शुक्र को परिवार और गृहस्थी का कारक
माना गया है.पुरूष की कुण्डली में यह
पत्नी और
स्त्री की कुण्डली में
पति की स्थिति को दर्शाता है.लाल किताब कहता है
कि यह कुण्डली में अकेला होने पर अहित
नहीं करता है, सातवें खाने में शुक्र, शनि एवं सूर्य
की युति होने पर सूर्य मंदा होता है एवं शुक्र
भी अशुभ हो जाता है.इस स्थिति में धन
की हानि होती है एवं पिता से अच्छे
सम्बन्ध नहीं रह पाते हैं.शुक्र जब बारहवें घर
में होता है तब धन और उच्चपद प्रदान करता है.
शरीर में जननांग, वीर्य, नेत्र पर शुक्र
का प्रभाव रहता है.शुक्र प्रेम, विवाह, सुख, ऐश्वर्य, गायन
एवं नृत्य का अधिपति होता है.शुक्र विवाह एवं वैवाहिक सुख
सहित सम्बन्ध विच्छेद का भी कारक
होता है.शुक्र प्रभावित व्यक्ति सुन्दरता एवं
कला का प्रेमी होता है.इन्हें स्त्रियों का साथ पसंद
होता है व इनसे लाभ भी मिलता है.
शुक्र अशुभ होने पर व्यक्ति में चारित्रिक दोष
होता है.मंदा शुक्र पारिवारिक एवं गृहस्थ जीवन में
अशांति और कलह
पैदा करता है.त्वचा सम्बन्धी रोग, स्वप्न
दोष.अंगूठे में अकारण पीड़ा मंदे शुक्र
की निशानी कही गयी है.
माना गया है.पुरूष की कुण्डली में यह
पत्नी और
स्त्री की कुण्डली में
पति की स्थिति को दर्शाता है.लाल किताब कहता है
कि यह कुण्डली में अकेला होने पर अहित
नहीं करता है, सातवें खाने में शुक्र, शनि एवं सूर्य
की युति होने पर सूर्य मंदा होता है एवं शुक्र
भी अशुभ हो जाता है.इस स्थिति में धन
की हानि होती है एवं पिता से अच्छे
सम्बन्ध नहीं रह पाते हैं.शुक्र जब बारहवें घर
में होता है तब धन और उच्चपद प्रदान करता है.
शरीर में जननांग, वीर्य, नेत्र पर शुक्र
का प्रभाव रहता है.शुक्र प्रेम, विवाह, सुख, ऐश्वर्य, गायन
एवं नृत्य का अधिपति होता है.शुक्र विवाह एवं वैवाहिक सुख
सहित सम्बन्ध विच्छेद का भी कारक
होता है.शुक्र प्रभावित व्यक्ति सुन्दरता एवं
कला का प्रेमी होता है.इन्हें स्त्रियों का साथ पसंद
होता है व इनसे लाभ भी मिलता है.
शुक्र अशुभ होने पर व्यक्ति में चारित्रिक दोष
होता है.मंदा शुक्र पारिवारिक एवं गृहस्थ जीवन में
अशांति और कलह
पैदा करता है.त्वचा सम्बन्धी रोग, स्वप्न
दोष.अंगूठे में अकारण पीड़ा मंदे शुक्र
की निशानी कही गयी है.
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