चूने की पुताई का यह फायदा आपने
नहीं जाना होगा !
जबकि चूने की पुताई का जो फायदा है वह जानेंगे
तो आपको लगेगा कि इससे बढ़िया तो कुछ
हो ही नहीं सकता।
आज कल शहरों में लोग अपने घरों को सजाने के लिए डिस्टेंपर और
पेंट का इस्तेमाल करने लगे हैं।
दीपावली का त्योहार आने वाला है इसलिए
टेलीविजन पर इनके विज्ञापन भी खूब
दिखाए जाते हैं इनसे प्रभावित होकर कस्बों और गांवों में
भी अब लोग अपने घरो में पेंट और डिस्टेंपर
लगवाना चाहते हैं।
जबकि कुछ सालों पहले तक दीपावली के
मौके पर लोग अपने घरों को सजाने के लिए चूने की पुताई
करवाते थे। लेकिन चूने की पुताई अधिक समय तक टिक
नहीं पाती है और
इसकी चमक भी पेंट और डिस्टेंपर
जितनी नहीं होती है इसलिए
चूने की पुताई की मांग कम
होती जा रही है।
दीपावली पर चूने की पुताई
का चलन इसलिए था कि वर्षा ऋतु में कीट
पतंगों की संख्या खूब बढ़ जाती है। चूने में
मौजूद तत्व कीटाणु नाशक होते हैं। चूने
की पुताई से घर और इसके आसपास मौजूद
कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
चूना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होता है इसलिए
इसे पान के साथ लोग खाते भी हैं। आयुर्वेदिक
चिकित्सा विज्ञान के अनुसार चूना खाने से
नपुंसकता की परेशानी भी दूर
होती है। यह महिलाओं एवं
पुरुषों की नपुंसकता को भी दूर करने
वाला माना गया है। चूने का इस्तेमाल बौद्घिक क्षमता को बढ़ाने में
भी कारगर माना गया है।
चूने की पुताई से घर में एक सकारत्मक उर्जा निर्मित
होती है जो सेहत पर अनुकूल प्रभाव डालता है।
ज्योतिष और अध्यात्म की दृष्टि से चूने
की पुताई के फायदे !
कि चूना चन्द्रमा से प्रभावित होता है और चन्द्रमा मन का कारक
ग्रह है। इसलिए घर में चूने की पुताई करवाने से
चन्द्रमा की अनुकूलता बढ़ती है जिससे
मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
चमकीले रंग रोगन से घर में शुक्र का प्रभाव बढ़ता है
जो भौतिकता और विलासिता की भावना को तेज करता है।
प्राचीन समय में लोगों की चाहत अध्यात्म
की ओर अधिक
होती थी इसलिए गोबर और चूने से घर
की पुताई करवाते थे।
आज कल लोगों में भौतिकता और विलासिता की भावना बढ़
गई जिसका परिणाम है कि लोगा चमकीले रंगों को अधिक
पसंद करने लगे हैं।
नहीं जाना होगा !
जबकि चूने की पुताई का जो फायदा है वह जानेंगे
तो आपको लगेगा कि इससे बढ़िया तो कुछ
हो ही नहीं सकता।
आज कल शहरों में लोग अपने घरों को सजाने के लिए डिस्टेंपर और
पेंट का इस्तेमाल करने लगे हैं।
दीपावली का त्योहार आने वाला है इसलिए
टेलीविजन पर इनके विज्ञापन भी खूब
दिखाए जाते हैं इनसे प्रभावित होकर कस्बों और गांवों में
भी अब लोग अपने घरो में पेंट और डिस्टेंपर
लगवाना चाहते हैं।
जबकि कुछ सालों पहले तक दीपावली के
मौके पर लोग अपने घरों को सजाने के लिए चूने की पुताई
करवाते थे। लेकिन चूने की पुताई अधिक समय तक टिक
नहीं पाती है और
इसकी चमक भी पेंट और डिस्टेंपर
जितनी नहीं होती है इसलिए
चूने की पुताई की मांग कम
होती जा रही है।
दीपावली पर चूने की पुताई
का चलन इसलिए था कि वर्षा ऋतु में कीट
पतंगों की संख्या खूब बढ़ जाती है। चूने में
मौजूद तत्व कीटाणु नाशक होते हैं। चूने
की पुताई से घर और इसके आसपास मौजूद
कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
चूना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होता है इसलिए
इसे पान के साथ लोग खाते भी हैं। आयुर्वेदिक
चिकित्सा विज्ञान के अनुसार चूना खाने से
नपुंसकता की परेशानी भी दूर
होती है। यह महिलाओं एवं
पुरुषों की नपुंसकता को भी दूर करने
वाला माना गया है। चूने का इस्तेमाल बौद्घिक क्षमता को बढ़ाने में
भी कारगर माना गया है।
चूने की पुताई से घर में एक सकारत्मक उर्जा निर्मित
होती है जो सेहत पर अनुकूल प्रभाव डालता है।
ज्योतिष और अध्यात्म की दृष्टि से चूने
की पुताई के फायदे !
कि चूना चन्द्रमा से प्रभावित होता है और चन्द्रमा मन का कारक
ग्रह है। इसलिए घर में चूने की पुताई करवाने से
चन्द्रमा की अनुकूलता बढ़ती है जिससे
मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
चमकीले रंग रोगन से घर में शुक्र का प्रभाव बढ़ता है
जो भौतिकता और विलासिता की भावना को तेज करता है।
प्राचीन समय में लोगों की चाहत अध्यात्म
की ओर अधिक
होती थी इसलिए गोबर और चूने से घर
की पुताई करवाते थे।
आज कल लोगों में भौतिकता और विलासिता की भावना बढ़
गई जिसका परिणाम है कि लोगा चमकीले रंगों को अधिक
पसंद करने लगे हैं।
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