वास्तु सलाह
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• भारी पत्थर व भारी मूर्तियां दक्षिण
तथा पश्चिम दिशा में तब रखे जा सकते हैं जब दक्षिण
तथा पश्चिम में कोई भारी सामान रखने के लिए
उपलब्ध न हो। ये मूर्तियां या पत्थर ऐसे दिखने चाहिए जैसे
इन्हें सजावट के लिए रखा गया हो। पश्चिम एवं दक्षिण
दिशा को भारी करने पर घर,
फैक्टरी या रोजगार के स्थान पर स्थायित्व आता है।
पति-पत्नी में अलगाव रहता है या कार्य पूर्ण रूप
से नहीं चलने के कारण मानसिक
परेशानी रहती है,
तो भी यह उपाय कारगर साबित होता है।
• खिड़कियां सही स्थान पर होती हैं,
तो हवा का संतुलन बना रहता है। मकान या कमरे में उत्तर
या पूर्व की ओर लगी हुई खिड़कियां धन
और उत्तम स्वास्थ्य को देने
वाली होती हैं। इन्हें
खुला रखना लाभदायक होता है। पश्चिम तथा दक्षिण
की खिड़कियों व दरवाजों पर भारी पर्दे
तथा पूर्वी व उत्तरी दरवाजों पर हल्के
व बारीक पर्दों का प्रयोग लाभदायक होता है।
• देवी-देवताओं के चित्र
तथा सजावटी चित्र
उत्तरी या पूर्वी दीवार पर
लगायें।
पूर्वी तथा उत्री दीवार पर
स्वर्गवासी व्यक्ति का वित्र न लगायें। इसके लिए
दक्षिणी दीवार अधिक उपयुक्त
होती है। भारी दिखने वाले जैसे पहाड़,
घने जंगल आदि के चित्र पश्चिम
या दक्षिणी दीवार पर
ही लगायें। युद्घ के चित्र बिना सिर-पैर
की मूर्तियां, कबूतर, सांप, सूअर आदि ऐसे चित्र
अशुभ माने गये हैं।
• मधुर संगती व गीत
भी सकारात्मक प्रभाव छोड़ते हैं।
कर्णभेदी संगीत नकारात्मक प्रभाव
छोड़ते हैं। मधुर संगीत को ही घर में
जगह दें। सीढिय़ां भवन में गलत जगह पर
होती हैं तो दोष उत्पन्न करती हैं।
भवन में सीढिय़ां दक्षिण-पश्चिम या नैर्ऋत्य कोण में
बनाना दक्षिण-पश्चिम या नैर्ऋत्य कोण में बनाना शुभ होता है।
ईशान तथा मध्य में सीढिय़ां बनाना दोषमुक्त
माना गया है। सीढिय़ां उपरोक्त दिशा में न हों, तो ऐसे में
सीढिय़ों के प्रवेश का स्थान सुविधाजनक लम्बा कर लें
और उसे दक्षिण, पश्चिम या नैर्ऋत्य कोण से शुरू करें। इसके
लिए दीवार बनाना संभव न
हो तो सजावटी पौधों आदि के
गमलों की पंक्तियां लगाकर
सीढिय़ों का प्रारंभिक स्थान उपरोक्त दिशा में ले जायें।
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• भारी पत्थर व भारी मूर्तियां दक्षिण
तथा पश्चिम दिशा में तब रखे जा सकते हैं जब दक्षिण
तथा पश्चिम में कोई भारी सामान रखने के लिए
उपलब्ध न हो। ये मूर्तियां या पत्थर ऐसे दिखने चाहिए जैसे
इन्हें सजावट के लिए रखा गया हो। पश्चिम एवं दक्षिण
दिशा को भारी करने पर घर,
फैक्टरी या रोजगार के स्थान पर स्थायित्व आता है।
पति-पत्नी में अलगाव रहता है या कार्य पूर्ण रूप
से नहीं चलने के कारण मानसिक
परेशानी रहती है,
तो भी यह उपाय कारगर साबित होता है।
• खिड़कियां सही स्थान पर होती हैं,
तो हवा का संतुलन बना रहता है। मकान या कमरे में उत्तर
या पूर्व की ओर लगी हुई खिड़कियां धन
और उत्तम स्वास्थ्य को देने
वाली होती हैं। इन्हें
खुला रखना लाभदायक होता है। पश्चिम तथा दक्षिण
की खिड़कियों व दरवाजों पर भारी पर्दे
तथा पूर्वी व उत्तरी दरवाजों पर हल्के
व बारीक पर्दों का प्रयोग लाभदायक होता है।
• देवी-देवताओं के चित्र
तथा सजावटी चित्र
उत्तरी या पूर्वी दीवार पर
लगायें।
पूर्वी तथा उत्री दीवार पर
स्वर्गवासी व्यक्ति का वित्र न लगायें। इसके लिए
दक्षिणी दीवार अधिक उपयुक्त
होती है। भारी दिखने वाले जैसे पहाड़,
घने जंगल आदि के चित्र पश्चिम
या दक्षिणी दीवार पर
ही लगायें। युद्घ के चित्र बिना सिर-पैर
की मूर्तियां, कबूतर, सांप, सूअर आदि ऐसे चित्र
अशुभ माने गये हैं।
• मधुर संगती व गीत
भी सकारात्मक प्रभाव छोड़ते हैं।
कर्णभेदी संगीत नकारात्मक प्रभाव
छोड़ते हैं। मधुर संगीत को ही घर में
जगह दें। सीढिय़ां भवन में गलत जगह पर
होती हैं तो दोष उत्पन्न करती हैं।
भवन में सीढिय़ां दक्षिण-पश्चिम या नैर्ऋत्य कोण में
बनाना दक्षिण-पश्चिम या नैर्ऋत्य कोण में बनाना शुभ होता है।
ईशान तथा मध्य में सीढिय़ां बनाना दोषमुक्त
माना गया है। सीढिय़ां उपरोक्त दिशा में न हों, तो ऐसे में
सीढिय़ों के प्रवेश का स्थान सुविधाजनक लम्बा कर लें
और उसे दक्षिण, पश्चिम या नैर्ऋत्य कोण से शुरू करें। इसके
लिए दीवार बनाना संभव न
हो तो सजावटी पौधों आदि के
गमलों की पंक्तियां लगाकर
सीढिय़ों का प्रारंभिक स्थान उपरोक्त दिशा में ले जायें।
kaise kare upaaye
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