घर की दीवार पर कहाँ लगायें
घडी
घर की साज-सज्जा के दौरान प्रत्येक गृहस्थ चाहे
उसके पास छोटा घर हो या बड़ा , एक अदद
घड़ी दीवार पर जरूर लगाता है। आज के
समय में दीवार घड़ी का चलन सर्वत्र
और सर्वमान्य हो गया है। छोटे या बड़े कमरे
की किसी न
किसी दीवार पर
लंबी चौड़ी घड़ी टांग
दी जाती है। घड़ी टांगने
का संबंध समय देखने के अलावा घर की साज-
सज्जा से भी है।
तीसरी बात यह है कि उचित और वास्तु
सम्मत स्थान पर घड़ी टांगने से उस कमरे या घर के
लोगों का जीवन जहां अनुशासित रहता है ,
वहीं समय की गति के साथ
उनका जीवन भी क्रियाशील
यानी एक्टिव रहता है।
घर की बनावट के अनुसार
ही दीवार घड़ी या टाइम
पीस को लगाने का प्रावधान करना चाहिए। अगर
आपके पास छोटा और सीमित आकार वाला घर हो ,
तो सिर्फ ड्राइंग रूम में ही वॉल-क्लॉक लगाना चाहिए।
ड्राइंग रूम के बाद घड़ी लगाने का दूसरा अनिवार्य स्थान
है बैडरूम और तीसरा स्थान है बच्चों के पढ़ने-
लिखने
की लॉबी या स्टडी रूम। इन
तीनों जगहों पर टाइम पीस
किसी प्रकार और कौन-सी दिशा में
लगाना चाहिए , उसके विषय में यहां चर्चा करते हैं।
जहां तक ड्राइंग रूम का प्रश्न है , अगर यह बड़े आकार
का है तो इसके मुख्य प्रवेश द्वार के सामने
ही अच्छा सुंदर और बड़े
अक्षरों वाली दीवार
घड़ी लगाना चाहिए। टाइमपीस लगाने
की उत्तम दिशाएं हैं - उत्तरपूर्व या ईशान कोण ,
दूसरा महत्वपूर्ण स्थान और दिशा है पूर्व
यानी सनराइज एंगल और तीसरा शुभ
स्थान है वायव्य कोण यानी उत्तर पश्चिम।
तीनों स्थानों में से सर्वोत्तम स्थान ईशान कोण
ही है , क्योंकि यह वास्तु देवता के सिरोभाग
को स्पर्श करता है। अगर वास्तु देवता का सिरोभाग
सही रहेगा , तो घर में रहने वाले
सदस्यों को भी मानसिक और शारीरिक
सुख शांति का आभास होगा। उनके सभी काम
समयानुसार बनते जाएंगे और
किसी भी निरर्थक कार्य पर समय नष्ट
नहीं होगा। इस प्रकार से घर के विभिन्न
अवयवों पर दिशा और उसके भावनात्मक
उद्देश्यों की पूर्ति के लिए
ही दीवार घड़ी का चुनाव
किया जा सकता है।
जैसे ड्राइंग रूम में पूर्व या वायव्य कोण में दीवार
घड़ी लगाने से घर के
सदस्यों की शारीरिक और मानसिक
ऊर्जा गतिमान रहेगी। उनके जीवन में
नवीनता और
गतिशीलता आएगी। पूर्व दिशा में लगाई
गई दीवार घड़ी उनको सदैव समय पर
जागृत रखेगा और किसी भी आकस्मिक
घटना-दुर्घटना के प्रति वे समय रहते सचेत हो जाएंगे। साथ
ही घर के सदस्यों का जीवंत व्यवहार
बैठक यानी ड्राइंग रूम को आबाद रखेगा और उसमें
साज-सज्जा के नए-नए और आधुनिक वास्तु
सामग्री का संग्रह होता ही रहेगा।
अच्छा ड्राइंग रूम गृहस्थ के सुविचार और अच्छे टेस्ट
का प्रतीक बनेगा।
यदि ड्राइंग रूम के उत्तर की ओर दीवार
घड़ी लगाते हैं , तो आर्थिक कार्य समय पर बनते
रहेंगे। घर में धन की आवक समय पर
होगी ।
वायव्य कोण बदलाव का प्रतीक है।
हवा यानी वायु हर समय इस दिशा को साफ
करती है। इस दिशा में अगर
घड़ी लगाना हो , तो सादा और गोलाकार या अंडाकार नमूने
की ही घड़ी लगानी चाहिए ,
ताकि समय की गति और बदलाव के अच्छे और सुखद
क्षण बार-बार आते रहें। जिस प्रकार हवा गोल दायरे में चक्कर
काटती है , वैसे ही मानव
जीवन भी एक आवृति लिए रहता है।
उसमें दुख-सुख अपना चक्कर पूरा करते रहते हैं।
यह भी ध्यान रहे
कि जहां भी घड़ी लगाई
जा रही है , वहां या उसके आसपास शेर , भालू ,
सियार गिद्द , सुअर , घडि़याल , बाघ , चीता या सांप
आदि परभक्षी व खतरनाक प्राणियों के चित्र
नहीं लगाने चाहिए। इससे जहां समय
की धारा विरुद्ध हो जाती है ,
वहीं अन्य प्रकार के वास्तु-दोष घर के
सदस्यों की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं।
बेडरूम में सदैव उत्तर या उत्तरपूर्व दिशा में
ही घड़ी लगानी चाहिए।
वैसे , यहां अधिक खटपट करने वाली क्लॉक
नहीं लगानी चाहिए और न
ही अलार्म रहित घड़ी। हां , प्रत्येक
घंटे चेतावनी देने वाली टबिल क्लॉक बेड
रूम में लगाना अच्छा नहीं रहेगा। इससे
नींद में खलल पड़ेगा।
स्टडी रूम में पूर्व या वायव्य कोण में
घड़ी लगाना सर्वोत्तम रहेगा। इससे
जहां वहां कार्यरत
अध्ययनकर्ता की एकाग्रता बनी रहेगी ,
वहीं उनका समय भी फालतू कार्यों और
दिमागी उलझनों में बर्बाद नहीं होगा।
घडी
घर की साज-सज्जा के दौरान प्रत्येक गृहस्थ चाहे
उसके पास छोटा घर हो या बड़ा , एक अदद
घड़ी दीवार पर जरूर लगाता है। आज के
समय में दीवार घड़ी का चलन सर्वत्र
और सर्वमान्य हो गया है। छोटे या बड़े कमरे
की किसी न
किसी दीवार पर
लंबी चौड़ी घड़ी टांग
दी जाती है। घड़ी टांगने
का संबंध समय देखने के अलावा घर की साज-
सज्जा से भी है।
तीसरी बात यह है कि उचित और वास्तु
सम्मत स्थान पर घड़ी टांगने से उस कमरे या घर के
लोगों का जीवन जहां अनुशासित रहता है ,
वहीं समय की गति के साथ
उनका जीवन भी क्रियाशील
यानी एक्टिव रहता है।
घर की बनावट के अनुसार
ही दीवार घड़ी या टाइम
पीस को लगाने का प्रावधान करना चाहिए। अगर
आपके पास छोटा और सीमित आकार वाला घर हो ,
तो सिर्फ ड्राइंग रूम में ही वॉल-क्लॉक लगाना चाहिए।
ड्राइंग रूम के बाद घड़ी लगाने का दूसरा अनिवार्य स्थान
है बैडरूम और तीसरा स्थान है बच्चों के पढ़ने-
लिखने
की लॉबी या स्टडी रूम। इन
तीनों जगहों पर टाइम पीस
किसी प्रकार और कौन-सी दिशा में
लगाना चाहिए , उसके विषय में यहां चर्चा करते हैं।
जहां तक ड्राइंग रूम का प्रश्न है , अगर यह बड़े आकार
का है तो इसके मुख्य प्रवेश द्वार के सामने
ही अच्छा सुंदर और बड़े
अक्षरों वाली दीवार
घड़ी लगाना चाहिए। टाइमपीस लगाने
की उत्तम दिशाएं हैं - उत्तरपूर्व या ईशान कोण ,
दूसरा महत्वपूर्ण स्थान और दिशा है पूर्व
यानी सनराइज एंगल और तीसरा शुभ
स्थान है वायव्य कोण यानी उत्तर पश्चिम।
तीनों स्थानों में से सर्वोत्तम स्थान ईशान कोण
ही है , क्योंकि यह वास्तु देवता के सिरोभाग
को स्पर्श करता है। अगर वास्तु देवता का सिरोभाग
सही रहेगा , तो घर में रहने वाले
सदस्यों को भी मानसिक और शारीरिक
सुख शांति का आभास होगा। उनके सभी काम
समयानुसार बनते जाएंगे और
किसी भी निरर्थक कार्य पर समय नष्ट
नहीं होगा। इस प्रकार से घर के विभिन्न
अवयवों पर दिशा और उसके भावनात्मक
उद्देश्यों की पूर्ति के लिए
ही दीवार घड़ी का चुनाव
किया जा सकता है।
जैसे ड्राइंग रूम में पूर्व या वायव्य कोण में दीवार
घड़ी लगाने से घर के
सदस्यों की शारीरिक और मानसिक
ऊर्जा गतिमान रहेगी। उनके जीवन में
नवीनता और
गतिशीलता आएगी। पूर्व दिशा में लगाई
गई दीवार घड़ी उनको सदैव समय पर
जागृत रखेगा और किसी भी आकस्मिक
घटना-दुर्घटना के प्रति वे समय रहते सचेत हो जाएंगे। साथ
ही घर के सदस्यों का जीवंत व्यवहार
बैठक यानी ड्राइंग रूम को आबाद रखेगा और उसमें
साज-सज्जा के नए-नए और आधुनिक वास्तु
सामग्री का संग्रह होता ही रहेगा।
अच्छा ड्राइंग रूम गृहस्थ के सुविचार और अच्छे टेस्ट
का प्रतीक बनेगा।
यदि ड्राइंग रूम के उत्तर की ओर दीवार
घड़ी लगाते हैं , तो आर्थिक कार्य समय पर बनते
रहेंगे। घर में धन की आवक समय पर
होगी ।
वायव्य कोण बदलाव का प्रतीक है।
हवा यानी वायु हर समय इस दिशा को साफ
करती है। इस दिशा में अगर
घड़ी लगाना हो , तो सादा और गोलाकार या अंडाकार नमूने
की ही घड़ी लगानी चाहिए ,
ताकि समय की गति और बदलाव के अच्छे और सुखद
क्षण बार-बार आते रहें। जिस प्रकार हवा गोल दायरे में चक्कर
काटती है , वैसे ही मानव
जीवन भी एक आवृति लिए रहता है।
उसमें दुख-सुख अपना चक्कर पूरा करते रहते हैं।
यह भी ध्यान रहे
कि जहां भी घड़ी लगाई
जा रही है , वहां या उसके आसपास शेर , भालू ,
सियार गिद्द , सुअर , घडि़याल , बाघ , चीता या सांप
आदि परभक्षी व खतरनाक प्राणियों के चित्र
नहीं लगाने चाहिए। इससे जहां समय
की धारा विरुद्ध हो जाती है ,
वहीं अन्य प्रकार के वास्तु-दोष घर के
सदस्यों की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं।
बेडरूम में सदैव उत्तर या उत्तरपूर्व दिशा में
ही घड़ी लगानी चाहिए।
वैसे , यहां अधिक खटपट करने वाली क्लॉक
नहीं लगानी चाहिए और न
ही अलार्म रहित घड़ी। हां , प्रत्येक
घंटे चेतावनी देने वाली टबिल क्लॉक बेड
रूम में लगाना अच्छा नहीं रहेगा। इससे
नींद में खलल पड़ेगा।
स्टडी रूम में पूर्व या वायव्य कोण में
घड़ी लगाना सर्वोत्तम रहेगा। इससे
जहां वहां कार्यरत
अध्ययनकर्ता की एकाग्रता बनी रहेगी ,
वहीं उनका समय भी फालतू कार्यों और
दिमागी उलझनों में बर्बाद नहीं होगा।
for a good time
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