Wednesday, October 15, 2014

मस्तक पर तिलक

मस्तक पर तिलक प्रति दिन जरुर करना चाहिए
अपने देश में है मस्तक पर तिलक लगाने
की प्रथा प्रचलित है। यह प्राचीन है।
दरअसल, हमारे शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते
हैं, जो अपार शक्ति के भंडार हैं। इन्हें चक्र कहा जाता है।
मस्तिष्क के भ्रु-मध्य ललाट में जिस स्थान पर
टीका या तिलक लगाया जाता है यह भाग आज्ञाचक्र है ।
शरीर शास्त्र के अनुसार पीनियल
ग्रन्थि का स्थान होने की वजह से, जब
पीनियल ग्रन्थि को उद्दीप्त किया जाता हैं,
तो मस्तष्क के अन्दर एक तरह के प्रकाश
की अनुभूति होती है... । पीनियल
ग्रन्थि के उद्दीपन से आज्ञाचक्र
का उद्दीपन होगा । इसी वजह से धार्मिक
कर्मकाण्ड, पूजा-उपासना व शूभकार्यो में टीका लगाने
का प्रचलन है / हिन्दु परम्परा में मस्तक पर तिलक लगाना शूभ
माना जाता है इसे सात्विकता का प्रतीक माना जाता है
विजयश्री प्राप्त करने के उद्देश्य रोली,
हल्दी, चन्दन या फिर कुम्कुम का तिलक लगाया जाता है ।
स्त्रियां लाल कुंकुम का तिलक लगाती हैं। यह
भी बिना प्रयोजन नहीं है। लाल रंग ऊर्जा एवं
स्फूर्ति का प्रतीक होता है। तिलक स्त्रियों के सौंदर्य में
अभिवृद्धि करता है। तिलक
लगाना देवी की आराधना से
भी जुड़ा है। देवी की पूजा करने के
बाद माथे पर तिलक लगाया जाता है। तिलक देवी के
आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
इससे आज्ञाचक्र को नियमित
उत्तेजना मिलती रहती है ।
तन्त्र शास्त्र के अनुसार माथे को इष्ट इष्ट देव
का प्रतीक समझा जाता है / हमारे इष्ट देव
की स्मृति हमें सदैव बनी रहे इस तरह
की धारणा , ध्यान में रखकर, मन में उस केन्द्र बिन्दु
की स्मृति हो सकें । शरीर
व्यापी चेतना शनैः शनैः आज्ञाचक्र पर एकत्रित
होती रहे । अतः इसे तिलक या टीके के माध्यम
से आज्ञाचक्र पर एकत्रित कर, तीसरे नेत्र को जागृत
करा सकें ताकि हम परा – मानसिक जगत में प्रवेश कर सकें ।
तिलक लगाने से एक तो स्वभाव में सुधार आता हैं व देखने वाले पर
सात्विक प्रभाव पड़ता हैं। तिलक जिस भी पदार्थ
का लगाया जाता हैं उस पदार्थ की ज़रूरत अगर
शरीर को होती हैं तो वह भी पूर्ण
हो जाती हैं। तिलक किसी खास प्रयोजन के लिए
भी लगाये जाते हैं जैसे
यदि मोक्षप्राप्ती करनी हो तो तिलक अंगूठे से,
शत्रु नाश करना हो तो तर्जनी से, धनप्राप्ति हेतु
मध्यमा से तथा शान्ति प्राप्ति हेतु अनामिका से लगाया जाता हैं।
आमतौर से तिलक अनामिका द्वारा लगाया जाता हैं और उसमे
भी केवल चंदन ही लगाया जाता हैं तिलक संग
चावल लगाने से लक्ष्मी को आकर्षित करने का तथा ठंडक
व सात्विकता प्रदान करने का निमित छुपा हुआ होता हैं। अतः प्रत्येक
व्यक्ति को तिलक ज़रूर लगाना चाहिए। देवताओ को तिलक
मध्यमा उंगली से लगाया जाता है
मनोविज्ञान की दृष्टि से भी तिलक
लगाना उपयोगी माना गया है। माथा चेहरे
का केंद्रीय भाग होता है/ उसके मध्य में तिलक लगाकर,
दृष्टि को बांधे रखने का प्रयत्न किया जाता है। तिलक हिंदू
संस्कृति का पहचान है। तिलक केवल धार्मिक
मान्यता नहीं है/ तिलक लगाने से मन
को शांति मिलती है/ चन्दन को पत्थर पर घिस कर लगाते
है / ऐनक के सामने हमारी मुखमंडल
की आभा काफी सौम्य दिखता है/ तिलक से
मानसिक उतेज़ना पर काफी नियंत्रण पाया जा सकता है/
तंत्र शास्त्र में पंच गंध या अस्ट गंध से बने तिलक लगाने
का बड़ा ही महत्व है तंत्र शास्त्र में शरीर के
तेरह भागों पर तिलक करने की बात कही गई
है, लेकिन समस्त शरीर का संचालन मस्तिष्क करता है।
इसलिए इस पर तिलक करने की परंपरा अधिक प्रचलित
है।

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