Monday, September 22, 2014

संतान सुख में बाधा निवारण

संतान सुख में बाधा निवारण के शास्त्रीय उपाय....
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल एवम
पीड़ित होने से संतान सुख की प्राप्ति में
विलम्ब या बाधा हो तो निम्नलिखित शास्त्रोक्त उपायों में से
किसी एक या दो उपायों को श्रद्धा पूर्वक करें |
आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी |
1. संकल्प पूर्वक शुक्ल पक्ष से गुरूवार के १६ नमक रहित
मीठे व्रत रखें | केले की पूजा करें
तथा ब्राह्मण बटुक को भोजन करा कर यथा योग्य दक्षिणा दें |
१६ व्रतों के बाद उद्यापन कराएं |
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं गुरुवे नमः
का जाप करें
2. पुरुष दायें हाथ की तथा स्त्री बाएं
हाथ की तर्जनी में गुरु रत्न पुखराज
स्वर्ण में विधिवत धारण करें |
3. जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल सूर्य से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो हरिवंश पुराण
का विधिवत श्रवण करके उसे दान करें |
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल चन्द्र से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो रामेश्वर
तीर्थ में स्नान करें ,एक लक्ष
गायत्री मन्त्र का जाप कराएं तथा चांदी के
पात्र में दूध भर कर दान दें |
4. जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल मंगल से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो भूमि दान
करें ,प्रदोष व्रत करें |
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल बुध से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो विष्णु
सहस्रनाम का जाप करें |
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल गुरु से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो गुरूवार को फलदार
वृक्ष लगवाएं ,ब्राह्मण को स्वर्ण तथा वस्त्र का दान दें |
5. जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल शुक्र से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो गौ दान करें ,
आभूषणों से सज्जित लक्ष्मी -नारायण
की मूर्ति दान करें |
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल शनि से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब
या बाधा हो तो पीपल का वृक्ष लगाएं
तथा उसकी पूजा करें ,रुद्राभिषेक करें और
ब्रह्मा की मूर्ति दान करें |
6. संतान गोपाल स्तोत्र
ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते
देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम गतः |
उपरोक्त मन्त्र की १००० संख्या का जाप प्रतिदिन
१०० दिन तक करें | तत्पश्चात १०००० मन्त्रों से हवन,१०००
से तर्पण ,१०० से मार्जन तथा १० ब्राह्मणों को भोजन कराएं |
7. संतान कामेश्वरी
ॐ क्लीं ऐं
ह्रीं श्रीं नमो भगवति संतान
कामेश्वरी गर्भविरोधम निरासय निरासय सम्यक
शीघ्रं संतानमुत्पादयोत्पादय स्वाहा ,
मन्त्र का नित्य जाप करें | ऋतु काल के बाद पति और
पत्नी जौ के आटे में शक्कर मिला कर ७
गोलियाँ बना लें तथा उपरोक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित करके
एक ही दिन में खा लें तो लाभ होगा | |
8.. पुत्र प्रद प्रदोष व्रत ( निर्णयामृत )
शुक्ल पक्ष की जिस
त्रयोदशी को शनिवार हो उस दिन से साल भर यह
प्रदोष व्रत करें |प्रातःस्नान करके पुत्र प्राप्ति हेतु व्रत
का संकल्प करें | सूर्यास्त के समय शिवलिंग की
भवाय भवनाशाय नमो
मन्त्र से पूजा करे सत्तू ,घी ,शक्कर का भोग लगाएं
| आठ दिशाओं में दीपक रख कर आठ -आठ बार
प्रणाम करें | नंदी को जल व दूर्वा अर्पित करें
तथा उसके सींग व पूंछ का स्पर्श करें | अंत में शिव
पार्वती की आरती पूजन
करें |
9. पुत्र व्रत (वराह पुराण )
भाद्रपद कृष्ण सप्तमी को उपवास करके विष्णु
का पूजन करें | अगले दिन
ओम् क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपी जन
वल्लभाय स्वाहा
मन्त्र से तिलों की १०८ आहुति दे कर ब्राह्मण
भोजन कराएं | बिल्व फल खा कर षडरस भोजन करें | वर्ष भर
प्रत्येक मास
की सप्तमी को इसी प्रकार
व्रत रखने से पुत्र प्राप्ति होगी |
10.गर्भ मास के अधिपति ग्रह व उनका दान
गर्भाधान से नवें महीने तक प्रत्येक मास के
अधिपति ग्रह के पदार्थों का उनके वार में दान करने से गर्भ
क्षय का भय नहीं रहता | गर्भ मास के
अधिपति ग्रह व उनके दान निम्नलिखित हैं ——
प्रथम मास — – शुक्र
(चावल ,चीनी ,गेहूं
का आटा ,दूध ,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र
व दक्षिणा शुक्रवार को )
द्वितीय मास — –मंगल ( गुड ,ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल
वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा मंगलवार को )
तृतीय मास — – गुरु
( पीला वस्त्र ,हल्दी ,स्वर्ण ,
पपीता ,चने कि दाल , बेसन व दक्षिणा गुरूवार को )
चतुर्थ मास — — सूर्य ( गुड , गेहूं ,ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल
वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा रविवार को )
पंचम मास —- चन्द्र
(चावल ,चीनी ,गेहूं
का आटा ,दूध ,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र
व दक्षिणा सोमवार को )
षष्ट मास — –- शनि ( काले तिल ,काले
उडद ,तेल ,लोहा ,काला वस्त्र व दक्षिणा शनिवार को )
सप्तम मास —– बुध ( हरा वस्त्र ,मूंग ,कांसे
का पात्र ,हरी सब्जियां व दक्षिणा बुधवार को )
अष्टम मास —- गर्भाधान कालिक लग्नेश ग्रह से सम्बंधित दान
उसके वार में |यदि पता न हो तो अन्न ,वस्त्र व फल का दान
अष्टम मास लगते ही नकार दें |
नवं मास —- चन्द्र (चावल ,चीनी ,गेहूं
का आटा ,दूध ,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र
व दक्षिणा सोमवार को )
11.संतान गणपति स्तोत्र.
श्री गणपति की दूर्वा से पूजा करें
तथा उपरोक्त स्तोत्र का प्रति दिन ११ या २१
की संख्या में पाठ करें |

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