Friday, October 31, 2014

घर में क्यों पालने चाहिए कुत्ते--

घर में क्यों पालने चाहिए कुत्ते----काला कुत्ता 20 दिन में सचमुच
बदल देगा आपकी किस्मत
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कुत्ते को धर्म ग्रंथों के अलावा ज्योतिषशास्त्र में एक महत्वपूर्ण
पशु के लिए रूप में बताया गया है। माना जाता है
कि काला कुत्ता जहां होता है वहां नकारात्मक
उर्जा नहीं ठहरती है। इसका कारण यह
है कि काले कुत्ते पर एक साथ दो शक्तिशाली ग्रह
शनि और केतु के प्रभाव होता है। काले कुत्ते की तरह
कौआ भी शुभ फल देने
वाला पक्षी माना जाता है।
जूठन भोजन और कर्कश स्वर के कारण भले ही इसे
निकृष्ट पक्षी कहें लेकिन, शास्त्रों में कहा गया है
कि कौआ ही एक मात्र पक्षी है जिसने
अमृत कलश से छलक कर गिरे अमृत का पान किया था। इसे यम का दूत
भी कहा जाता है। यह आसमान के रास्ते यमलोक तक
पहुंच जाता है और पृथ्वी पर रहने
वालों की हर ख़बर यमराज तक पहुंचाता है।
शास्त्रों में कहा गया है
कि जिनकी कुण्डली में पितृ दोष होता है
उन्हें संतान सुख में बाधा का सामना करना पड़ता है। कौए को भोजन
देने से पितृगण प्रसन्न होते हैं और पितृ बाधा का प्रभाव कम
होता है। शास्त्रों के अनुसार इसका कारण यह है कि पितृ पक्ष में
पितरगण भी कौए के रूप में पृथ्वी पर विचरण
करते हैं और अपने वंशजों द्वारा ब्राह्मण भोजन करवाने के बाद,
ब्राह्मणों के जूठे पत्तलों से भोजन करते हैं जिससे उन्हें
मुक्ति मिलती है।
ज्योतिषशास्त्र में पुत्र संतान पर केतु का प्रभाव बताया गया है। केतु
के अशुभ स्थिति में होने पर संतान सुख में
बाधा आती है। अगर संतान हो भी जाए
तो उनसे सुख
की संभावना नहीं रहती है।
लाल किताब में बताया गया है कि संतान सुख में बाधा आने पर
काला कुत्ता अथवा काला और सफेद कुत्ता पालन चाहिए। इससे संतान
सुख की प्राप्ति होती है। यह उपाय संतान
के स्वास्थ्य के लिए भी शुभ कारगर होता है।
सदियों से अपने मन परचावे के लिए लोग घरों में पालतु जानवर पालते आ
रहे हैं। पालतू जानवर सबसे अच्छे साथी होते हैं।
सेफ्टी के लिए कुत्ता पालना सबसे बेहतर विकल्प है।
कुत्ता बड़ा ही संवेदनशील और होशियार
जानवर माना जाता है क्योंकि कुत्ते वफादार होते हैं और
घरों की रखवाली के लिए ये सबसे
अच्छा विकल्प माना जाता है।
उन्हें हर मुसीबत का पहले
ही अंदाजा हो जाता है। शकुन शास्त्र में कुत्ते
को शकुन रत्न माना जाता है क्योंकि कुत्ता इंसान से
भी अधिक वफादार, भविष्य वक्ता और
अपनी हरकतों से शुभ-अशुभ का भी ज्ञात
करवाता है।
शनि को प्रसन्न करने के लिए बताए गए खास उपायों में से एक उपाय
है घर में काला कुत्ता पालना। काला कुत्ता शनिदेव का वाहन है।
जो लोग कुत्ते को खाना खिलाते हैं उनसे शनि अति प्रसन्न होते हैं।
शनि देव की कृपा के उपरांत जातक को परेशानियों से सदा के
लिए निजात मिल जाती है। साढ़ेसाती,
ढैय्या या कुंडली का अन्य कोई दोष इस उपाय से निश्चित
ही ठीक हो जाता है।
कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी खिलाने से
शनि के साथ ही राहु-केतु से संबंधित
दोषों का भी निवारण हो जाता है। राहु-केतु के योग
कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्तियों को यह उपाय लाभ
पहुंचाता है।
लाल किताब में केतु को कुत्ता माना गया है। घर में
किसी भी रंग के कुत्ते को पालने से केतू के
खराब प्रभाव को कम किया जा सकता है। ज्योतिषी के
अनुसार केतु का प्रतीक है कुत्ता। पितृ शांति के लिए
कुत्तों को मीठी रोटी खिलानी चाहिए।
कुत्ते को प्रतिदिन रोटी खिलाने से सभी तरह
के संकट दूर होते हैं। घर में
किसी भी प्रकार की आकस्मिक
घटना नहीं होती।
कुत्ते को भगवान भैरव का परमप्रिय माना गया है। भगवान भैरव
का वाहन कुत्ता है इसलिए काल भैरव जयंती, रविवार
और मंगलवार कुत्ते
की भी पूजा की जाती है।
कहते हैं कि अगर कुत्ता काले रंग का हो तो पूजा का माहात्म्य और
बढ़ जाता है। कुछ भक्त तो उसे प्रसन्न करने के लिए दूध पिलाते हैं
और मिठाई खिलाते हैं। सवा किलो जलेबी बुधवार के दिन
भैरव नाथ को चढ़ाएं और कुत्तों को खिलाएं। घर पर आने वाले
सभी संकटों से मुक्ति पाएं।
लेकिन ये सच है कि एक काला कुत्ता आपकी किस्मत
आसानी से बदल देगा। इसके लिए बस आप काले कुत्ते
को रोज सुबह-शाम रोटी दें। कुत्ता काला होना चाहिए
लेकिन इस बात का घ्यान रखें कि उस कुत्ते के
नाखुनों की संख्या 22 या इससे
ज्यादा होनी चाहिए। इतने नाखुनों वाला कुत्ता केतु का रूप
माना जाता है।
ऐसा कुत्ता ही आपकी किस्मत बदल
सकता है।
- ऐसे कुत्ते को सुबह शाम रोटी देने से
आपका रूका हुआ पैसा वापस आने लग जाता है।
- अचानक आने वाले संकट से
भी ऐसा काला कुत्ता ही बचाता है।
- ऐसा काला कुत्ता आप पर आने वाला संकट अपने उपर ले लेता है।
- ऐसा काला कुत्ता आपकी आर्थिक तंगी दूर
कर देता है।
- पेट की बीमारियां, जोडों के दर्द और अन्य
बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है।
- प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के लिए ये
काला कुत्ता ही मददगार होता है।
- अगर आप रोज सुबह-शाम ऐसे काले कुत्ते को रोटी दे
तो जल्दी ही कर्ज से
मुक्ति भी मिल जाती है।
- बिजनेस और कार्यक्षेत्र में सफलता और उन्नति के लिए
ऐसा कुत्ता ही मददगार होता है।

वास्तु के अनुसार बेड पर सोने के नियम

वास्तु के अनुसार बेड पर सोने के नियम
1- बेड या पलंग आरामदायक होना चाहिए, परन्तु बेड के
बीचों-बीच कोई लैम्प, पंखा,इलैक्ट्रानिक
उपकरण आदि नहीं होना चाहिए।
अन्यथा शयनकर्ता का पाचन प्रायः खराब रहता है।
2- घड़ी को कभी भी सिर के
नीचे या बेड के पीछे रखकर
नहीं सोना चाहिए। घड़ी को बेड के सामने
भी नहीं लगाना चाहिए अन्यथा बेड पर सोने
वाला जातक हमेशा चिन्ताग्रस्त या तनाव में रहता है।
घड़ी को बेड के बायी या दायी ओर
ही लगाना हितकर रहता है।
3- बेड पर सादी डिजाइन तकिये व चादर रखने चाहिए न
कि रंग- बिरंगी व अधिक डिजाइन वाले हो।
4- बेड रूम में मन्दिर व पूर्वजों की तस्वीरें
न रखें।
5- बेड रूम में युद्ध वाले, डरावने और हिंसक जानवरों के चित्र
नहीं लगाने चाहिए। सादे और सुन्दर चित्र या पेंटिंग
लगाना शुभ रहता है।
6- बेड रूम में हल्के गलाबी रंग का प्रकाश होना चाहिए
जिससे पति व पत्नी में अपसी प्रेम
बना रहता है।
7- बेड रूम के दरवाजे के सामने पैर करके सोना भी अशुभ
माना गया है।
8- वास्तु के अनुसार हमेशा दक्षिण दिशा में सिर व पश्चिम दिशा में पैर
करके सोना चाहिए ताकि पृथ्वी के चुम्बकीय
क्षेत्र के अनुसार आप दीर्घायु एंव
गहरी नींद प्राप्त कर सकें।

सात बार राई वारने से नजर कैसे उतर जाती हैं

सात बार राई वारने से नजर कैसे उतर जाती हैं ?
मित्रों अक्सर हम सुनते है कि जब किसी के नजर लग
जाती है तो उसे कहते हैं
कि अपनी मुट्ठी में राई लेकर सर से सात बार
वार कर फेंक दो।
क्या राई को सात बार वार देने क्या नजर उतर सकती हैं ?
मित्रों राई शूक्ष्म, गोलाकार और कम वजन
की होती हैं, दूसरा इसमें
चुम्बकीय गुण विद्धमान होता हैं। अक्सर आप देखते
होंगे की राई को जब किसी प्लास्टिक बेग में
से निकालते हैं तो राई उस बेग के चिपक जाती हैं।
क्योकि प्लास्टिक से बार-बार घर्षण से उसमे चुम्बकीय
गुण पैदा हो जाता हैं।
अब जब इसे सात बार हमारे शरीर पर से वारा जाता हैं
तब इसका संपर्क हमारे शरीर के आभामंडल से
होता हैं, और लगातार आभामंडल से टकराने से
इसका चुम्बकीय गुण हमारे शरीर के
सातों चक्रों में फेली नकारात्मकता को सोख लेता हैं। सात
बार वारने का मतलब हमारे सूक्ष्म शरीर के
सातों चक्रों का शुद्धिकरण करना होता हैं। सात बार राई को वारने के बाद
उसे घर से कुछ दूर नाली में फेंक दिया जाता हैं।

न करने जैसी शारीरिक क्रियाएँ

न करने जैसी शारीरिक क्रियाएँ
पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके हजामत
बनवानी चाहिए। इससे आयु
की वृद्धि होती है। हजामत बनवाकर
बिना नहाये रहना आयु की हानि करने वाला है।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
हाथ-पैर के नाखून नियमित रूप से काटते रहो। नख के बढ़े हुए मत
रखो।
अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को बुधवार व शुक्रवार के अतिरिक्त
अन्य दिनों में बाल नहीं कटवाने चाहिए।
सोमवार को बाल कटवाने से
शिवभक्ति की हानि होती है। पुत्रवान
को इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए। मंगलवार को बाल
कटाना मृत्यु का कारण भी हो सकता है। बुधवार को बाल,
नख काटने-कटवाने से धन
की प्राप्ति होती है। गुरुवार को बाल कटवाने
से लक्ष्मी और मान
की हानि होती है। शुक्रवार लाभ और यश
की प्राप्ति कराने वाला है। शनिवार मृत्यु का कारण
होता है। रविवार तो सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर कराने से धन,
बुद्धि और धर्म की क्षति होती है।
मलिन दर्पण में मुँह न देखें। (महाभारत, अनुशासन पर्व)
सिर पर तेल लगानि के बाद उसी हाथ से दूसरे
अंगों का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
पुस्तकें खुली छोड़कर न जायें। उन पर पैर न रखें और
उनसे तकिये का काम न लें। धर्मग्रन्थों का विशेष आदर करते हुए
स्वयं शुद्ध, पवित्र व स्वच्छ होने पर ही उन्हें
स्पर्श करना चाहिए। उँगली मे थूक लगाकर पुस्तकों के
पृष्ठ न पलटें।
दूसरे के पहने हुए कपड़े, जूते आदि न पहनें।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
हाथ-पैर से भूमि कुरेदना, तिनके तोड़ना, बार-बार सिर पर हाथ फेरना,
बटन टटोलते रहना – ये बुरे स्वभाव के चिह्न हैं। अतः ये
सर्वथा त्याज्य हैं।
आसन को पैर से खींचकर या फटे हुए आसन पर न
बैठें।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
सत्संग से उठते समय आसन नहीं झटकना चाहिए।
ऐसा करने वाला अपने पुण्यों का नाश करता है।
जूठे मुँह पढ़ना-पढ़ाना, शयन करना, मस्तक का स्पर्श
करना कदापि उचित नहीं है।
यमराज कहते हैं- 'जो मनुष्य जूठे मुँह उठकर दौड़ता और
स्वाध्याय करता है, मैं उसकी आयु नष्ट कर देता हूँ।
उसकी सन्तानों को भी उससे छीन
लेता हूँ। जो अनध्याय के समय भी अध्ययन करता है,
उसके वैदिक ज्ञान और आयु का नाश हो जाता है।'
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
जिसके गोत्र और प्रवर अपने ही समान
हों तथा जो नाना के कुल में उत्पन्न हुई हो, जिसके कुल का पता न
हो, उसके साथ विवाह नहीं करना चाहिए।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)

इन घरेलु उपायों से केसे करें लक्ष्मी की प्राप्ति

अपनी जन्म कुंडली अनुसार जानिए
की इन घरेलु उपायों से केसे करें
लक्ष्मी की प्राप्ति ----
दान का महत्व तीनों लोक में विशिष्ट महत्व रखता है।
इसके प्रभाव से पाप-पुण्य व ग्रह के प्रभाव कम व ज्यादा होते
हैं। इसमें शुक्र और गुरु को विशेष धनप्रदाय ग्रह माना गया है।
आकाश मंडल के सभी ग्रहों का कारतत्व
पृथ्वी में पाए जाने वाले पेड़-पौधों व पशु-पक्षियों पर
पाया जाता है। गाय पर शुक्र ग्रह का विशेष प्रभाव पाया जाता है।
- गाय की सेवा भी इस श्रेणी में
विशेष महत्व रखती है। जिस घर से गाय के लिए भोजन
की पहली रोटी या प्रथम
हिस्सा जाता है
वहाँ भी लक्ष्मी को अपना निवास
करना पड़ता है।
- साथ ही घर के भोजन का कुछ भाग श्वान
को भी देना चाहिए, क्योंकि ये भगवान भैरव के गण माने
जाते हैं, इनको दिया गया भोजन आपके रोग, दरिद्रता में
कमी का संकेत देता है।
- इसी तरह पीपल के वृक्ष में गुरु का वास
माना गया है। अतः पीपल के वृक्ष में यथासंभव
पानी देना चाहिए तथा परिक्रमा करनी चाहिए।
यदि घर के पास कोई पीपल के वृक्ष के पास से गंदे
पानी का निकास स्थान हो तो इसे बंद कराना चाहिए। वृक्ष
के समीप किसी भी प्रकार
की गंदगी गुरु ग्रह के कोप का कारण बन
सकती है।
- घर के वृद्धजन भी गुरु ग्रह के कारतत्व में आते
हैं। घर के वृद्धजनों की स्थिति व उनका मान-सम्मान
भी आपकी आर्थिक
स्थिति को काफी प्रभावित करते हैं। यदि आपके घर में
वृद्धों का सम्मान होता है तो निश्चित रूप से आपके घर में
समृद्धि का वास होगा, अन्यथा इसके ठीक
विपरीत स्थिति होगी।
- व्यय भाव में अशुभ ग्रह
की स्थिति भी दरिद्रता का कारक
होती है।
- बारहवें भाव के स्वामी ग्रह का दान अवश्य
करना चाहिए, क्योंकि इससे आपके व्यय में
कमी आती है।
- जन्म पत्रिका के बारहवें भाव में जिस तरह के ग्रह हों उससे
संबंधित धन से जीवन में आने
वाली विपत्तियों से मुक्ति आती है।
- व्यय भाव में मंगल होने पर व्यक्ति को सांड को गुड़, चना या बंदर
को चना खिलाना चाहिए।
- व्यय भाव में गुरु होने पर विद्वान
व्यक्ति को शिक्षा सामग्री उपलब्ध कराना चाहिए,
यथासंभव दान करना चाहिए।
- व्यय भाव में शनि होने पर व्यक्ति को काले कीड़े
जहाँ रहते हों उस स्थान पर भुना हुआ आटा डालना चाहिए।
- व्यय भाव में सूर्य की स्थिति होने पर लाल मुँह के
बंदर को खाद्य सामग्री देना चाहिए।
- राहु की व्यय भाव में स्थिति होने पर
कोढ़ी व्यक्ति को दान देना चाहिए। गूगे-बहरे
लोगों को दिया गया दान भी फलदायक रहेगा।
- धन की व्यय भाव में स्थिति रहने पर मिट्ठू
की सेवा अथवा बकरी को पत्तियाँ वगैरह
का सेवन करवाना चाहिए।
- द्रव्य की व्यय भाव में स्थिति होने पर
गर्मी के दिनों में प्याऊ
की व्यवस्था करवाना चाहिए।
- केतु की व्यय भाव में स्थिति होने पर लंगड़े, अपंग
व्यक्ति को दान व यथासंभव सहयोग करना चाहिए।
घर की बहू-बेटियों पर भी शुक्र का कारतत्व
है। अतः व्यक्ति को नारी जाति का सम्मान कर बहन-
बेटियों की यथासंभव मदद करना चाहिए क्योंकि इनके लिए
किया गया कोई भी कार्य आपके पुण्यों में वृद्धि करता है
तथा दरिद्रता दूर करने में सहायक होता है।
अतः व्यक्ति को अपनी जन्म पत्रिका के छठे व व्यय भाव
से संबंधित
ग्रहों की जानकारी किसी विद्वान
व्यक्ति से लेकर संबंधित दान, जप, पूजन, नियमित रुप से
करना चाहिए। साथ ही अन्य
व्यक्तियों को भी इस कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए।
छठे भाव के ग्रह का दान करने से रोग, कर्ज व शत्रु नष्ट होते हैं
तथा व्यय भाव से संबंधित दान करने से विपत्तियों में
कमी आती है। यदि शत्रु, रोग, कर्ज व
विपत्ति कम होगी तो निश्चित रुप से धन व
समृद्धि बढ़ेगी ही। अतः इस सरल दान, जप
को करने से प्रत्येक घर में सुख-समृद्धि व
लक्ष्मी का वास होता है।

महालक्ष्मी सिद्ध उपाय

महालक्ष्मी सिद्ध उपाय।-*-*-
1. क्या भरसक मेहनत करने पर
भी दरिद्रता पीछा नही छोड़ती।
2. क्या व्यापार में निरंतर घाटा हो रहा है।
3. क्या परिवार में सास-बहु में वैचारिक मतभेद यदि बढ़ रहा है।
4 क्या पति-पत्नी में रोज कलेश रहता है।
-*-*-*-*(श्री सूक्त के मंत्रों में
छिपा मां लक्ष्मी का वैभव.)-*-*-*-
(मंत्र)
ऊँ कां सोस्मितां हिरण्य प्राकाराम्
आर्द्रां ज्वलती तृप्तां तर्पयंतीम्।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णा
तामिहोपह्रये श्रियम्।।4।।
(अर्थात )
जिस देवी के स्वरूप का शब्दों से वर्णन
नहीं किया जा सकता है, जो मंद-मंद
मुस्कुराती हैं। जिनके श्री अंगों में परकोटे के
समान स्वर्ण का श्रृंगार हैं, जिनके
श्री अंगों की आभा तेजोमयी है,
हृदय से दयामयी है, आर्द्र करने
वाली हैं। ऐसी कमल जैसे वर्ण
वाली कमल पर विराजमान
मां लक्ष्मी को अपने पास बुलाता हूं।
(सामग्री)
1 लक्ष्मी यंत्र (स्वर्ण या चांदी का)
2 चावल (1-25 किलो)
3 देसी घी का दीपक, प्लेट।
4 मूंगे की माला, लाल रेशम का कपड़ा।
5 कमल की फूल (चार)।
(विधि)
सोमवार, बुधवार या शुक्रवार के दिन या अन्य गुरु-पुण्य आदि शुभ
मुहूर्त में प्रात: स्नान कर
देसी घी का दीपक जलाकर पूर्व
या उत्तर दिशा की ओर मुख करके
थाली या प्लेट में 1-25 किलो चावल लें। चावल के ऊपर
चार कमल के फूल प्रतिष्ठित करें। फूलों के ऊपर
लक्ष्मी यंत्र श्रद्धा से रखें। मूंगे
की माला से ऊपरोक्त मंत्र का एक माला जाप रोज करें।
कमल के फूल व चावल एक स्थान पर एकत्रित करते रहे सातवें दिन
पानी में बहा दे। यंत्र को रोज धूप-बत्ती से
धूपित करें। जाप के बाद दायें हाथ में जल लेकर मां को जाप अर्पण
करे। कातर भाव से मां से प्रार्थना करें कि हे मां मेरे घर में
भी निवास करो। सास-बहु में प्रेम वृद्धि करो। भावना में
बहुत शक्ति होती है।
सातवें दिन के अंदर ही अनुकूल प्रभाव दिखाई देने
लगता है। चार महीने लगातार यह प्रयोग करन से
मनोकामना निश्चित ही पूर्ण होती है।

Thursday, October 30, 2014

तुलसी पौधा लगाने का सरल उपाय

तुलसी पौधा लगाने का सरल उपाय-
तुलसी पौधा लगाने के लिए वैसे तो शास्त्रों में आषाढ़ व
ज्येष्ठ माह का खास महत्व बताया गया है, किंतु अन्य दिनों में
किसी भी पवित्र तिथि खास तौर पर पूर्णिमा व
एकादशी तिथि को भी यह उपाय कर सकते
हैं। इसके लिए स्नान के बाद किसी भी देव
मंदिर या जिस घर मे नित्य
तुलसी पूजा होती हो, से
तुलसी का छोटा-सा पौधा लेकर आएं।
घर के आंगन या किसी पवित्र जगह को गंगाजल से
पवित्र कर तीर्थ की पवित्र
मिट्टी से भरे गमले में उस पौधे को रोपें।
तुलसी के पौधे को जल, गंध, इत्र, फूल, दूर्वा, फल
अर्पित करते हुए
पीली मौली या वस्त्र अर्पित
करें। मिठाई का भोग लगाएं।
मां लक्ष्मी स्वरूपा तुलसी की पूजा के
बाद किसी सुहागिन स्त्री से
ही तुलसी के चारों ओर दूध व जल
की धारा अर्पित करवाकर नीचे लिखे वेद व
पुराण मंत्रों का ध्यान करें-
पहले भगवान विष्णु का ध्यान कर तुलसी मंत्र बोलें-
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।
नमो मोक्षप्रदे देवि नम: सम्पत्प्रदायिके।।
फिर मां लक्ष्मी का ध्यान कर
लक्ष्मी कृपा की कामना करते हुए यह
मंत्र बोलें-
श्रीश्चते लक्ष्मीश्चपत्न्यावहोरात्रे पारश्वे
नक्षत्राणिरूप मश्विनौव्यात्तम्।
इष्णन्निषाणामुम्म इषाण सर्वलोकम्म इषाण।
मंत्र स्मरण के बाद तुलसी की धूप,
दीप व कर्पूर आरती करें व प्रसाद ग्रहण
करें।

दुःख निवारण तन्त्र के उपाए

दुःख निवारण तन्त्र के उपाए
यदि आपके परिवार में हमेशा कलह रहता हो पारिवारिक सदस्य सुख
शांति से न रहते हो तो शनिवार के दिन सुबह काले कपड़े में जटा वाले
नारियल को लपेटकर उस पर काजल की 21
बिंदी लगा लें। और घर के बाहर लटका दें। हमेशा घर
बुरी नजर से बच कर रहेगा और हमेशा सुख-
शांति रहेगी।
कार्य सफलता के लिए
किसी भी शुभ कार्य के लिए घर से बाहर
निकलने से पूर्व दही में गुड़
या चीनी मिलाकर सेवन करके बाहर निकलने
से कार्य में सफलता मिलती है। साथ ही घर
से बाहर निकलते समय अपने पास कुछ धन राशि रख दें इस धन
राशि से किसी जरूरत मंद व्यक्ति को खाने
की चींज देकर निकल जाएं कार्य सफलता मिल
जाएगी।
यदि जातक के अपने कर्म ठीक है, कार्य व्यवसाय में
वह ईमानदारी से परिश्रम करता हो, उसके बावजूद
भी कार्य में सफलता नहीं मिल
रही हो अथवा घर में शांति नहीं हो तो इस
प्रयोग से अवश्य शांति मिलेगी। प्रतिदिन स्नान के जल में
एक आम का पत्ता, एक पीपल का पत्ता, दुर्वा-11,
तुलसी का एक पत्ता और एक बिल्व पत्र डालकर
मृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए स्नान करें
तो सभी प्रकार के ग्रह पीड़ा व कष्टों से
मुक्ति मिलेगी। मंत्र इस प्रकार है।-
ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधि पुष्टिवर्धनं ऊर्व्वारुकमिव
वंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मां मृतात्।
भगवान दत्तात्रोय को ब्रह्मा-विष्णु-महेष
की शक्तियों का संयोग कहा जाता है। अत: दत्ताात्रोय
जी की साधना गूलर के पेड़ के
नीचे बैठकर करने से शीघ्र
फलदायी होती है। उत्तार पूर्व
की ओर मुख करके 'ओम द्रां दत्तात्रोय नम:'
मंत्रों का 21 दिन निरंतर 21 माला जप करने से बहुत लाभ मिलता है।
पूजा में श्वेत चंदन, पुष्प और केवड़े के इत्रा का प्रयोग
करना चाहिए।
अक्षय
तृतीया या किसी भी शुक्रवार
की रात्रि को कांसे या पीतल
की थाली में काजल लगाकर
काली कर दें और फिर
चांदी की शलाका से
लक्ष्मी का चित्र बनाएं चाहे वह
कैसा भी बने, फिर चित्र के ऊपर ऐष्वर्य
लक्ष्मी यंत्र स्थापित कर दें और एक निष्ठ होकर,
मात्र एक सफेद धोती ही पहनकर, उत्तार
दिषा की ओर मुंह कर, सामने गेहूं के आटे के चार
दीपक बनाए और उसमें
किसी भी प्रकार का तेल भरकर प्रज्जवलित
करें और थाली के चारों कोनों पर रखे
मूंगों की माला से निम्न मंत्र का एक रात्रि में 51 माला मंत्र
जप करें।
ओउम्ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं फट्॥
जब मंत्र पूरा हो जाए तो रात्रि में वहीं विश्राम करें और
जमीन पर ही सो जाएं।
अगर आप कर्ज से परेषान है तो सफेद रुमाल लें। पांच गुलाब के
फूल, एक चांदी का पत्ता, थोड़े से चावल, गुड़ लें। मंदिर में
जाकर रुमाल को रखकर इन चीजों को हाथ में ले लें और
21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करें। इनको इकठ्ठा कर
कहें मेरी परेषानी दूर हो जाएं
तथा मेरा कर्जा उतर जाए। फिर इन सबको ले जाकर बहते जल में
प्रवाह कर दें। यह प्रक्रिया सोमवार को करनी चाहिए।
अगर इसे विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति के सामने
किया जाए तो और भी अच्छा होता है। इसे कम से कम 7
सोमवार करना चाहिए।
बचत के लिये
आप अनावश्यक खर्चें से परेशान है, आपके हाथ से न चाहते
हुये भी खर्चा अधिक हो जाता हो तो यह प्रयोग
आपके लिये बहुत ही लाभदायक रहेगा।
किसी भी माह के पहले सोमवार को 11
गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग लें।
पीलेवस्त्र में रख कर अपने पूजा स्थान में रख दें।
श्रद्धापूर्वक पंचोपचार पूजन करें। धूप, दीप, नैवेद्य,
फूल, अक्षत अर्पित करें। तत्पश्चात ॐ
श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्मयै:
नम:। 11 माला जाप करें। ऐसा 7 दिन नियमित रूप से पूजन और जाप
करें। पुन: दूसरे सोमवार को श्रद्धापूर्वक पूजन और जाप के उपरांत
उसमें से 4 गोमती चक्र, 4 कौड़ी, 4 लौंग घर
के चारों कोनों में गड्डा खोदर कर डाल दें। शेष बचें 5
गोमती चक्र, 5 कौड़ी, 5 लौंग को लाल वस्त्र
में बांधकर अपनी तिजारी में रख दें। और
दो गोमती चक्र, दो कौड़ी और दो लोंग
को श्रद्धापूर्वक किसी भी भगवान के मंदिर में
अर्पित कर दें। मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी।
स्वास्थ्य के लिये
यदि आपका बच्चा बहुत जल्दी-
जल्दी बीमार पड़ रहा हो और आप को लग
रहा कि दवा काम नहीं कर रही है,
डाक्टर बीमारी खोज
नहीं पा रहे है। तो यह उपाय शुक्ल पक्ष
की अष्टमी को करना चाहिये। आठ
गोतमी चक्र ले और अपने पूजा स्थान में मां दुर्गा के
श्रीविग्रह के सामने लाल रेशमी वस्त्र पर
स्थान दें। मां भगवती का ध्यान करते हुये कुंकुम से
गोमती चक्र पर तिलक करें। धूपबत्ती और
दीपक प्रावलित करें।
धूपबत्ती की भभूत से
भी गोमती चक्र को तिलक करें। ॐ
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
की 11 माला जाप करें। जाप के उपरांत लाल कपड़े में 3
गोमती चक्र बांधकर ताबीज का रूप देकर धूप,
दीप दिखाकर बच्चे के गले में डाल दें। शेष पांच
गोमती चक्र पीले वस्त्र में बांधकर बच्चे के
ऊपर से 11 बार उसार कर के किसी विराने स्थान में