हिंदू धर्म में सप्ताह के सातों दिन में अलग-अलग देवताओं के
पूजन का विधान बताया गया है जिनसे मनचाहे फल
की प्राप्ति संभव है। शिवमहापुराण में इस संदर्भ में
विस्तृत वर्णन मिलता है। उसके अनुसार-
रविवार को सूर्य की पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन
कराएं। ऐसा करने से समस्त प्रकार के शारीरिक रोगों से
मुक्ति मिलती है।
सम्पत्ति प्राप्ति के लिए सोमवार
को लक्ष्मी की पूजा करें
तथा ब्राह्मणों को सपत्नीक घी से
पका हुआ भोजन कराएं।
मंगलवार को रोगों की शांति के लिए
काली मां की पूजा करें तथा उड़द, मूंग एवं
अरहर की दाल आदि अन्नों से युक्त भोजन ब्राह्मण
को कराएं।
बुधवार को दही युक्त अन्न से भगवान विष्णु का पूजन
करें। ऐसा करने से पुत्र सुख मिलता है।
जो दीर्घायु होने की इच्छा रखता है वह
गुरुवार को वस्त्र, यज्ञोपवीत
तथा घी मिश्रित खीर से देवताओं का पूजन
करें।
समस्त प्रकार के भोगों की प्राप्ति के लिए शुक्रवार
को एकाग्रचित्त होकर देवताओं का पूजन करें तथा यथासंभव
ब्राह्मणों को अन्न दे।
शनिवार अकाल मृत्यु का निवारण करने वाला है। इस दिन भगवान रुद्र
की पूजा करें तथा तिल से होम से, दान से देवताओं
को संतुष्ट करके ब्राह्मणों को तिलमिश्रित भोजन कराएं।
शिवमहापुराण में उल्लेख है कि इस प्रकार नित्य विभिन्न देवताओं
का पूजन करने से शिव ही उन देवताओं को रूप में पूजित
होते हैं तथा मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
पूजन का विधान बताया गया है जिनसे मनचाहे फल
की प्राप्ति संभव है। शिवमहापुराण में इस संदर्भ में
विस्तृत वर्णन मिलता है। उसके अनुसार-
रविवार को सूर्य की पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन
कराएं। ऐसा करने से समस्त प्रकार के शारीरिक रोगों से
मुक्ति मिलती है।
सम्पत्ति प्राप्ति के लिए सोमवार
को लक्ष्मी की पूजा करें
तथा ब्राह्मणों को सपत्नीक घी से
पका हुआ भोजन कराएं।
मंगलवार को रोगों की शांति के लिए
काली मां की पूजा करें तथा उड़द, मूंग एवं
अरहर की दाल आदि अन्नों से युक्त भोजन ब्राह्मण
को कराएं।
बुधवार को दही युक्त अन्न से भगवान विष्णु का पूजन
करें। ऐसा करने से पुत्र सुख मिलता है।
जो दीर्घायु होने की इच्छा रखता है वह
गुरुवार को वस्त्र, यज्ञोपवीत
तथा घी मिश्रित खीर से देवताओं का पूजन
करें।
समस्त प्रकार के भोगों की प्राप्ति के लिए शुक्रवार
को एकाग्रचित्त होकर देवताओं का पूजन करें तथा यथासंभव
ब्राह्मणों को अन्न दे।
शनिवार अकाल मृत्यु का निवारण करने वाला है। इस दिन भगवान रुद्र
की पूजा करें तथा तिल से होम से, दान से देवताओं
को संतुष्ट करके ब्राह्मणों को तिलमिश्रित भोजन कराएं।
शिवमहापुराण में उल्लेख है कि इस प्रकार नित्य विभिन्न देवताओं
का पूजन करने से शिव ही उन देवताओं को रूप में पूजित
होते हैं तथा मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
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