कुंडली के मन्दे योग
१. कालसर्प दोष जब कुण्डली मे सारे ग्रह राहु और
केतु के मध्य मे आ जाते हैं तब काल सर्प दोष का निर्माण होता है
और कुण्डली को दूषित माना जाता है। अगर इन दोनो के
मध्य से एक ग्रह बाहर भी निकल जाए तब
भी आशिक काल सर्प दोष माना जाता है। काल सर्प दोष
के प्रभाव आपके जीवन मे बार-२ रूकावट डालते हैं।
किसी भी कार्य को करने में
परेशानी आती है बिना अड़चन के कोई
भी काम पूरा नहीं होता। मान्सिक तनाव
रहता है, आतमविश्वश मे
कमी रहती है, शरीर मे
परेशानी, धन की कमी, व्यापार
नौकरी मे लाभ की कमी, घर
परिवार में मन मुटाव रहता है। किसी से
भी मन वांछित सहयोग नहीं मिलता।
२. गुरू चाण्डाल योग - यह योग बहुत
ही बुरा करता है। जब
किसी की कुण्डली मंे
वृहस्पति और राहु एक साथ बैठते हैं तो गुरू चाण्डाल योग
कहा जाता है इसके दुषप्रभाव इस प्रकार है :-
बच्चो की पढ़ाई लिखाई अधूरी रह जाना,
उनके संस्कार नष्ट हो जाना, घर की सुख समृद्धि नष्ट
हो जाना, रूपये पैसा की फालतू में बर्बादी,
दादा-पोता मे दूरी चाहे
किसी भी कारण दादा-पोते मे प्रेम उत्पन्न
नहीं हो सकता अगर पढ़ाई लिखाई ठीक
हो भी जाए तो काम काज, नौकरी मे
अस्थिरता बनी रहती है। परिवार मे
पूर्वजनो के समय से आई चलाई बन्द हो जाती है।
बच्चे बडो का सम्मान नहीं करते काम काज
भी मन्दा फल देते हैं।
३. विष कुम्भ योग- लाल किताब मे विश्व कुम्भ योग
को अन्धा घोड़ा या दरिया मे तैरता मकान कहा गया है।
जब किसी की कुण्डली मे
शनि और चन्द्रमा एक साथ बैठते हैं तब विश्व कुम्भ योग बनता है
इस योग के कारण मां के जीवन में
भारी परेशानिया आती है। मां से
पिता की अनबन रहती है मां को सेहत से
सम्बन्धित परेशानी रहती है घर में रूपये
पैसे की भारी परेशानिया आती हैं
एसा व्यक्ति खुद भी मन और दिमाग से
सही फैंसला लेने लायक नहीं रहता।
डबल माइडेड हो जाता है। किसी भी कार्य
मे एकाग्रता नहीं आती। ऐसे
व्यक्ति को इन्सान को पहचानने की ताकत
नहीं रहती जिस कारण ऐसे व्यक्ति के
साथ धोखा और फरेब होता है धन
सम्पत्ति की कमी बनी रहती है।
सम्पत्ति होती भी है
तो ऐसा व्यक्ति अपने जीवन काल मे सबकुछ बर्बाद कर
देता है अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो आज
ही अपनी जन्म
कुण्डली का निरीक्षण करवाएँ और उचित
मार्गदर्शन पाएँ!
१. कालसर्प दोष जब कुण्डली मे सारे ग्रह राहु और
केतु के मध्य मे आ जाते हैं तब काल सर्प दोष का निर्माण होता है
और कुण्डली को दूषित माना जाता है। अगर इन दोनो के
मध्य से एक ग्रह बाहर भी निकल जाए तब
भी आशिक काल सर्प दोष माना जाता है। काल सर्प दोष
के प्रभाव आपके जीवन मे बार-२ रूकावट डालते हैं।
किसी भी कार्य को करने में
परेशानी आती है बिना अड़चन के कोई
भी काम पूरा नहीं होता। मान्सिक तनाव
रहता है, आतमविश्वश मे
कमी रहती है, शरीर मे
परेशानी, धन की कमी, व्यापार
नौकरी मे लाभ की कमी, घर
परिवार में मन मुटाव रहता है। किसी से
भी मन वांछित सहयोग नहीं मिलता।
२. गुरू चाण्डाल योग - यह योग बहुत
ही बुरा करता है। जब
किसी की कुण्डली मंे
वृहस्पति और राहु एक साथ बैठते हैं तो गुरू चाण्डाल योग
कहा जाता है इसके दुषप्रभाव इस प्रकार है :-
बच्चो की पढ़ाई लिखाई अधूरी रह जाना,
उनके संस्कार नष्ट हो जाना, घर की सुख समृद्धि नष्ट
हो जाना, रूपये पैसा की फालतू में बर्बादी,
दादा-पोता मे दूरी चाहे
किसी भी कारण दादा-पोते मे प्रेम उत्पन्न
नहीं हो सकता अगर पढ़ाई लिखाई ठीक
हो भी जाए तो काम काज, नौकरी मे
अस्थिरता बनी रहती है। परिवार मे
पूर्वजनो के समय से आई चलाई बन्द हो जाती है।
बच्चे बडो का सम्मान नहीं करते काम काज
भी मन्दा फल देते हैं।
३. विष कुम्भ योग- लाल किताब मे विश्व कुम्भ योग
को अन्धा घोड़ा या दरिया मे तैरता मकान कहा गया है।
जब किसी की कुण्डली मे
शनि और चन्द्रमा एक साथ बैठते हैं तब विश्व कुम्भ योग बनता है
इस योग के कारण मां के जीवन में
भारी परेशानिया आती है। मां से
पिता की अनबन रहती है मां को सेहत से
सम्बन्धित परेशानी रहती है घर में रूपये
पैसे की भारी परेशानिया आती हैं
एसा व्यक्ति खुद भी मन और दिमाग से
सही फैंसला लेने लायक नहीं रहता।
डबल माइडेड हो जाता है। किसी भी कार्य
मे एकाग्रता नहीं आती। ऐसे
व्यक्ति को इन्सान को पहचानने की ताकत
नहीं रहती जिस कारण ऐसे व्यक्ति के
साथ धोखा और फरेब होता है धन
सम्पत्ति की कमी बनी रहती है।
सम्पत्ति होती भी है
तो ऐसा व्यक्ति अपने जीवन काल मे सबकुछ बर्बाद कर
देता है अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो आज
ही अपनी जन्म
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