ग्रहण - 08 -अक्टूबर -2014
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प्रिय मित्रों,
साधना - जप - पूजा पाठ करने वाले साधक - साधिकाओं
को ग्रहण जैसे तीक्ष्ण मुहूर्त
का बेसब्री से
प्रतीक्षा रहती है ताकि वो ऐसे
तीक्ष्ण मुहूर्त का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सके और
अपने जीवन की ज्वलन्त समस्याओ
का निवारण कर सके ! तो भाईओ- बहनो बस 08 अक्टूबर
को आप
की प्रतीक्षा की घडी समाप्त
होती है क्यों की इस दिन आप
को लगभग 03 घंटे 21 मिनट तक का ग्रहण काल मिलेगा ,लेकिन
इस ग्रहण का समय कुछ ऐसा है
की नौकरी - पेशा वाले लोग इस ग्रहण
में कुछ करने से अछूते रह सकते है फिर
भी प्रयास करे शायद कुछ बात बन जाय !
ग्रहण का समय - 08 अक्टूबर को चन्द्र ग्रहण का आरम्भ
दिन 02 बजकर 45 मिनट से सायं 06 बजकर 05 मिनट तक
रहेगा !
कृपया ध्यान दे - यह चन्द्र ग्रहण सम्पूर्ण भारत में दृश्य
नहीं है ! पश्चिमी भारत के जिन
छेत्रों में इस दिन चंद्रोदय सायं 06 :05 के पश्चात है ,
वहाँ इसे नहीं देखा जा सकेगा !
भारत के किन नगरों में यह ग्रहण दृश्य नहीं है
= जयपुर , जम्मू , कन्याकुमारी ,
गांधीनगर , पूना , अजमेर , अमृतसर ,
अहमदाबाद ,उज्जैन , गोवा , जोधपुर , नासिक , मुंबई , सूरत ,
मैसूर , मैंगलोर , मुक्तसर , भटिंडा , बैंगलुरु, बड़ौदा, फिरोज़पुर ,
राजकोट , सिरसा ( हरि. ) शाजापुर (म.प्र.)
ग्रहण का सूतक
******************* जिन स्थानों पर ग्रहण
को देखा जा सकेगा , उन स्थानों पर चन्द्र ग्रहण का सूतक काल
सूर्योदय से आरम्भ होगा ! जिन स्थानों पर यह ग्रहण दिखाई
नहीं देगा , उन स्थानों पर सूतक को मानने
की आवश्यकता नहीं है !
कहाँ यह ग्रहण दृश्य है
***************************
मित्रों इसकी सूचि तो बहुत बड़ी है फिर
भी कुछ प्रसिद्ध नगरों के नाम यहाँ देने का प्रयास
कर रहा हु जहां यह चन्द्र ग्रहण देखा जा सकेगा -
लखनऊ , वाराणसी , झाँसी ,
दिल्ली , गुवाहटी , आगरा , गुड़गांव ,
नागपुर , पटना , भोपाल , पंचकूला, पानीपत ,
गोरखपुर , कोलकाता , चंडीगढ़ , ग्वालियर ,
इलाहाबाद , गाजियाबाद , देहरादून , नोएडा , मथुरा ,
राँची, रायपुर (३६ ) रायगढ़ (३६ ) ,हरिद्द्वार ,
हैदराबाद , होशियारपुर ,लुधियाना , सहारनपुर , यमुनानगर ,
मोहाली, रिवाड़ी, सुन्दरनगर, जबलपुर
(म.प्र ) ,चेन्नई, कानपुर , कुरुछेत्र , खन्ना ( पंज) ,
कसौली , ऋषिकेश , भुवनेश्वर आदि नगरों में यह
ग्रहण दृश्य है !
शरद पूर्णिमा ( कोजागर व्रत ) कब ?
********************* ********************
मित्रों यह व्रत प्रदोष और निशीथ - दोनों में होने
वाली पूर्णिमा के दिन किया जाता है ! यदि पहले दिन
निशीथव्यापिनी हो और दूसरे दिन
प्रदोषव्यापिनी न हो तो पहले दिन व्रत
करना चाहिए ! चुकी 08 अक्टूबर को पूर्णिमा प्रदोष
एवं निशीथ काल दोनों के समय स्पर्श
नहीं कर रही इस लिए शरद
पूर्णिमा का व्रत 07 अक्टूबर को होगा , इस दिन व्रत रखकर
भगवान लक्ष्मी - नारायण का पूजन करके
तथा रात्रि के समय गाय के दूध की खीर
में घी और शक्कर मिलाकर अर्धरात्रि के समय
भगवान को अर्पण करे ! फिर अगले दिन इसका सेवन करने से
मानसिक एवं अनेक
रोगो की शान्ति होती है !
शरद पूर्णिमा पर बनाकर खाएं आयुर्वेदिक खीर
बीमारियां पास नहीं आएंगी !
शारदीय नवरात्र के बाद आने वाले शरद पूर्णिमा के
धार्मिक महत्व से तो हम सभी परिचित
ही होंगे,इसे को जागृति पूर्णिमा या कुमार पूर्णिमा के
नाम से भी जाना जाता है। यह चन्द्रमा के पूर्ण बल
से युक्त होने का त्यौहार है।
इस रात चांद की रौशनी को अमृत वर्षा के
समान गुणों से युक्त माना जाता है।
आज हम आपको इस रात के सेहत से जुड़े महत्व को स्पष्ट
करने जा रहे हैं।
आपने शरद पूर्णिमा की रात अक्सर
खीर खाने के महत्व को सुना होगा ,आप जानते
होंगे की शरद ऋतु के प्रारम्भ में दिन थोड़े गर्म और
रातें शीतल हो जाया करती हैं।
इस ऋतु में पित्त की शरीर में
वृद्धि हो जाती है जिस कारण से लोगों को पेट के रोग
बढ़ जाते है ।आयुर्वेद अनुसार यह पित्त दोष के प्रकोप
का काल माना जाता है और मधुर तिक्त कषाय रस पित्त दोष
का शमन करते हैं।
शरद पूर्णिमा को गाय के दूध में दशमूल
क्वाथ,सौंठ,काली मिर्च ,वासा,अर्जुन
की छाल चूर्ण,तालिश पत्र चूर्ण,वंशलोचन,ब
ड़ी इलायची,पिप्पली इन
सबको आवश्यक मात्रा में मिश्री मिलाकर पकाएं और
खीर बना लें। खीर में ऊपर से शहद
और तुलसी पत्र मिला दें !
अब इस खीर को तांबे के साफ बर्तन में रातभर
पूर्णिमा की चाँदनी रात में खुले आसमान
के नीचे ऊपर से जालीनुमा ढक्कन से
ढक कर छोड़ दें ,पेट के रोगों से पीड़ित रोगियों के लिए
यह खीर अमृत तुल्य काम करती है
यह खीर दमे के रोगियों के लिए
भी वरदान साबित होती है ।
दमे से पीड़ित रोगी को रात्रि जागरण कराएं
रोगी को प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे
प्रात:) सेवन कराएं। इससे रोगी को सांस और कफ
दोष के कारण होनेवाली तकलीफों में
काफी लाभ मिलता है। रात्रि जागरण के महत्व के
कारण ही इसे
को जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है ,इसका एक
कारण रात्रि में स्वाभाविक कफ के प्रकोप को जागरण से कम
करना है।
इस खीर को डायबिटीज से
पीडि़त रोगी भी ले सकते
हैं, बस इसमें मिश्री की जगह
प्राकृतिक स्वीटनर
स्टीविया की पत्तियों को मिला दें।
उक्त खीर को स्वस्थ व्यक्ति भी सेवन
कर सकते हैं ,बल्कि इस पूरे महीने मात्रा अनुसार
सेवन करने से उध्र्वजत्रुगत (ई.एन.टी.) से
सम्बंधित समस्याओं जैसे sinusitis आदि में
भी लाभ मिलता है। कई आयुर्वेदिक चिकित्सक शरद
पूर्णिमा की रात दमे के रोगियों को रात्रि जागरण के साथ
कर्णवेधन भी करते हैं ,जो वैज्ञानिक रूप सांस के
अवरोध को दूर करता है, तो बस शरद पूर्णिमा को पूनम
की चांदनी का सेहत के परिप्रेक्ष्य में
पूरा लाभ उठाएं। -
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प्रिय मित्रों,
साधना - जप - पूजा पाठ करने वाले साधक - साधिकाओं
को ग्रहण जैसे तीक्ष्ण मुहूर्त
का बेसब्री से
प्रतीक्षा रहती है ताकि वो ऐसे
तीक्ष्ण मुहूर्त का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सके और
अपने जीवन की ज्वलन्त समस्याओ
का निवारण कर सके ! तो भाईओ- बहनो बस 08 अक्टूबर
को आप
की प्रतीक्षा की घडी समाप्त
होती है क्यों की इस दिन आप
को लगभग 03 घंटे 21 मिनट तक का ग्रहण काल मिलेगा ,लेकिन
इस ग्रहण का समय कुछ ऐसा है
की नौकरी - पेशा वाले लोग इस ग्रहण
में कुछ करने से अछूते रह सकते है फिर
भी प्रयास करे शायद कुछ बात बन जाय !
ग्रहण का समय - 08 अक्टूबर को चन्द्र ग्रहण का आरम्भ
दिन 02 बजकर 45 मिनट से सायं 06 बजकर 05 मिनट तक
रहेगा !
कृपया ध्यान दे - यह चन्द्र ग्रहण सम्पूर्ण भारत में दृश्य
नहीं है ! पश्चिमी भारत के जिन
छेत्रों में इस दिन चंद्रोदय सायं 06 :05 के पश्चात है ,
वहाँ इसे नहीं देखा जा सकेगा !
भारत के किन नगरों में यह ग्रहण दृश्य नहीं है
= जयपुर , जम्मू , कन्याकुमारी ,
गांधीनगर , पूना , अजमेर , अमृतसर ,
अहमदाबाद ,उज्जैन , गोवा , जोधपुर , नासिक , मुंबई , सूरत ,
मैसूर , मैंगलोर , मुक्तसर , भटिंडा , बैंगलुरु, बड़ौदा, फिरोज़पुर ,
राजकोट , सिरसा ( हरि. ) शाजापुर (म.प्र.)
ग्रहण का सूतक
******************* जिन स्थानों पर ग्रहण
को देखा जा सकेगा , उन स्थानों पर चन्द्र ग्रहण का सूतक काल
सूर्योदय से आरम्भ होगा ! जिन स्थानों पर यह ग्रहण दिखाई
नहीं देगा , उन स्थानों पर सूतक को मानने
की आवश्यकता नहीं है !
कहाँ यह ग्रहण दृश्य है
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मित्रों इसकी सूचि तो बहुत बड़ी है फिर
भी कुछ प्रसिद्ध नगरों के नाम यहाँ देने का प्रयास
कर रहा हु जहां यह चन्द्र ग्रहण देखा जा सकेगा -
लखनऊ , वाराणसी , झाँसी ,
दिल्ली , गुवाहटी , आगरा , गुड़गांव ,
नागपुर , पटना , भोपाल , पंचकूला, पानीपत ,
गोरखपुर , कोलकाता , चंडीगढ़ , ग्वालियर ,
इलाहाबाद , गाजियाबाद , देहरादून , नोएडा , मथुरा ,
राँची, रायपुर (३६ ) रायगढ़ (३६ ) ,हरिद्द्वार ,
हैदराबाद , होशियारपुर ,लुधियाना , सहारनपुर , यमुनानगर ,
मोहाली, रिवाड़ी, सुन्दरनगर, जबलपुर
(म.प्र ) ,चेन्नई, कानपुर , कुरुछेत्र , खन्ना ( पंज) ,
कसौली , ऋषिकेश , भुवनेश्वर आदि नगरों में यह
ग्रहण दृश्य है !
शरद पूर्णिमा ( कोजागर व्रत ) कब ?
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मित्रों यह व्रत प्रदोष और निशीथ - दोनों में होने
वाली पूर्णिमा के दिन किया जाता है ! यदि पहले दिन
निशीथव्यापिनी हो और दूसरे दिन
प्रदोषव्यापिनी न हो तो पहले दिन व्रत
करना चाहिए ! चुकी 08 अक्टूबर को पूर्णिमा प्रदोष
एवं निशीथ काल दोनों के समय स्पर्श
नहीं कर रही इस लिए शरद
पूर्णिमा का व्रत 07 अक्टूबर को होगा , इस दिन व्रत रखकर
भगवान लक्ष्मी - नारायण का पूजन करके
तथा रात्रि के समय गाय के दूध की खीर
में घी और शक्कर मिलाकर अर्धरात्रि के समय
भगवान को अर्पण करे ! फिर अगले दिन इसका सेवन करने से
मानसिक एवं अनेक
रोगो की शान्ति होती है !
शरद पूर्णिमा पर बनाकर खाएं आयुर्वेदिक खीर
बीमारियां पास नहीं आएंगी !
शारदीय नवरात्र के बाद आने वाले शरद पूर्णिमा के
धार्मिक महत्व से तो हम सभी परिचित
ही होंगे,इसे को जागृति पूर्णिमा या कुमार पूर्णिमा के
नाम से भी जाना जाता है। यह चन्द्रमा के पूर्ण बल
से युक्त होने का त्यौहार है।
इस रात चांद की रौशनी को अमृत वर्षा के
समान गुणों से युक्त माना जाता है।
आज हम आपको इस रात के सेहत से जुड़े महत्व को स्पष्ट
करने जा रहे हैं।
आपने शरद पूर्णिमा की रात अक्सर
खीर खाने के महत्व को सुना होगा ,आप जानते
होंगे की शरद ऋतु के प्रारम्भ में दिन थोड़े गर्म और
रातें शीतल हो जाया करती हैं।
इस ऋतु में पित्त की शरीर में
वृद्धि हो जाती है जिस कारण से लोगों को पेट के रोग
बढ़ जाते है ।आयुर्वेद अनुसार यह पित्त दोष के प्रकोप
का काल माना जाता है और मधुर तिक्त कषाय रस पित्त दोष
का शमन करते हैं।
शरद पूर्णिमा को गाय के दूध में दशमूल
क्वाथ,सौंठ,काली मिर्च ,वासा,अर्जुन
की छाल चूर्ण,तालिश पत्र चूर्ण,वंशलोचन,ब
ड़ी इलायची,पिप्पली इन
सबको आवश्यक मात्रा में मिश्री मिलाकर पकाएं और
खीर बना लें। खीर में ऊपर से शहद
और तुलसी पत्र मिला दें !
अब इस खीर को तांबे के साफ बर्तन में रातभर
पूर्णिमा की चाँदनी रात में खुले आसमान
के नीचे ऊपर से जालीनुमा ढक्कन से
ढक कर छोड़ दें ,पेट के रोगों से पीड़ित रोगियों के लिए
यह खीर अमृत तुल्य काम करती है
यह खीर दमे के रोगियों के लिए
भी वरदान साबित होती है ।
दमे से पीड़ित रोगी को रात्रि जागरण कराएं
रोगी को प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे
प्रात:) सेवन कराएं। इससे रोगी को सांस और कफ
दोष के कारण होनेवाली तकलीफों में
काफी लाभ मिलता है। रात्रि जागरण के महत्व के
कारण ही इसे
को जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है ,इसका एक
कारण रात्रि में स्वाभाविक कफ के प्रकोप को जागरण से कम
करना है।
इस खीर को डायबिटीज से
पीडि़त रोगी भी ले सकते
हैं, बस इसमें मिश्री की जगह
प्राकृतिक स्वीटनर
स्टीविया की पत्तियों को मिला दें।
उक्त खीर को स्वस्थ व्यक्ति भी सेवन
कर सकते हैं ,बल्कि इस पूरे महीने मात्रा अनुसार
सेवन करने से उध्र्वजत्रुगत (ई.एन.टी.) से
सम्बंधित समस्याओं जैसे sinusitis आदि में
भी लाभ मिलता है। कई आयुर्वेदिक चिकित्सक शरद
पूर्णिमा की रात दमे के रोगियों को रात्रि जागरण के साथ
कर्णवेधन भी करते हैं ,जो वैज्ञानिक रूप सांस के
अवरोध को दूर करता है, तो बस शरद पूर्णिमा को पूनम
की चांदनी का सेहत के परिप्रेक्ष्य में
पूरा लाभ उठाएं। -
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