Wednesday, August 13, 2014

ग्रह शरीर के अन्दर है

/////////// ग्रह शरीर के अन्दर है //////
सूर्य से पहिचान हड्डियों का ढांचा नाम पहिचान
आंखो की द्रिष्टि है/// चन्द्रमा से
शरीर मे पानी की मात्रा और
मन है जो हमेशा पानी और
चन्द्र्मा की तरह से चलायमान है////मंगल
शरीर मे खून मे शामिल है जितना अच्छा मंगल
होता है
उतनी ही अच्छी शक्ति मिलती है
अच्छी जाति और अच्छी कुल
की बात भी मंगल से
देखी जाती है //// बुध
जो शरीर मे बोलने के लिये वाणी के रूप मे
सुनने के लिये कानो के रूप मे समझने के लिये बुद्धि के रूप मे ,
सूंघने के लिये नाक के रूप मे भी शामिल है ////गुरु
वायु के रूप मे जिन्दा रखने के लिये समझने के लिये रिस्तो के रूप मे
और जीवित रहने के लिये प्राण वायु के द्वारा कार्य
करने के लिये है/////// शुक्र का रूप शरीर मे
जननेन्द्रिय के रूप मे है शरीर
की पहिचान को सुन्दर या बदशूरत बनाने के लिये
है//////////शनि शरीर मे खाल और बालो के रूप मे
है जिससे शरीर
की सर्दी गर्मी बरसात मे
रक्षा होती है बाहरी वातावरण के
अनुसार शनि ही रक्षा करने वाला होता है//////
राहु आकस्मिक बचाव करने वाला है जिसे विचार
की श्रंखला मे बदलाव करने
वाला किसी एक या अधिक क्षेत्रो मे जाने
की धुन सवार करने के लिये /////// केतु
शरीर मे जोडों के रूप मे हाथ पैर शरीर
के अंगो को प्रयोग करने के लिये अपनी शक्ति को देने
वाला है।

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