Saturday, October 18, 2014

धनतेरस से लाकर भाई दूज तक

१)धनतेरस से लाकर भाई दूज तक जो कुछ भी दान
किया जाता है वो सब अक्षय हो जाता है
२)धनतेरस की संध्या के समय जो इस मंत्र से अपने
घर के दरवाज़े पर दीप जलाते है उन व्यक्तियों को अप
मृत्यु होने पर भी यमलोक नहीं ले
जाया जाता
मृत्युना पाश दण्डाभ्यां कालेन च मया सह....त्रयोदश्यां
दीपदानात सूर्यजः प्रीयतामिति....[अर्थ----
त्रयोदशी को दीपदान करनेसे मृत्यु, पाश .दंड
काल और लक्ष्मी के साथ सुर्यनंदन यम प्रसन्न हों ]
३)जो नरक चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान
करता है वो यमलोक नहीं देखता ....नरक भय के नाश
हेतु .स्नान करते वक़्त चिचिडा(अपामार्ग)
की लकड़ी को मस्तक पर घुमाना चाहिए
स्नान के बाद १४ यमो का तर्पणं किया जाता है इन् मन्त्रों से १)यमाय
नमः ...२)धर्मराजाय नमः ३)मृत्यवे नमः ४)चान्तकाय
नमः ५)वैवस्वताय नमः ६)कालाय नमः ७)सर्व भूतक्षयाय
नमः ८)औदुम्बराय नमः ९)दघ्नाय नमः १०)नीलाय
नमः ११)परमेष्ठिने नमः १२)वृकोदराय नमः १३)चित्राय
नमः १४)चित्रगुप्ताय नमः{एक बड़े बर्तन में
तिली मिला जल
लेकर ...दोनों हाथों की अंजलि में इस जल को लेकर
ऊपर दिए प्रत्येक मंत्र को ३ बार बोलकर जल
को किसी गमले में डालते जाएँ(14x3=42 बार ऐसा करें )
४)नरक चौदस को रूप चौदस भी कहतें है इसलिए इस
दिन गाय के शुद्ध घी से काजल बंनाना चाहिए
जो की बहुत फायदेमंद होता है आँखों के
लिए .........इस दिन शाम को चार मुख वाले दिए से
यानी चार बाती हों वो दिया उस दिए से
दीप दान करें ......मंत्र है ---------
दत्तो दीप चतुर दशयाम नरक प्रीतये
मया चतुर वर्ती समायुक्तः सर्व पापापनुत्तये
५) दीवाली में घरों में आम के पत्तों के बंदन
वारे लगा ने चाहिए ये स्वस्थ के लिए लाभकारी है
६)पिसे चवाल में गंगाजल और हल्दी मिलकर दरवाजों के
दोनों तरफ स्वस्तिक बनाना चाहिए(खासकर बाहर के दरवाज़े पर )
इससे सात्विक उर्जा बढती है(स्वस्तिक को एकदम
सही बनायें जैसे आश्रम की पुस्तक में
होता है गलत बनाने से सब उल्टा हो जाएगा )
७)दीपवाली में
लक्ष्मी माता का आसन का एक
तरीका होता है ........एक बड़े पटे में right side
लाल aur left side सफ़ेद कपडा बिछाएं ....लाल आसन में गेहूं से
स्वस्तिक बनायें और सफ़ेद आसन पर चावल से अस्ट दल कमल
बनायें .......स्वस्तिक के बीच में दूर्वा रखके उस्सपर
गणपति को बिठाएं .....अस्ट दल .कमल में
माता लक्ष्मी को बिठाएं .....और लाल और सफ़ेद कपडे
के बीच में फूल रखकर उन् फूल पर गुरुदेव को आसन
दें ....
सफ़ेद आसन पर
माता सरस्वती को भी बिठा सकते हैं
माता लक्ष्मी के साथ एक कलश रखा जाता है -----
जल से भरे हुए ताम्बे के कलश में मौली बंधकर उस
पर पीपल के पांच पत्ते रखें ...उन् पत्तों पर नारियल
रखें ...फिर उसे चारों तरफ से तिलक लगाकर भूमि पर कुमकुम से
स्वस्तिक बनाकर ...उस स्वस्तिक के बीच में रखें और
सभी नदियों के जल का उसमे आवाहन करें (इस में
सबसे important hai ki sabhi saturday 18 oct ko hi
peepal ke paanch patte tod len kyunki saturday ko
peepal ko touch karte hain baaki dino par karne
se paap hota hai aur garibi aati hai )
दीवाली के दुसरे दिन पैसे
नहीं खर्च करने चाहिए ये वर्ष का पहला दिन
होता है इसलिए ऐसा करने से बचें ....और इस दिन सुबह उठकर
सबसे पहले इश्वर और गुरु के दर्शन ही करें
क्यूंकि वर्ष के पहले दिन शुभ देखा जाता है....
इन् नियमो से घर में बहुत सात्विक
उर्जा आती है ......आप अनुभव करके
देखिये .

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