तुलसी पौधा लगाने का सरल उपाय-
तुलसी पौधा लगाने के लिए वैसे तो शास्त्रों में आषाढ़ व
ज्येष्ठ माह का खास महत्व बताया गया है, किंतु अन्य दिनों में
किसी भी पवित्र तिथि खास तौर पर पूर्णिमा व
एकादशी तिथि को भी यह उपाय कर सकते
हैं। इसके लिए स्नान के बाद किसी भी देव
मंदिर या जिस घर मे नित्य
तुलसी पूजा होती हो, से
तुलसी का छोटा-सा पौधा लेकर आएं।
घर के आंगन या किसी पवित्र जगह को गंगाजल से
पवित्र कर तीर्थ की पवित्र
मिट्टी से भरे गमले में उस पौधे को रोपें।
तुलसी के पौधे को जल, गंध, इत्र, फूल, दूर्वा, फल
अर्पित करते हुए
पीली मौली या वस्त्र अर्पित
करें। मिठाई का भोग लगाएं।
मां लक्ष्मी स्वरूपा तुलसी की पूजा के
बाद किसी सुहागिन स्त्री से
ही तुलसी के चारों ओर दूध व जल
की धारा अर्पित करवाकर नीचे लिखे वेद व
पुराण मंत्रों का ध्यान करें-
पहले भगवान विष्णु का ध्यान कर तुलसी मंत्र बोलें-
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।
नमो मोक्षप्रदे देवि नम: सम्पत्प्रदायिके।।
फिर मां लक्ष्मी का ध्यान कर
लक्ष्मी कृपा की कामना करते हुए यह
मंत्र बोलें-
श्रीश्चते लक्ष्मीश्चपत्न्यावहोरात्रे पारश्वे
नक्षत्राणिरूप मश्विनौव्यात्तम्।
इष्णन्निषाणामुम्म इषाण सर्वलोकम्म इषाण।
मंत्र स्मरण के बाद तुलसी की धूप,
दीप व कर्पूर आरती करें व प्रसाद ग्रहण
करें।
तुलसी पौधा लगाने के लिए वैसे तो शास्त्रों में आषाढ़ व
ज्येष्ठ माह का खास महत्व बताया गया है, किंतु अन्य दिनों में
किसी भी पवित्र तिथि खास तौर पर पूर्णिमा व
एकादशी तिथि को भी यह उपाय कर सकते
हैं। इसके लिए स्नान के बाद किसी भी देव
मंदिर या जिस घर मे नित्य
तुलसी पूजा होती हो, से
तुलसी का छोटा-सा पौधा लेकर आएं।
घर के आंगन या किसी पवित्र जगह को गंगाजल से
पवित्र कर तीर्थ की पवित्र
मिट्टी से भरे गमले में उस पौधे को रोपें।
तुलसी के पौधे को जल, गंध, इत्र, फूल, दूर्वा, फल
अर्पित करते हुए
पीली मौली या वस्त्र अर्पित
करें। मिठाई का भोग लगाएं।
मां लक्ष्मी स्वरूपा तुलसी की पूजा के
बाद किसी सुहागिन स्त्री से
ही तुलसी के चारों ओर दूध व जल
की धारा अर्पित करवाकर नीचे लिखे वेद व
पुराण मंत्रों का ध्यान करें-
पहले भगवान विष्णु का ध्यान कर तुलसी मंत्र बोलें-
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।
नमो मोक्षप्रदे देवि नम: सम्पत्प्रदायिके।।
फिर मां लक्ष्मी का ध्यान कर
लक्ष्मी कृपा की कामना करते हुए यह
मंत्र बोलें-
श्रीश्चते लक्ष्मीश्चपत्न्यावहोरात्रे पारश्वे
नक्षत्राणिरूप मश्विनौव्यात्तम्।
इष्णन्निषाणामुम्म इषाण सर्वलोकम्म इषाण।
मंत्र स्मरण के बाद तुलसी की धूप,
दीप व कर्पूर आरती करें व प्रसाद ग्रहण
करें।
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