गणेश चतुर्थी की आप
सभी कों हार्दिक
कोटी कोटी शुभकामनाएँ .......
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धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष
की चतुर्थी तिथि को भगवान
श्रीगणेश का जन्म हुआ था। इसीलिए
इस चतुर्थी को विनायक चतुर्थी,
सिद्धिविनायक चतुर्थी और श्रीगणेश
चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार गणेश
चतुर्थी का पर्व 29 अगस्त, शुक्रवार को है।
ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो स्नान, उपवास और दान
किया जाता है, उसका फल भगवान श्रीगणेश
की कृपा से सौ गुना हो जाता है। व्रत करने से
मनोवांछित फल मिलता है। इस दिन श्रीगणेश
जी का पूजन व व्रत इस प्रकार करें-
विधि ..........
सुबह जल्दी उठकर स्नान एवं नित्यकर्म से
शीघ्र निवृत्त हों। अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने,
चांदी, तांबे, पीतल
या मिट्टी से बनी भगवान
श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें
(शास्त्रों में मिट्टी से बनी गणेश
प्रतिमा की स्थापना को ही श्रेष्ठ
माना है)। संकल्प मंत्र के बाद षोडशोपचार पूजन व
आरती करें।
गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग
लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मण
को दे दें। शेष लड्डू प्रसाद रूप में बांट दें। ब्राह्मणों को भोजन
कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद शाम के समय स्वयं भोजन
ग्रहण करें। पूजन के समय यह मंत्र बोलें-
ऊं गं गणपतये नम:
दूर्वा दल चढ़ाने का मंत्र
गणेशजी को 21 दूर्वा दल चढ़ाई
जाती है। दूर्वा दल चढ़ाते समय नीचे
लिखे मंत्रों का जप करें-
ऊं गणाधिपतयै नम:
ऊं उमापुत्राय नम:
ऊं विघ्ननाशनाय नम:
ऊं विनायकाय नम:
ऊं ईशपुत्राय नम:
ऊं सर्वसिद्धप्रदाय नम:
ऊं एकदन्ताय नम:
ऊं इभवक्त्राय नम:
ऊं मूषकवाहनाय नम:
ऊं कुमारगुरवे नम:
इस तरह पूजन करने से भगवान श्रीगणेश
अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर
मुराद पूरी करते हैं।
श्रीगणेश स्थापना व पूजन के शुभ मुहूर्त
29 अगस्त को श्रीगणेश स्थापना व पूजन
का श्रेष्ठ मुहूर्त विजय है, जो दोपहर वृश्चिक लगन में
12:15 से 01:04 तक रहेगा। इसके अलावा अन्य मुहूर्त इस
प्रकार हैं- सुबह 10:30 से 12:00 तक राहु काल हैं ,
जो पूजा के लिए अच्छा नहीं हैं...............
सुबह 06:27 बजे से 08:00 बजे तक- चर
सुबह 08:00 बजे से 09:33 बजे तक- लाभ
सुबह 09:33 बजे से 11:06 बजे तक- अमृत
दोपहर 12:39 बजे से 02:13 बजे तक- शुभ
शाम 05:19 बजे से 06:52 बजे तक- चर
सभी कों हार्दिक
कोटी कोटी शुभकामनाएँ .......
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धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष
की चतुर्थी तिथि को भगवान
श्रीगणेश का जन्म हुआ था। इसीलिए
इस चतुर्थी को विनायक चतुर्थी,
सिद्धिविनायक चतुर्थी और श्रीगणेश
चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार गणेश
चतुर्थी का पर्व 29 अगस्त, शुक्रवार को है।
ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो स्नान, उपवास और दान
किया जाता है, उसका फल भगवान श्रीगणेश
की कृपा से सौ गुना हो जाता है। व्रत करने से
मनोवांछित फल मिलता है। इस दिन श्रीगणेश
जी का पूजन व व्रत इस प्रकार करें-
विधि ..........
सुबह जल्दी उठकर स्नान एवं नित्यकर्म से
शीघ्र निवृत्त हों। अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने,
चांदी, तांबे, पीतल
या मिट्टी से बनी भगवान
श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें
(शास्त्रों में मिट्टी से बनी गणेश
प्रतिमा की स्थापना को ही श्रेष्ठ
माना है)। संकल्प मंत्र के बाद षोडशोपचार पूजन व
आरती करें।
गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग
लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मण
को दे दें। शेष लड्डू प्रसाद रूप में बांट दें। ब्राह्मणों को भोजन
कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद शाम के समय स्वयं भोजन
ग्रहण करें। पूजन के समय यह मंत्र बोलें-
ऊं गं गणपतये नम:
दूर्वा दल चढ़ाने का मंत्र
गणेशजी को 21 दूर्वा दल चढ़ाई
जाती है। दूर्वा दल चढ़ाते समय नीचे
लिखे मंत्रों का जप करें-
ऊं गणाधिपतयै नम:
ऊं उमापुत्राय नम:
ऊं विघ्ननाशनाय नम:
ऊं विनायकाय नम:
ऊं ईशपुत्राय नम:
ऊं सर्वसिद्धप्रदाय नम:
ऊं एकदन्ताय नम:
ऊं इभवक्त्राय नम:
ऊं मूषकवाहनाय नम:
ऊं कुमारगुरवे नम:
इस तरह पूजन करने से भगवान श्रीगणेश
अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर
मुराद पूरी करते हैं।
श्रीगणेश स्थापना व पूजन के शुभ मुहूर्त
29 अगस्त को श्रीगणेश स्थापना व पूजन
का श्रेष्ठ मुहूर्त विजय है, जो दोपहर वृश्चिक लगन में
12:15 से 01:04 तक रहेगा। इसके अलावा अन्य मुहूर्त इस
प्रकार हैं- सुबह 10:30 से 12:00 तक राहु काल हैं ,
जो पूजा के लिए अच्छा नहीं हैं...............
सुबह 06:27 बजे से 08:00 बजे तक- चर
सुबह 08:00 बजे से 09:33 बजे तक- लाभ
सुबह 09:33 बजे से 11:06 बजे तक- अमृत
दोपहर 12:39 बजे से 02:13 बजे तक- शुभ
शाम 05:19 बजे से 06:52 बजे तक- चर
thanks for the info and happy ganesh chaturthi
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