Friday, August 1, 2014

दर्पण या आइना

दर्पण या आइना हमें हमारे व्यक्तित्व की झलक
दिखाता है। सजना संवरना हर मनुष्य की सामान्य
प्रवृति है। आइने के बिना अच्छे से सजने-संवरने
की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
दिन में कई बार हम खुद को आइने में देखते हैं।
इसी वजह आइना ऐसी जगह
लगाया जाता है जहां से हम आसानी से खुद
को देख सके। आइना कहां लगाना चाहिए और
कहां नहीं इस संबंध में विद्वानों और वास्तुशास्त्रियों
द्वारा कई महत्वपूर्ण बिंदू बताए गए हैं।
> दर्पण सदैव उत्तर अथवा पूर्व
दिशा की दीवाल पर लगाना शुभदायक होते
है
> भवन में नुकीले व् तेजधार वाले दर्पण
नहीं लगाने चाहियें. ये हानिकारक होते है.
> दर्पण का टूटना अशुभ माना जाता है.
ऐसी मान्यता है कि कोई मुसीबत इस
दर्पण पर टल गयी है टूटे हुए दर्पण को तुरंत
ही कटवा कर वर्गाकार, आयताकार, अष्टभुजाकार
दर्पण में परिवर्तित कराकर शेष भाग को फेंक देना चाहिए.
> आवासीय भवन अथवा व्यावसायिक भवन में ईशान
(उत्तर-पूर्व) क्षेत्र ,उत्तर या पूर्व दीवाल में
दर्पण लगाना चाहिए इसके लगाने से आय में वृद्धि होने
लगती है. और व्यवसायिक
सम्बन्धी बाधाए दूर होती है.
> आवासीय भवन अथवा व्यावसायिक भवन में
दक्षिण, पश्चिम, आग्नेय, वायव्य एवं नैऋत्य दिशा में
दीवारों पर लगे हुए दर्पण अशुभ होते है.
यदि आपके यहां इस प्रकार के दर्पण लगे हुए है, तो उन्हें
तुरंत हटा देना चाहिए.
> शयन कक्ष में यदि दर्पण लगाना है तो उत्तर या पूर्व
की दीवाल पर ही दर्पण
लगाना चाहिए
> दर्पण के संबंध में एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह है
कि बेड रूम में बिस्तर के ठीक सामने
आइना लगाना अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे
पति-पत्नी को कई स्वास्थ्य
संबंधी परेशानियां झेलनी पड़ती है।
> यदि पति-पत्नी रात को सोते समय अपना प्रतिबिम्ब
आइने में देखते हैं तो इसका उनकी सेहत पर
प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह वास्तु दोष ही है।
इससे आपके आर्थिक पक्ष पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
> बेड रूम में बिस्तर के ठीक सामने आइना होने से
नींद में बाधा उत्पन्न होती है इससे
पति-पत्नी दोनों को दिनभर थकान महसूस
होती है, आलस्य बना रहता है।
इसी वजह से वास्तु के अनुसार बेड रूम में आइना न
लगाने की सलाह
दी जाती है
या आइना ऐसी जगह लगाएं जहां से पति-
पत्नी रात को सोते समय अपना प्रतिबिम्ब आइने में
देखते हैं तो यह अशुभ प्रभाव देता है
.> बिस्तर के ठीक सामने आइना होने से पति-
पत्नी के वैवाहिक सम्बन्धों में
भारी तनाव पैदा होता है। इसके कारण पति-
पत्नी के अच्छे भले सम्बन्धों के बीच
किसी तीसरे व्यक्ति का प्रवेश
भी हो सकता है।
> वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में लगे दर्पण जिस कोण या दिशा में
लगे होते हैं उस कोण की ऊर्जा को परावर्तित करते
है ,अब अगर दर्पण सकारात्मक क्षेत्र में लगे होंगे
तो सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भवन में अधिक होगा
> दर्पण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें ढक
कर रखना चाहिए अथवा इन्हें अलमारियों के अन्दर
की ओर लगवाने चाहिए।
> पलंग पर सो रहे पति-पत्नी को प्रतिबिंबित करने
वाला दर्पण तलाक तक का कारण बन सकता है। इसलिए रात्रि के
समय दर्पण दृष्टि से ओझल होना चाहिए।
> भवन में छोटी और संकुचित जगह पर दर्पण
रखना चमत्कारी प्रभाव पैदा करता है।
> कमरे के दीवारों पर आमने सामने दर्पण लगाने से
घर के सदस्यों में बेचैनी और उलझन
होती है।
> मकान का कोई हिस्सा असामान्य शेप का या अंधकारयुक्त
हो तो वहाँ कटे या बढ़े हुए हिस्से में दर्पण लगाकर
ऊर्जा को संतुलित करें
> यदि घर के बाहर इलेक्ट्रिक पोल, ऊँची इमारतें,
अवांछित पेड़ या नुकीले उभार हैं और आप
उनका दबाव महसूस कर रहे हैं तो उनकी तरफ
पाक्वा मिरर लगाकर निदान करें
> मकान के ईशान कोण में उत्तर या पूर्व
की दीवार पर स्थित वॉश बेसिन के ऊपर
दर्पण भी लगाएँ यह शुभ फलदायक है।
> यदि आपके घर के दरवाजे तक
सीधी सड़क आने के कारण द्वार वेध
हो रहा है और दरवाजा हटाना संभव नहीं है
तो दरवाजे पर पाक्वा मिरर लगा दें। यह बेहद
शक्तिशाली वास्तु प्रतीक है। अत: इसे
लगाने में सावधानी रखना चाहिए।
> पाक्वा मिरर को कभी भी भवन के
अंदर की ओर ना लगाएं
> वास्तु शास्त्र में दर्पण यानी आईना को उत्प्रेरक
बताया गया है जिसके द्वारा भवन में ‍प्रसारित सूक्ष्म
ऊर्जा को संतुलित करने का कार्य करती है
इसका उचित उपयोग कर हम अपने लाभदायक उपलब्धियाँ अर्जित
कर सकते हैं।

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