जलपान-गृहों एवं होटलों में वास्तु-नियमों का प्रयोग
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जलपान-गृहों व होटलों मे भी वास्तु नियमों का पालन
उसी प्रकार किया जाता है जिस प्रकार अन्य व्यापारिक
भवनों में किया जाता है। रेस्तरां, जलपान गृह व होटल में वास्तु
नियमों का प्रयोग लाभकारी होता है। ऐसे भवनों के
दो महत्वपूर्ण भाग होते है-1. ग्राहकों को भोजन बनाने के
लिए। 2. ग्राहकों को ठहराने के लिए।
होटल में आग संबंधी केंद्र, जैसे-रसोई कक्ष,
बिजली का मेन स्विच वगैरह आग्रेय कोण में
बनाना चाहिए। जलपानगृह व होटल हेतु
बालकनी आग्रेय कोण में बनाना श्रेयस्क र है।
दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा का उपयोग खाद्य-
पदार्थों के लिए भंडारण करना चाहिए।
होटल आदि में शौचालय व स्नानगृह उत्तर-पश्चिम में और
एकयरकंडीशनर व वास-बेसिन पश्चिम दिशा में
बनाना चाहिए। मुख्य द्वार पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व में
रखना श्रेयस्कर है। कैश बाक्स उत्तर दिशा में,
स्वीमिंग पूल, तालाब उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व में
रखना चाहिए।
होटल के उत्तर-पूर्व दिशा का भाग
खाली होना चाहिए अथवा स्वागत कक्ष हेतु उपयोग
में लाया जाना चाहिए। होटल के उत्तरी-
पूर्वी भाग में ग्रहाकों के ठहरने के लिए
कमरों का निर्माण नहीं करना चाहिए। भोज (दावत)
या सम्मेलन-कक्ष उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना श्रेयस्कर
होता है। पश्चिमी-दक्षिणी
दिशा का हिस्सा आवास हेतु प्रयुक्त करें। मुख्य भवन के
चारों ओर खुला स्थान रखना बहुत उपयोगी होता है।
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जलपान-गृहों व होटलों मे भी वास्तु नियमों का पालन
उसी प्रकार किया जाता है जिस प्रकार अन्य व्यापारिक
भवनों में किया जाता है। रेस्तरां, जलपान गृह व होटल में वास्तु
नियमों का प्रयोग लाभकारी होता है। ऐसे भवनों के
दो महत्वपूर्ण भाग होते है-1. ग्राहकों को भोजन बनाने के
लिए। 2. ग्राहकों को ठहराने के लिए।
होटल में आग संबंधी केंद्र, जैसे-रसोई कक्ष,
बिजली का मेन स्विच वगैरह आग्रेय कोण में
बनाना चाहिए। जलपानगृह व होटल हेतु
बालकनी आग्रेय कोण में बनाना श्रेयस्क र है।
दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा का उपयोग खाद्य-
पदार्थों के लिए भंडारण करना चाहिए।
होटल आदि में शौचालय व स्नानगृह उत्तर-पश्चिम में और
एकयरकंडीशनर व वास-बेसिन पश्चिम दिशा में
बनाना चाहिए। मुख्य द्वार पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व में
रखना श्रेयस्कर है। कैश बाक्स उत्तर दिशा में,
स्वीमिंग पूल, तालाब उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व में
रखना चाहिए।
होटल के उत्तर-पूर्व दिशा का भाग
खाली होना चाहिए अथवा स्वागत कक्ष हेतु उपयोग
में लाया जाना चाहिए। होटल के उत्तरी-
पूर्वी भाग में ग्रहाकों के ठहरने के लिए
कमरों का निर्माण नहीं करना चाहिए। भोज (दावत)
या सम्मेलन-कक्ष उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना श्रेयस्कर
होता है। पश्चिमी-दक्षिणी
दिशा का हिस्सा आवास हेतु प्रयुक्त करें। मुख्य भवन के
चारों ओर खुला स्थान रखना बहुत उपयोगी होता है।
because of the hotel owners earn more profits
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