Friday, October 3, 2014

कुंडली में ग्रह की अशुभ स्थति :

कुंडली में ग्रह की अशुभ स्थति :
जैसा की हम सभी जानते है
की हमारा सारा जीवन
कुंडली के नवग्रह और सताईस नक्षत्रो के
द्वारा ही संचालित होता है | अगर
कुंडली में सारे ग्रह अच्छे और शुभ है तो फिर
जीवन में कोई
समस्या नहीं होती है और चारो और
से
खुशियों की ही वर्षा होती है
| लेकिन अगर कुंडली में ग्रह अशुभ स्थति में है
तो फिर जीवन में संकटो और संघर्षो का विस्तार
हो जाता है किसी भी मेहनत
का परिणाम फिर वही शून्य
ही मिलता है |
सूर्य/ चंद्रमा का राहू/ केतु के साथ होने से ग्रहण योग
बनता है - इस योग में अगर सूर्य ग्रहण योग हो तो व्यक्ति में
आत्म विश्वास
की कमी रहती है और
वह किसी के सामने आते
ही अपनी पूर्ण योग्यता का परिचय
नहीं दे पाता है उल्टा उसके प्रभाव में आ जाता है
| कहने का मतलब की सामने
वाला व्यक्ति हमेशा ही हावी रहता है
|
चन्द्र ग्रहण होने से कितना भी घर में और में
सुविधा हो मगर मन में
हमेशा अशांति ही बनी रहती है
कोई न कोई छोटी छोटी बातो का डर
भी सताता है | कोई अज्ञात भय मन में
बना रहता है | संतुष्टि का हमेशा आभाव रहता है |
मंगल का राहू के साथ होने से अंगारक योग बनता है - इस योग
के कारन जिस काम को दूसरा कोई आसानी से कर
लेता है उसी काम को करने में अनेक प्रकार
की बाधाएं अड़चन
आदि बनी रहती है
यानि की कोई काम सुख शांति पूर्वक सम्पन्न
नहीं होता है |
गुरु की राहू/केतु के साथ युति हो तो चांडाल योग
बनता है - इस योग के कारन व्यक्ति का धन से सम्बंधित कोई
काम सफल नहीं होता है |
कितना भी धन अच्छे समय में कमा ले लेकिन जैसे
ही इन ग्रहों की महादशा-
अन्तर्दशा- प्रत्यंतर दशा आएगी तो वो सब
कमाया हुवा धन एक दम से ख़त्म हो जाता है और इस योग के
कारन व्यक्ति को कर्ज लेने के बाद चुकाने में दिक्कत
होती है और एक दिन
उसको ऐसी स्थति का सामना करना पड़ता है
की कही से कुछ रुपये उधार लेकर के
खाना खाना पड़ता है |
शुक्र और राहू की युति से अभोत्व योग का निर्माण
होता है - इस योग के कारन जातक का ध्यान पराई स्त्रियों में
लगा रहता है और कई कई प्रेम सम्बन्ध बनते है लेकिन
ज्यादातर का अंत बहुत बुरा लड़ाई झगडे के साथ और अपमान के
साथ ख़त्म होते है |
कर्कशा स्त्री जीवन में
बनी रहती है |
शनि राहू की युति हो तो नंदी योग
बनता है - इस योग के कारन व्यक्ति सचाई के मार्ग पर
चलना चाहते हुए भी हमेशा झूठ और फरेब
का शिकार होता है और कई बार जेल जाने तक
की नौबत आती है | अपराध
की दुनिया से सम्बन्ध बनता है और
जीवन अनेक संकतो में फस जाता है |
इसके अलावा भी कुछ और अशुभ स्थातिया अगर
आपकी कुंडली में है तो वो आप मिलान
करे और देखे की क्या ऐसा है
आपकी कुंडली में ?
सप्तम जीवनसाथी के स्थान
का स्वामी ग्रह अगर छठे आठवे या बारहवे भाव मै
बैठा हो या फिर सूर्य के साथ बैठकर अस्त है तो विवाह सुख
का नाश करने वाला योग बन जाता है और अगर पुरुष
की कुंडली में शुक्र अस्त
हो या पापी ग्रह से युक्त
हो तो भी ऐसा योग बनता है , अगर
महिला की कुंडली में गुरु अस्त
हो या गुरु के साथ कोई अशुभ या पापी ग्रह
बैठा हो तो महिला का वैवाहिक जीवन अनेक
समस्या से भरा या निराश या सपने जो देखे हो पति को लेकर वह
सभी टूटे हुए लगते है |
आपकी कुंडली में अगर लग्नेश कमजोर
अवस्था का या अशुभ स्थति में है तो आपका स्वास्थ्य
कभी भी सम्पूर्ण
अच्छा नहीं रहेगा | धनेश और लाभेश अगर अशुभ
स्थति में हो तो धन के कारन सम्पूर्ण जीवन संघर्ष
करना पड़ता है | कर्मेश यदि छठे आठवे या बारहवे भाव में
हो या फिर अशुभ युति में हो तो अनेक काम बदलने के बाद
भी स्थायित्व नहीं रहता है और धन
प्राप्ति में बाधा होती है |
सूर्य मंगल शनि राहू और केतु ये पांच पापी ग्रह
माने गए है और चन्द्र बुध गुरु और शुक्र ये चार ग्रह बहुत
ही शांत और शुभ माने जाते है अगर इन चार
ग्रहों के साथ कोई भी पापी ग्रह
बैठा हो या ये शुभ ग्रह में से कोई अस्त हो या फिर
नीच का हो या फिर कमजोर
अवस्था का हो तो जीवन में
शुभता की कमी रहती है
योग्यता के अनुसार जीवन यापन
नहीं होता है |
कुंडली में अनेक प्रकार के अशुभ योग इन अशुभ
युतियो के कारन बन जाते है वो भी जीवन
में संकट उत्पन्न करते है और रुकावट का कारन बनते है |
खासकर के अगर ऐसे कोई अशुभ योग
किसी महिला की कुंडली में
हो तो और भी वह उस महिला के लिए
दुखो का कारन बन जाते है |
आप अपनी कुंडली में देखे
की ऊपर वर्णित यदि ऐसा कोई योग
आपकी कुंडली में
तो नहीं है ? अगर है तो क्या जैसा लिखा है
वैसा ही हो रहा है ?.....अगर आपको लगता है
की हा समस्या बढ़ रही है तो आप
इस नवरात्री में नवग्रह के जाप, पूजन
शांति करवा सकते है |

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