कीर्तन करते समय
ताली का इतना महत्व क्यों है!
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हम अक्सर देखते है कि जब
कही कीर्तन होता है,तो उसमे
सभी ताली जरुर बजाते
है,ताली बजाने का आध्यात्मिक सम्बन्ध तो है
ही, साथ-साथ इसका हमारे शरीर के
स्वास्थ्य से भी गहरा सम्बन्ध है.
ताली बजाने का आध्यात्मिक महत्व -
ताली बजाने की प्रथा बहुत
पुरानी है श्रीमद्भागवत के अनुसार
कीर्तन में
ताली की प्रथा श्री प्रहलाद
जी ने शुरू की. जब वे भगवान का भजन
करते थे, तो जोर-जोर से नाम संकीर्तन
भी करते थे,और साथ-साथ
ताली भी बजाते
थे.ताली बजाने के आध्यात्मिक पक्ष में संतजन
कहते है जब हम दोनों हाथ ऊपर उठकर
ताली बजाते है-
तो जैसे कोई बगल में वस्तु छिपा ले और यदि दोनों हाथ ऊपर करे
तो वह वस्तु नीचे गिर
जायेगी इसी तरह जन्मो से संचित पाप
हमने स्वयं अपने बगल में दबा रखे है,जब हम ऊपर हाथ
करके नाम संकीर्तन करते है तो जन्मो से संचित पाप
नीचे अर्थात नष्ट होने लगते है.और हरिनाम
संकीर्तन जब हम करते है
तो ताली बजाने से हमारे हाथो की रेखाए
तक बदल जाती है
इतनी शक्ति होती है
ताली बजाकर संकीर्तन करने में.
ताली के प्रकार
*******************
एक्यूप्रेशर सिद्धांत के अनुसार मनुष्य को हाथों में पूरे
शरीर के अंग व प्रत्यंग के दबाव बिंदु होते हैं
जिनको दबाने पर सम्बंधित अंग तक खून व
ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है और
धीरे-धीरे वह रोग ठीक
होने लगता है. इन सभी दबाव बिंदुओं को दबाने
का सबसे सरल तरीका होता है
ताली.ताली दो तीन प्रकार से
बजायी जाती है
1.- ताली में बाएं हाथ
की हथेली पर दाएं हाथ
की चारों अंगुलियों को एक साथ तेज दबाव के साथ इस
प्रकार मारा जाता है कि दबाव पूरा हो और आवाज
अच्छी आए. इस प्रकार
की ताली से बाएं हथेली के
फेफड़े, लीवर, पित्ताशय, गुर्दे,
छोटी आंत व बड़ी आंत तथा दाएं हाथ
की अंगुली के साइनस के दबाव बिंदु दबते
हैं. इससे इन अंगों तक खून का प्रवाह तीव्र होने
लगता है.
ताली को तब तक बजाना चाहिए जब तक
कि हथेली लाल न हो जाए. इस प्रकार
की ताली कब्ज, एसिडिटी,
मूत्र, संक्रमण, खून की कमी व श्वांस
लेने में तकलीफ जैसे रोगों में लाभ
पहुंचाती है.
2.- थप्पी ताली ताली में
दोनों हाथों के अंगूठा-अंगूठे से कनिष्का-कनिष्का से
तर्जनी-तर्जनी से
यानी कि सभी अंगुलियां अपने समानांतर
दूसरे हाथ की अंगुलियों पर पड़ती हो,
हथेली-हथेली पर
पड़ती हो. इस प्रकार
की ताली से आवाज बहुत तेज व दूर
तक फेंकी जा सकती है.
इस प्रकार की ताली कान, आंख, कंधे,
मस्तिष्क, मेरूदंड के सभी बिंदुओं पर दबाव
डालती है. इस ताली का सर्वाधिक लाभ
फोल्डर एंड सोल्जर, डिप्रेशन, अनिद्रा, स्लिप डिस्क,
स्पोगोलाइसिस, आंखों की कमजोरी में
पहुंचता है. एक्यूप्रेशर चिकित्सकों की राय में इस
ताली को भी तब तक बजाया जाए जब
तक कि हथेली लाल न हो जाए.
3.- ग्रिप ताली - इस प्रकार
की ताली में सिर्फ
हथेली को हथेली पर
ही इस प्रकार मारा जाता है कि वह क्रॉस का रूप
धारण कर ले. इस ताली से कोई विशेष रोग में लाभ
तो नहीं मिलता है, लेकिन यह
ताली उत्तेजना का कार्य करती है. इस
ताली से अन्य अंगों के दबाव बिंदु सक्रिय हो उठते
हैं. यह ताली सम्पूर्ण शरीर
को सक्रिय करने में मदद करती है. यदि इस
ताली को तेज व लम्बा बजाया जाता है
तो शरीर में पसीना आने लगता है जिससे
कि शरीर के विषैले तत्व पसीने से बाहर
आकर त्वचा को स्वस्थ रखते हैं.
ताली बजाने से स्वास्थ्य लाभ
**********************************
ताली बजाने से न सिर्फ रोगों से
रक्षा होती है बल्कि कई रोगों का इलाज
भी हो जाता है जैसे- कि ताला खोलने के लिए
चाबी की आवश्यकता होती है
वैसे ही कई रोगों को दूर करने में यह
ताली, चाबी का ही काम
नहीं करती है बल्कि कई
रोगों का ताला खोलने वाली होने से इसे मास्टर
की भी कहा जा सकता है.
हाथों से नियमित रूप से ताली बजाकर कई रोग दूर किए
जा सकते हैं. स्वास्थ्य की समस्याओं
को सुलझाया जा सकता है. ताली दुनिया का सर्वोत्तम
एवं सरल सहज योग है और प्रतिदिन यदि नियमित रूप से 2
मिनट भी तालियां बजाएं तो फिर
किसी हठयोग या आसनों की जरूरत
नहीं होती है.
1. ताली बजाने से आपको हृदय रोग और
अस्थमा संबंधित समस्याओं से राहत पाने में बहुत मदद
मिलती है.
2. हृदय, लिवर, फेफड़ों आदि से जुड़ी नसों के लिए
यह बहुत मददगार साबित होता है. अगर आप
ताली बजाते हैं तो नसों को बेहतर कार्य करने में
मदद मिलती है.
3. इससे आप बेहतर और अधिक आराम महसूस करेंगे.
4. यह आपकी इम्युनिटी को बढ़ाता है
क्योंकि यह आपके शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं
को मजबूत करता है; ये
किसी भी बीमारी से
आपके शरीर की रक्षा करते हैं.
5. यह बच्चों में कौशल बढ़ाने और अकादमिक प्रदर्शन
को सुधारने में मदद करता है.
6. ताली बजाने से रक्त संचरण बढ़ता है और
नसों तथा धमनियों में से खराब कोलेस्ट्राल सहित सारे अवरोध हट
जाते हैं.
7. अगर आप एक दिन में 1500 बार ताली बजाते
हैं तो आप स्वस्थ रहेंगे.
8. हाथ से ताली बजाने से बच्चों का हस्त कौशल
सुधरता है जिससे उनकी लिखावट साफ
हो सकती है, वे बेहतर लिख सकते हैं और
स्पेलिंग संबंधी त्रुटियाँ कम होती हैं.
9. हर रोज़ भोजन करने के बाद एक घंटे के लिए
ताली बजाएं. इससे आप गर्मी महसूस
करेंगे तथा आपके हाथों और पैरों पर
पसीना भी आ सकता है.
10. अच्छे परिणाम पाने के लिए ताली बजाने से
पहले हथेलियों पर नारियल या सरसों का तेल लगाना चाहिए
ताकि यह शरीर में अवशोषित हो जाए.
11. हृदय रोग, उच्च रकतचाप, मधुमेह, डिप्रेशन, अस्थमा,
ज़ुकाम, गठिया, सिरदर्द, अनिद्रा और
बालों का झड़ना आदि बिमारियों का इलाज ताली बजाने से
किया जा सकता है.
ताली का इतना महत्व क्यों है!
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हम अक्सर देखते है कि जब
कही कीर्तन होता है,तो उसमे
सभी ताली जरुर बजाते
है,ताली बजाने का आध्यात्मिक सम्बन्ध तो है
ही, साथ-साथ इसका हमारे शरीर के
स्वास्थ्य से भी गहरा सम्बन्ध है.
ताली बजाने का आध्यात्मिक महत्व -
ताली बजाने की प्रथा बहुत
पुरानी है श्रीमद्भागवत के अनुसार
कीर्तन में
ताली की प्रथा श्री प्रहलाद
जी ने शुरू की. जब वे भगवान का भजन
करते थे, तो जोर-जोर से नाम संकीर्तन
भी करते थे,और साथ-साथ
ताली भी बजाते
थे.ताली बजाने के आध्यात्मिक पक्ष में संतजन
कहते है जब हम दोनों हाथ ऊपर उठकर
ताली बजाते है-
तो जैसे कोई बगल में वस्तु छिपा ले और यदि दोनों हाथ ऊपर करे
तो वह वस्तु नीचे गिर
जायेगी इसी तरह जन्मो से संचित पाप
हमने स्वयं अपने बगल में दबा रखे है,जब हम ऊपर हाथ
करके नाम संकीर्तन करते है तो जन्मो से संचित पाप
नीचे अर्थात नष्ट होने लगते है.और हरिनाम
संकीर्तन जब हम करते है
तो ताली बजाने से हमारे हाथो की रेखाए
तक बदल जाती है
इतनी शक्ति होती है
ताली बजाकर संकीर्तन करने में.
ताली के प्रकार
*******************
एक्यूप्रेशर सिद्धांत के अनुसार मनुष्य को हाथों में पूरे
शरीर के अंग व प्रत्यंग के दबाव बिंदु होते हैं
जिनको दबाने पर सम्बंधित अंग तक खून व
ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है और
धीरे-धीरे वह रोग ठीक
होने लगता है. इन सभी दबाव बिंदुओं को दबाने
का सबसे सरल तरीका होता है
ताली.ताली दो तीन प्रकार से
बजायी जाती है
1.- ताली में बाएं हाथ
की हथेली पर दाएं हाथ
की चारों अंगुलियों को एक साथ तेज दबाव के साथ इस
प्रकार मारा जाता है कि दबाव पूरा हो और आवाज
अच्छी आए. इस प्रकार
की ताली से बाएं हथेली के
फेफड़े, लीवर, पित्ताशय, गुर्दे,
छोटी आंत व बड़ी आंत तथा दाएं हाथ
की अंगुली के साइनस के दबाव बिंदु दबते
हैं. इससे इन अंगों तक खून का प्रवाह तीव्र होने
लगता है.
ताली को तब तक बजाना चाहिए जब तक
कि हथेली लाल न हो जाए. इस प्रकार
की ताली कब्ज, एसिडिटी,
मूत्र, संक्रमण, खून की कमी व श्वांस
लेने में तकलीफ जैसे रोगों में लाभ
पहुंचाती है.
2.- थप्पी ताली ताली में
दोनों हाथों के अंगूठा-अंगूठे से कनिष्का-कनिष्का से
तर्जनी-तर्जनी से
यानी कि सभी अंगुलियां अपने समानांतर
दूसरे हाथ की अंगुलियों पर पड़ती हो,
हथेली-हथेली पर
पड़ती हो. इस प्रकार
की ताली से आवाज बहुत तेज व दूर
तक फेंकी जा सकती है.
इस प्रकार की ताली कान, आंख, कंधे,
मस्तिष्क, मेरूदंड के सभी बिंदुओं पर दबाव
डालती है. इस ताली का सर्वाधिक लाभ
फोल्डर एंड सोल्जर, डिप्रेशन, अनिद्रा, स्लिप डिस्क,
स्पोगोलाइसिस, आंखों की कमजोरी में
पहुंचता है. एक्यूप्रेशर चिकित्सकों की राय में इस
ताली को भी तब तक बजाया जाए जब
तक कि हथेली लाल न हो जाए.
3.- ग्रिप ताली - इस प्रकार
की ताली में सिर्फ
हथेली को हथेली पर
ही इस प्रकार मारा जाता है कि वह क्रॉस का रूप
धारण कर ले. इस ताली से कोई विशेष रोग में लाभ
तो नहीं मिलता है, लेकिन यह
ताली उत्तेजना का कार्य करती है. इस
ताली से अन्य अंगों के दबाव बिंदु सक्रिय हो उठते
हैं. यह ताली सम्पूर्ण शरीर
को सक्रिय करने में मदद करती है. यदि इस
ताली को तेज व लम्बा बजाया जाता है
तो शरीर में पसीना आने लगता है जिससे
कि शरीर के विषैले तत्व पसीने से बाहर
आकर त्वचा को स्वस्थ रखते हैं.
ताली बजाने से स्वास्थ्य लाभ
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ताली बजाने से न सिर्फ रोगों से
रक्षा होती है बल्कि कई रोगों का इलाज
भी हो जाता है जैसे- कि ताला खोलने के लिए
चाबी की आवश्यकता होती है
वैसे ही कई रोगों को दूर करने में यह
ताली, चाबी का ही काम
नहीं करती है बल्कि कई
रोगों का ताला खोलने वाली होने से इसे मास्टर
की भी कहा जा सकता है.
हाथों से नियमित रूप से ताली बजाकर कई रोग दूर किए
जा सकते हैं. स्वास्थ्य की समस्याओं
को सुलझाया जा सकता है. ताली दुनिया का सर्वोत्तम
एवं सरल सहज योग है और प्रतिदिन यदि नियमित रूप से 2
मिनट भी तालियां बजाएं तो फिर
किसी हठयोग या आसनों की जरूरत
नहीं होती है.
1. ताली बजाने से आपको हृदय रोग और
अस्थमा संबंधित समस्याओं से राहत पाने में बहुत मदद
मिलती है.
2. हृदय, लिवर, फेफड़ों आदि से जुड़ी नसों के लिए
यह बहुत मददगार साबित होता है. अगर आप
ताली बजाते हैं तो नसों को बेहतर कार्य करने में
मदद मिलती है.
3. इससे आप बेहतर और अधिक आराम महसूस करेंगे.
4. यह आपकी इम्युनिटी को बढ़ाता है
क्योंकि यह आपके शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं
को मजबूत करता है; ये
किसी भी बीमारी से
आपके शरीर की रक्षा करते हैं.
5. यह बच्चों में कौशल बढ़ाने और अकादमिक प्रदर्शन
को सुधारने में मदद करता है.
6. ताली बजाने से रक्त संचरण बढ़ता है और
नसों तथा धमनियों में से खराब कोलेस्ट्राल सहित सारे अवरोध हट
जाते हैं.
7. अगर आप एक दिन में 1500 बार ताली बजाते
हैं तो आप स्वस्थ रहेंगे.
8. हाथ से ताली बजाने से बच्चों का हस्त कौशल
सुधरता है जिससे उनकी लिखावट साफ
हो सकती है, वे बेहतर लिख सकते हैं और
स्पेलिंग संबंधी त्रुटियाँ कम होती हैं.
9. हर रोज़ भोजन करने के बाद एक घंटे के लिए
ताली बजाएं. इससे आप गर्मी महसूस
करेंगे तथा आपके हाथों और पैरों पर
पसीना भी आ सकता है.
10. अच्छे परिणाम पाने के लिए ताली बजाने से
पहले हथेलियों पर नारियल या सरसों का तेल लगाना चाहिए
ताकि यह शरीर में अवशोषित हो जाए.
11. हृदय रोग, उच्च रकतचाप, मधुमेह, डिप्रेशन, अस्थमा,
ज़ुकाम, गठिया, सिरदर्द, अनिद्रा और
बालों का झड़ना आदि बिमारियों का इलाज ताली बजाने से
किया जा सकता है.
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