Thursday, October 30, 2014

दुःख निवारण तन्त्र के उपाए

दुःख निवारण तन्त्र के उपाए
यदि आपके परिवार में हमेशा कलह रहता हो पारिवारिक सदस्य सुख
शांति से न रहते हो तो शनिवार के दिन सुबह काले कपड़े में जटा वाले
नारियल को लपेटकर उस पर काजल की 21
बिंदी लगा लें। और घर के बाहर लटका दें। हमेशा घर
बुरी नजर से बच कर रहेगा और हमेशा सुख-
शांति रहेगी।
कार्य सफलता के लिए
किसी भी शुभ कार्य के लिए घर से बाहर
निकलने से पूर्व दही में गुड़
या चीनी मिलाकर सेवन करके बाहर निकलने
से कार्य में सफलता मिलती है। साथ ही घर
से बाहर निकलते समय अपने पास कुछ धन राशि रख दें इस धन
राशि से किसी जरूरत मंद व्यक्ति को खाने
की चींज देकर निकल जाएं कार्य सफलता मिल
जाएगी।
यदि जातक के अपने कर्म ठीक है, कार्य व्यवसाय में
वह ईमानदारी से परिश्रम करता हो, उसके बावजूद
भी कार्य में सफलता नहीं मिल
रही हो अथवा घर में शांति नहीं हो तो इस
प्रयोग से अवश्य शांति मिलेगी। प्रतिदिन स्नान के जल में
एक आम का पत्ता, एक पीपल का पत्ता, दुर्वा-11,
तुलसी का एक पत्ता और एक बिल्व पत्र डालकर
मृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए स्नान करें
तो सभी प्रकार के ग्रह पीड़ा व कष्टों से
मुक्ति मिलेगी। मंत्र इस प्रकार है।-
ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधि पुष्टिवर्धनं ऊर्व्वारुकमिव
वंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मां मृतात्।
भगवान दत्तात्रोय को ब्रह्मा-विष्णु-महेष
की शक्तियों का संयोग कहा जाता है। अत: दत्ताात्रोय
जी की साधना गूलर के पेड़ के
नीचे बैठकर करने से शीघ्र
फलदायी होती है। उत्तार पूर्व
की ओर मुख करके 'ओम द्रां दत्तात्रोय नम:'
मंत्रों का 21 दिन निरंतर 21 माला जप करने से बहुत लाभ मिलता है।
पूजा में श्वेत चंदन, पुष्प और केवड़े के इत्रा का प्रयोग
करना चाहिए।
अक्षय
तृतीया या किसी भी शुक्रवार
की रात्रि को कांसे या पीतल
की थाली में काजल लगाकर
काली कर दें और फिर
चांदी की शलाका से
लक्ष्मी का चित्र बनाएं चाहे वह
कैसा भी बने, फिर चित्र के ऊपर ऐष्वर्य
लक्ष्मी यंत्र स्थापित कर दें और एक निष्ठ होकर,
मात्र एक सफेद धोती ही पहनकर, उत्तार
दिषा की ओर मुंह कर, सामने गेहूं के आटे के चार
दीपक बनाए और उसमें
किसी भी प्रकार का तेल भरकर प्रज्जवलित
करें और थाली के चारों कोनों पर रखे
मूंगों की माला से निम्न मंत्र का एक रात्रि में 51 माला मंत्र
जप करें।
ओउम्ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं फट्॥
जब मंत्र पूरा हो जाए तो रात्रि में वहीं विश्राम करें और
जमीन पर ही सो जाएं।
अगर आप कर्ज से परेषान है तो सफेद रुमाल लें। पांच गुलाब के
फूल, एक चांदी का पत्ता, थोड़े से चावल, गुड़ लें। मंदिर में
जाकर रुमाल को रखकर इन चीजों को हाथ में ले लें और
21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करें। इनको इकठ्ठा कर
कहें मेरी परेषानी दूर हो जाएं
तथा मेरा कर्जा उतर जाए। फिर इन सबको ले जाकर बहते जल में
प्रवाह कर दें। यह प्रक्रिया सोमवार को करनी चाहिए।
अगर इसे विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति के सामने
किया जाए तो और भी अच्छा होता है। इसे कम से कम 7
सोमवार करना चाहिए।
बचत के लिये
आप अनावश्यक खर्चें से परेशान है, आपके हाथ से न चाहते
हुये भी खर्चा अधिक हो जाता हो तो यह प्रयोग
आपके लिये बहुत ही लाभदायक रहेगा।
किसी भी माह के पहले सोमवार को 11
गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग लें।
पीलेवस्त्र में रख कर अपने पूजा स्थान में रख दें।
श्रद्धापूर्वक पंचोपचार पूजन करें। धूप, दीप, नैवेद्य,
फूल, अक्षत अर्पित करें। तत्पश्चात ॐ
श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्मयै:
नम:। 11 माला जाप करें। ऐसा 7 दिन नियमित रूप से पूजन और जाप
करें। पुन: दूसरे सोमवार को श्रद्धापूर्वक पूजन और जाप के उपरांत
उसमें से 4 गोमती चक्र, 4 कौड़ी, 4 लौंग घर
के चारों कोनों में गड्डा खोदर कर डाल दें। शेष बचें 5
गोमती चक्र, 5 कौड़ी, 5 लौंग को लाल वस्त्र
में बांधकर अपनी तिजारी में रख दें। और
दो गोमती चक्र, दो कौड़ी और दो लोंग
को श्रद्धापूर्वक किसी भी भगवान के मंदिर में
अर्पित कर दें। मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी।
स्वास्थ्य के लिये
यदि आपका बच्चा बहुत जल्दी-
जल्दी बीमार पड़ रहा हो और आप को लग
रहा कि दवा काम नहीं कर रही है,
डाक्टर बीमारी खोज
नहीं पा रहे है। तो यह उपाय शुक्ल पक्ष
की अष्टमी को करना चाहिये। आठ
गोतमी चक्र ले और अपने पूजा स्थान में मां दुर्गा के
श्रीविग्रह के सामने लाल रेशमी वस्त्र पर
स्थान दें। मां भगवती का ध्यान करते हुये कुंकुम से
गोमती चक्र पर तिलक करें। धूपबत्ती और
दीपक प्रावलित करें।
धूपबत्ती की भभूत से
भी गोमती चक्र को तिलक करें। ॐ
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
की 11 माला जाप करें। जाप के उपरांत लाल कपड़े में 3
गोमती चक्र बांधकर ताबीज का रूप देकर धूप,
दीप दिखाकर बच्चे के गले में डाल दें। शेष पांच
गोमती चक्र पीले वस्त्र में बांधकर बच्चे के
ऊपर से 11 बार उसार कर के किसी विराने स्थान में

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