूर्व की ओर में
ही रखें।
14 - रंग का चयन करते समय भी विशेष ध्यान रखें।
घर की प्रमुख महिला (जो सब से ज्यदा काम
करती हे ) उन
की कुंडली के आधार पर रंग का चयन
करना चाहिए, ताकि वन्हा कार्य करने वाली प्रमुख
महिला पूर्ण स्वस्थ रहेगी !
15 - किचन में कभी भी ग्रेनाइट
का फ्लोर या प्लेटफार्म नहीं बनवाना चाहिए और
ना ही अधिक आईने जैसी कोई
चीज अधिक
नही होनी चाहिए, क्योंकि इससे विपरित
प्रभाव पड़ता है और घर में कलह
की स्थिति बढ़ती है।
16 - किचन में क्रोकरी वाली,
अलमारी दक्षिण या पश्चिम दीवार में
ही होना चाहिए।
17- पानी फिल्टर कि मशीन ईशान कोण
में लगाएँ।
18 - किचन में कोई भी विध्युत उप्करण जैसे
मिक्सर, ग्रांडर, माइक्रोवेव, ओवन को प्लेटफार्म में दक्षिण
की तरफ लगाना चाहिए। फ्रिज हमेशा वायव्य कोण
में रखें।
19 - घर के मुख्य द्वार पर घर के मुखिया के 9×9 उँगल
का सिंदूर ओर देसी घी सि निर्मित
स्वस्तिक उतम महुर्त मे बनाये..
20 - घर मे पित्र ओर पूर्वजो के फ़ोटो केवल दक्षिण
की दीवार पर ही लगाये.!
21- अपने रसोई घर मे कभी व्यर्थ केमिकल
सामग्री जेसे- सर्फ सोडा, साबुन ,
कश्टीक, तेजाब, फिनाईल इत्यादि ना रखे.!

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